श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में बाबा के थ्री-डी दर्शन का ट्रायल प्रारंभ
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में जल्द बाबा विश्वनाथ का थ्री-डी दर्शन किया जा सकेगा। मंदिर में आने वाले भक्तों को अब भौतिक के साथ आभासी दर्शन भी मिलेंगे।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में बाबा के थ्री-डी दर्शन का ट्रायल प्रारंभ
बाबा की पांचों पहर की आरती देखकर भक्त होंगे निहाल
चिलचिलाती गर्मी में लंबी कतार में खड़े होने से बच सकेंगे
वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के सभागार में थ्री-डी रियलिटी हेडसेट से आरती, राग-भोग देखते श्रद्धालु। स्रोत- मंदिर प्रशासन
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में जल्द बाबा विश्वनाथ का थ्री-डी दर्शन किया जा सकेगा। मंदिर में आने वाले भक्तों को अब भौतिक के साथ आभासी दर्शन भी मिलेंगे। मंदिर प्रशासन ने ट्रायल के लिए कुछ कंपनियों से संपर्क किया और एक कंपनी मंदिर परिसर में आने वाले श्रद्धालुओं को बाबा के थ्री-डी स्वरूप में दर्शन करा रही है।
बहुद्देशीय सभागार में कंपनी के कर्मी श्रद्धालुओं को थ्री-डी स्वरूप में बाबा विश्वनाथ की पांचों पहर की आरती और श्रृंगार आदि का दर्शन करा रहे हैं। इसके साथ ही परिसर का भव्य धाम, मां गंगा की झांकी और काशी महात्म्य भी उनके थ्री-डी दर्शन का हिस्सा है। 11 मिनट, 50 सेकंड की वर्चुअल रियलिटी दर्शन से भक्तों को दर्शन के लिए चिलचिलाती गर्मी में लंबी कतार में खड़े होने से बचने में मदद मिलेगी। मंदिर प्रशासन ने कहा कि यह सेवा अभी ट्रायल बेसिस पर है और भक्तों से फीडबैक मिलने के बाद इसे स्थायी रूप से लागू किया जाएगा। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम को नव्य भव्य स्वरूप दिए जाने के समय खाका खींचा गया था, जो मूर्त रूप लेने जा रहा है। इस संबंध में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर व विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि अभी यह ट्रायल के तौर पर है। बेहतर परिणाम आने पर इसके लिए कंपनी से अनुबंध किया जाएगा।
इसके बाद नियमित तौर पर श्रद्धालुओं के लिए बाबा की आरती, भोग-राग के त्रि-आयामी दर्शन उपलब्ध रहेंगे। किसी भी समय आने वाले श्रद्धालु इन दृश्यों को देखकर उन दिव्य पलों की गहराई से सहज अनुभूति कर सकेंगे। विश्व भूषण मिश्रा ने कहा कि थ्री-डी वर्चुअल रियलिटी एक नई तकनीक है, जिसे उज्जैन के महाकालेश्वर और माता वैष्णो देवी मंदिर जैसे विभिन्न मंदिरों में लागू किया गया है। उन मंदिरों में श्री-डी तकनीक प्रदान करने वाली कंपनी ने इसके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से संपर्क किया है।
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