14 अप्रैल: ऐतिहासिक घटनाएँ, महान व्यक्तित्व, और विशेष अवसर

14 अप्रैल: ऐतिहासिक घटनाएँ, महान व्यक्तित्व, और विशेष अवसर, April 14 Historical events great personalities and special occasions, 14 April events, Dr. B.R. Ambedkar Jayanti, significant historical events, famous birthdays, Mokshagundam Visvesvarayya, Rahul Sankrityayan, Nitin Bose, Fire Safety Day, Indian engineers, Indian literature, social reformers, Ambedkar's contribution, famous personalities, national celebrations, Indian cinema, freedom struggle, prominent leaders

Apr 12, 2025 - 21:07
 0  11
14 अप्रैल: ऐतिहासिक घटनाएँ, महान व्यक्तित्व, और विशेष अवसर

14 अप्रैल: ऐतिहासिक घटनाएँ, महान व्यक्तित्व, और विशेष अवसर

  1. 1995 - चेरनोबिल परमाणु संयंत्र का बंद करना और भारत का एशिया कप जीतना
    1995 में यूक्रेन स्थित चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र को वर्ष 2000 तक बंद करने की घोषणा की गई। यह संयंत्र 1986 में हुए घातक दुर्घटना के बाद से विवादों में था, और इसके बंद होने का निर्णय पर्यावरण सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया।
    वहीं, भारतीय क्रिकेट टीम ने चौथी बार एशिया कप क्रिकेट चैंपियनशिप जीती। यह जीत भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिसमें शानदार प्रदर्शन ने टीम की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा को और मजबूत किया।

2. 1999 - अनवर इब्राहिम को सजा
मलेशिया के पूर्व उपप्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम को भ्रष्टाचार और शारीरिक शोषण के आरोप में 1999 में छह साल की क़ैद की सज़ा सुनाई गई। यह मामला मलेशिया की राजनीति में एक बड़ा विवाद बना था। इब्राहिम की गिरफ्तारी और सजा के बाद मलेशियाई राजनीति में उथल-पुथल मच गई, और उनके समर्थकों ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा माना।

3. 2000 - रूस-यूएस 'START-2' संधि का अनुमोदन
2000 में रूस की संसद ने संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच 'START-2' परमाणु शस्त्र कटौती संधि को अनुमोदित किया। यह संधि दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करने के उद्देश्य से बनाई गई थी, जिससे वैश्विक सुरक्षा को बढ़ावा मिला। यह निर्णय शीत युद्ध के बाद दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

4. 2002 - सर्बियाई नेता का निधन
2002 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमें का सामना कर रहे सर्बियाई नेता स्लोबोदान मिलोšeविक का निधन हुआ। मिलोšeविक को युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों में न्यायालय का सामना करना पड़ रहा था। उनके निधन के साथ ही युगोस्लाविया के पतन के बाद के विवादों का एक अध्याय समाप्त हुआ, लेकिन उनका राजनीतिक प्रभाव लंबे समय तक महसूस किया गया। 

5. 2003 - एरियल शैरोन की यहूदी बस्तियाँ हटाने की सहमति
इज़राइल के प्रधानमंत्री एरियल शैरोन ने 2003 में पश्चिमी तट से कुछ यहूदी बस्तियाँ हटाने पर सहमति व्यक्त की। यह निर्णय इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच शांति की दिशा में एक कदम माना गया। हालांकि, यह फैसला इज़राइल के भीतर और बाहर दोनों जगह विवादों का कारण बना, क्योंकि यहूदी बस्तियों के हटाने का मुद्दा इज़राइल की सुरक्षा और फिलिस्तीनियों के अधिकारों से जुड़ा था।

6. 2004 - भारत और अमेरिका का ऐतिहासिक समझौता
2004 में भारत और अमेरिका ने एक ऐतिहासिक समझौता किया, जिसके तहत दोनों देशों ने अपने-अपने हवाई क्षेत्र को एक-दूसरे की एयरलाइनों के लिए खोल दिया। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन और हवाई यातायात को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण था। यह एक कदम था जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में उठाया गया।

