अरुणाचल प्रदेश की चोटी को दलाई लामा का नाम देने पर भड़का चीन
चीन लंबे समय से अरुणाचल प्रदेश पर अपने अधिकार का दावा करता रहा है और भारत के इस राज्य को ‘जंगनान’ कहकर संबोधित करता है। हालांकि, भारत ने हमेशा चीन के दावों को खारिज किया है और स्पष्ट किया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है।
अरुणाचल प्रदेश की चोटी को दलाई लामा का नाम देने पर भड़का चीन, भारत ने किया दावे को खारिज
नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स (NIMAS) द्वारा 20,942 फीट ऊंची एक अनाम चोटी पर चढ़ाई करने और उसे छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखने के फैसले से चीन नाराज हो गया है। चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र बताने की कोशिश की है और भारत के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है।
अरुणाचल प्रदेश के मोन तवांग क्षेत्र में गोरिचेन मासिफ की अज्ञात चोटी पर भारतीय पर्वतारोहियों ने रचा इतिहास
टीम NIMAS (राष्ट्रीय पर्वतारोहण और एडवेंचर संस्थान) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इस अभियान का नेतृत्व डायरेक्टर कर्नल रणवीर जामवाल ने किया, जिसमें उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के मोन तवांग क्षेत्र में गोरिचेन मासिफ की 6,383 मीटर ऊँची अज्ञात चोटी को सफलतापूर्वक फतह किया। इस अज्ञात चोटी का नाम “त्संगयांग ग्यात्सो पीक” रखा गया है, जो मोन तवांग क्षेत्र के छठे दलाई लामा, त्संगयांग ग्यात्सो, को सम्मानित करने के लिए दिया गया है।
यह ऐतिहासिक सफलता न केवल रोमांचक साहसिक खेलों की भावना को दर्शाती है, बल्कि अरुणाचल प्रदेश के इस सुदूर क्षेत्र को विश्व के नक्शे पर साहसिक पर्यटन और अन्वेषण के नए आयामों से भी जोड़ती है। इस अभियान के माध्यम से अरुणाचल प्रदेश में एडवेंचर टूरिज्म के क्षेत्र में नए रास्ते खुलेंगे।
इस अद्वितीय अभियान की शुरुआत में इस टीम को हरी झंडी दिखाने का सम्मान प्राप्त हुआ था। टीम NIMAS को इस अद्वितीय सफलता के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!
NIMAS ने फतह की 21 हजार फुट की चोटी
NIMAS की टीम ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश की एक ऊंची और अब तक अनाम चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की और इसे छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखने का फैसला लिया। यह संस्थान रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करता है। त्सांगयांग ग्यात्सो का जन्म 1682 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में हुआ था, और उन्होंने स्थानीय मोनपा समुदाय के विकास में अहम भूमिका निभाई थी।
चीन ने जताई नाराजगी
चीन ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, "मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि जंगनान (अरुणाचल प्रदेश) चीनी क्षेत्र है। भारत द्वारा इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार की गतिविधि को हम अवैध मानते हैं।"
चीन लंबे समय से अरुणाचल प्रदेश पर अपने अधिकार का दावा करता रहा है और भारत के इस राज्य को ‘जंगनान’ कहकर संबोधित करता है। हालांकि, भारत ने हमेशा चीन के दावों को खारिज किया है और स्पष्ट किया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है।
पहले भी जताई थी आपत्ति
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर इस प्रकार का विवाद खड़ा किया हो। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल दौरे पर भी चीन ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके अलावा, चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों के नाम भी बदल दिए हैं।
भारत ने चीन के इन दावों को हमेशा बेबुनियाद बताया है और साफ कहा है कि अरुणाचल प्रदेश उसकी संप्रभुता का अभिन्न हिस्सा है।
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