हिंदू पक्ष ने उठाए सवाल... वक्फ बोर्ड बताए शाही ईदगाह की भूमि किसने उसे दान में दी
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण के अध्यक्ष व मंदिर पक्षकार आशुतोष पांडेय ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा।
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हिंदू पक्ष ने उठाए सवाल... वक्फ बोर्ड बताए शाही ईदगाह की भूमि किसने उसे दान में दी
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बृहस्पतिवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह विवाद मामले की सुनवाई में हिंदू पक्ष ने वक्फ संपत्ति को लेकर सवाल खड़े किए। कृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार आशुतोष पांडेय का कहना था कि वक्फ संपत्ति दान में मिली होती है। वक्फ बोर्ड बताए कि उसे किसने विवादित ईदगाह की संपत्ति दान में दी है। इस मामले में अगली सुनवाई सात जुलाई 2024 को होगी।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण के अध्यक्ष व मंदिर पक्षकार आशुतोष पांडेय ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि ऑर्डर सात, नियम 11 इस मामले में लागू नहीं होता है। उनका कहना था कि 13 एकड़ जमीन लड्डू गोपाल की है। इसे कोई न बेच सकता है और न कोई इस जमीन का समझौता कर सकता है।
यह पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम दर्ज है। ट्रस्ट ही बिजली का बिल और टैक्स जमा करता है। खसरा और नगर निगम के रिकॉर्ड में भी ट्रस्ट के नाम पर ही जमीन दर्ज है। सरकारी रिकॉर्ड में कहीं भी शाही ईदगाह के नाम कोई भी जमीन नहीं है। इस मामले में वर्शिप एक्ट, लिमिटेशन एक्ट, वक्फ एक्ट के अधिनियम लागू नहीं होते हैं। उनका कहना था कि वक्फ संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का मुतवल्ली होता है, जबकि ईदगाह में ऐसा नहीं है।
वक्फ की तरफ से जो प्रार्थना पत्र और शपथपत्र दाखिल किया गया है, उसपर वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के हस्ताक्षर नहीं हैं, ये फर्जी हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पक्ष रखते हुए कहा कि विवादित संपत्ति के पूर्ण भाग पर प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1958 के प्रावधान लागू हैं। इसकी अधिसूचना 26 फरवरी। 1920 को ही जारी की जा चुकी है।
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