1. 2006 - चीन में प्रथम बौद्ध विश्व सम्मेलन
2006 में चीन में प्रथम बौद्ध विश्व सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में विश्वभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी और विद्वान एकत्रित हुए, जिनका उद्देश्य बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार और इसके शांति संदेश को आगे बढ़ाना था। सम्मेलन के दौरान विभिन्न देशों में बौद्ध धर्म की स्थिति, उसकी चुनौतियाँ, और विश्व शांति में धर्म की भूमिका पर चर्चा की गई।

2. 2008 - पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नक्शा और महत्वपूर्ण घटनाएँ
2008 में उत्तर प्रदेश सरकार ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश का भौगोलिक नक्शा बनाने की घोषणा की। यह कदम क्षेत्रीय विकास और प्रशासनिक निर्णयों के लिए महत्वपूर्ण था। इसी वर्ष, किर्लोस्कर ब्रदर्स को दामोदर घाटी निगम की कोडरमा ताप विद्युत परियोजना से 166 करोड़ 77 लाख रुपये का आदेश मिला।
वहीं, 40 साल बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए मैत्री एक्सप्रेस कोलकाता और ढाका के बीच संचालित हुई। यह ट्रेन दोनों देशों के बीच शांति और दोस्ती के प्रतीक के रूप में शुरू की गई थी।
पुरातत्वविदों ने मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप से रोमन सम्राट वेलेन्स के काल के प्राचीन सिक्के बरामद करने का दावा किया, जो ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था।

3. 2010 - चक्रवाती तूफ़ान से मृत्यु
2010 में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उड़ीसा में आए चक्रवाती तूफ़ान में 123 लोगों की मृत्यु हो गई। इस तूफ़ान ने इन राज्यों में भारी तबाही मचाई, जिससे हज़ारों लोग प्रभावित हुए और संपत्ति का नुकसान हुआ। तूफ़ान के कारण होने वाली विपदा के बाद सरकार ने राहत और पुनर्निर्माण कार्यों की शुरुआत की।

4. 2011 - राष्ट्रीय सुरक्षा सूचकांक में भारत की स्थिति
2011 में राष्ट्रीय सुरक्षा सूचकांक (एनएसआई) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में भारत को दुनिया का पांचवां सबसे शक्तिशाली देश माना गया। इस सूची में अमेरिका पहले, चीन दूसरे, जापान तीसरे, और रूस चौथे स्थान पर थे। कार्य-कुशल जनसंख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर था, जबकि चीन पहले स्थान पर था। रक्षा की दृष्टि से भारत चौथी महाशक्ति के रूप में स्थापित हुआ, जो वैश्विक स्तर पर उसकी बढ़ती ताकत का संकेत था। 

1. 1862 - प्रभाशंकर पाटनी
प्रभाशंकर पाटनी 1862 में जन्मे, गुजरात के प्रमुख सार्वजनिक कार्यकर्ता थे। उनका जीवन समाज सेवा के प्रति समर्पण का उदाहरण था। उन्होंने गुजरात में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पाटनी जी का दृष्टिकोण हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के लिए काम करने का था, और उन्होंने अपने समय के सामाजिक मुद्दों पर प्रहार किया। वे गुजरात की राजनीति और सामाजिक जीवन में एक प्रेरणास्त्रोत बने।

2. 1891 - भीमराव अंबेडकर
भीमराव अंबेडकर, भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता और समाज सुधारक, 14 अप्रैल 1891 को जन्मे थे। उनका जीवन दलितों और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित था। उन्होंने भारतीय समाज में जातिवाद के खिलाफ संघर्ष किया और भारतीय संविधान के माध्यम से समानता और न्याय सुनिश्चित किया। अंबेडकर का योगदान भारतीय समाज में अमिट रहेगा, और वे भारतीय इतिहास के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक माने जाते हैं।

3. 1907 - पूरन चन्द जोशी
स्वाधीनता सेनानी पूरन चन्द जोशी का जन्म 1907 में हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया। जोशी जी ने कई आंदोलनों में भाग लिया और देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य है, और वे एक प्रेरणास्त्रोत बने।

