इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी : "भागकर शादी करने के आधार पर नहीं मिलेगी सुरक्षा, समाज का सामना करना सीखना होगा"

भागकर शादी करने के आधार पर नहीं मिलेगी सुरक्षा, इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी : "भागकर शादी करने के आधार पर नहीं मिलेगी सुरक्षा, समाज का सामना करना सीखना होगा" Protection will not be given on the basis of eloping and getting married

Apr 17, 2025 - 11:09
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी : "भागकर शादी करने के आधार पर नहीं मिलेगी सुरक्षा, समाज का सामना करना सीखना होगा"

इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी : "भागकर शादी करने के आधार पर नहीं मिलेगी सुरक्षा, समाज का सामना करना सीखना होगा"

प्रयागराज, अप्रैल 17 – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी में कहा है कि केवल प्रेम विवाह या भागकर शादी कर लेने मात्र से किसी जोड़े को सुरक्षा नहीं दी जा सकती। अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को यह साबित करना होगा कि उन्हें वास्तविक रूप से जान या स्वतंत्रता को खतरा है।

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की एकल पीठ ने एक प्रेमी जोड़े द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की। प्रेमी जोड़े ने दावा किया था कि वे बालिग हैं, आपसी सहमति से शादी कर चुके हैं, लेकिन परिवार और समाज के विरोध के कारण उन्हें खतरा है। वे अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर अदालत पहुंचे थे।

हालांकि, कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि केवल इस आधार पर कि वे भागकर शादी कर चुके हैं, उन्हें राज्य द्वारा सुरक्षा देना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा, "हर वह जोड़ा जो समाज की मर्यादाओं को ताक पर रखकर विवाह करता है, वह राज्य से सुरक्षा की मांग नहीं कर सकता। उन्हें समाज का सामना करने की मानसिक और व्यावहारिक तैयारी करनी चाहिए।"

जस्टिस श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि यदि प्रेमी युगल यह साबित कर सके कि उन्हें गंभीर और वास्तविक खतरा है, तो वे उचित प्रमाणों और सबूतों के साथ स्थानीय पुलिस अथवा प्रशासन के समक्ष अपनी सुरक्षा की मांग कर सकते हैं।

कानूनी दृष्टिकोण पर अदालत की टिप्पणी :
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार सबको है, लेकिन इसका आशय यह नहीं है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी सामाजिक व्यवस्था की अनदेखी कर राज्य से सुरक्षा की उम्मीद करे, बिना यह सिद्ध किए कि वास्तव में जान का खतरा है।

पूर्व मामलों का उल्लेख :
कोर्ट ने इससे पहले भी कई बार कहा है कि अगर प्रेम विवाह करने वाले बालिग हैं और उनके जीवन को खतरा है, तो वे थाने जाकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। लेकिन हर मामला अलग परिस्थितियों पर आधारित होता है। इस मामले में कोर्ट को ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला जिससे यह प्रतीत हो कि याचिकाकर्ताओं की जान को तत्काल खतरा है।


इस फैसले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि अदालतें प्रेम विवाह को अवैध नहीं मानतीं, लेकिन सुरक्षा देने के लिए जरूरी है कि याचिकाकर्ता यह सिद्ध करें कि उन्हें गंभीर खतरा है। केवल समाज की नाराजगी या पारिवारिक विरोध के आधार पर सुरक्षा की मांग स्वीकार्य नहीं होगी।

यह फैसला न केवल अन्य ऐसे मामलों के लिए मार्गदर्शन देगा, बल्कि समाज और प्रशासन के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रयास का भी प्रतीक है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,