आजादी के बाद पहली बार... जेपी नड्डा-खरगे संग बैठक के बाद जगदीप धनखड़ ने क्यों की सीजेआई की तारीफ

जज यशवंत वर्मा मामले को लेकर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने जेपी नड्डा और खरगे संग बैठक की। इस दौरान उन्होंने सीजेआई की तारीफ करते हुए कहा कि आजादी के बाद पहली बार मुख्य न्यायाधीश ने सभी सामग्री सार्वजनिक डोमेन में रखी है। उधर जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया।

Mar 24, 2025 - 17:27
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आजादी के बाद पहली बार... जेपी नड्डा-खरगे संग बैठक के बाद जगदीप धनखड़ ने क्यों की सीजेआई की तारीफ
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के नई दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने के बाद कथित तौर पर कैश मिलने के मामले पर घमासान थमता नहीं दिख रहा। ये मुद्दा संसद में भी उठाया गया। वहीं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने न्यायिक जवाबदेही और एनजेएसी अधिनियम के मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को सदन के नेता जेपी नड्डा और नेता प्रतिपक्ष के साथ बैठक की। दोनों नेताओं ने धनखड़ के कक्ष में बातचीत की। इस दौरान जगदीप धनखड़ ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार के मुख्य न्यायाधीश ने सभी सामग्री सार्वजनिक डोमेन में रखी है।

धनखड़ ने खरगे-नड्डा संग बैठक में क्या कहा

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'हमने न्यायपालिका के मन में उठ रहे मुद्दे पर सार्थक विचार-विमर्श किया। स्वतंत्रता के बाद यह पहली बार है कि किसी सीजेआई ने पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से अपने पास उपलब्ध सभी सामग्री को सार्वजनिक डोमेन में रखा है और न्यायालय के साथ कुछ भी छिपाए बिना इसे साझा किया है।'जगदीप धनखड़ ने आगे कहा, 'मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से एक बहुत ही विचारशील सुझाव आया कि संसदीय परंपरा के अनुरूप, इस मुद्दे पर सदन के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। सुझाव को उचित पाते हुए और हम तीनों की पूर्ण स्वीकृति के बाद, तदनुसार एक बैठक निर्धारित की जाएगी। इस बैठक में मैं राज्यसभा के सदन के नेताओं को इस पर विचार करने के लिए आमंत्रित करूंगा।'

राज्यसभा में उठा था जज यशवंत वर्मा का मुद्दा

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने हाईकोर्ट के जज के आवास से नकदी बरामद होने का मुद्दा 21 मार्च को उच्च सदन में उठाया था, जिसके जवाब में सभापति धनखड़ की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में यह बैठक बुलाई गई। सभापति धनखड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम के 2014 में पारित होने के बाद न्यायिक नियुक्तियों के लिए एक तंत्र का उल्लेख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इस अधिनियम को रद्द कर दिया था।धनखड़ ने 21 मार्च को राज्यसभा में कहा था कि आप सभी को वह प्रणाली याद होगी जिसे इस सदन ने लगभग सर्वसम्मति से पारित किया था। उस पर कोई मतभेद नहीं था। सभी राजनीतिक दल एकजुट हुए थे और सरकार की पहल का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि मैं यह जानना चाहता हूं कि भारतीय संसद से पारित उस विधेयक की क्या स्थिति है, जिसे देश की 16 राज्य विधानसभाओं ने मंजूरी दी और जिस पर संविधान के अनुच्छेद 111 के तहत माननीय राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए थे।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,