4. 1919 - शमशाद बेगम
शमशाद बेगम का जन्म 14 अप्रैल 1919 को हुआ था, और वे हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध पार्श्वगायिका रही हैं। शमशाद बेगम ने 1940 और 1950 के दशकों में बॉलीवुड की कई हिट फिल्मों में अपनी आवाज दी। उनका गायन शास्त्रीय संगीत और लोकप्रिय धुनों का अनूठा मिश्रण था। उनके गाने आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं, और वे भारतीय फिल्म उद्योग की महत्वपूर्ण आवाजों में से एक मानी जाती हैं। 

1. 1920 - गवरी देवी
गवरी देवी का जन्म 1920 में हुआ था, और वे राजस्थान की प्रसिद्ध मांड गायिका थीं। मांड, जो कि राजस्थान की लोक गायन शैली है, में उनका योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण था। गवरी देवी ने मांड के गीतों को जनमानस तक पहुंचाया और इस कला को जीवित रखा। उनके गायन में राजस्थानी संस्कृति और परंपरा की विशेष झलक मिलती थी, और उन्हें राजस्थान की शास्त्रीय संगीत की धरोहर के रूप में याद किया जाता है।

2. 1922 - अली अकबर ख़ाँ
अली अकबर ख़ाँ का जन्म 1922 में हुआ था, और वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान सरोद वादक और संगीतकार थे। अली अकबर ख़ाँ ने शास्त्रीय संगीत में अद्वितीय योगदान दिया और उन्हें संगीत की दुनिया में एक सम्मानित स्थान प्राप्त था। उनका सरोद वादन ने भारतीय संगीत को विश्वभर में प्रसिद्ध किया। उनके संगीत की धारा ने ना केवल शास्त्रीय संगीत प्रेमियों को आकर्षित किया, बल्कि इसे एक वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।

3. 1940 - अवतार एनगिल
अवतार एनगिल का जन्म 1940 में हुआ था, और वे एक प्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार हैं। उनके लेखन ने भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान पाया। अवतार एनगिल के काव्य और लेखन में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहरी संवेदनशीलता दिखती है। उनकी कविताएँ और साहित्य ने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया और उन्हें भारतीय साहित्य जगत में एक विशिष्ट पहचान दी।

4. 1954 - ललिता वकील
ललिता वकील का जन्म 1954 में हुआ था, और वे हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध शिल्पकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ललिता वकील ने पारंपरिक शिल्प कला को जीवित रखने और उसे आधुनिक रूप में प्रस्तुत करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। साथ ही, उन्होंने महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय के लिए भी कई पहल की। उनका योगदान हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने में अद्वितीय रहा है।

5. 1957 - के. सिवन
के. सिवन का जन्म 1957 में हुआ था, और वे भारत के प्रमुख अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं। के. सिवन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख रहे और उनके नेतृत्व में भारत ने कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए। उन्होंने भारत के चंद्रयान और मंगलयान मिशनों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका कार्य अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की सशक्त उपस्थिति को स्थापित करने में बेहद महत्वपूर्ण था। 

1. 2022 - मंजू सिंह
मंजू सिंह का निधन 2022 में हुआ था। वे भारतीय हिन्दी सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री और एक सफल प्रोड्यूसर थीं। उन्होंने सिनेमा की दुनिया में अपने अभिनय और प्रोडक्शन कार्यों से महत्वपूर्ण योगदान दिया। मंजू सिंह ने कई फिल्मों और टीवी शो में अभिनय किया, और उनकी पहचान एक प्रतिभाशाली और मेहनती कलाकार के रूप में बनी। उनके निधन से भारतीय फिल्म उद्योग को एक अपूरणीय क्षति हुई।

2. 2017 - गिरीश चन्द्र सक्सेना
गिरीश चन्द्र सक्सेना का निधन 2017 में हुआ था। वे जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल थे और उनका कार्यकाल राज्य के लिए महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक कार्यों में कई सुधारों को लागू किया। उनका जीवन और कार्य जम्मू और कश्मीर के विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक था। उनके निधन से राज्य में एक महत्वपूर्ण नेता का अभाव हो गया।

3. 1859 - जमशेद जी जीजाभाई
जमशेद जी जीजाभाई का निधन 1859 में हुआ था। वे एक महान व्यापारी और दानवीर व्यक्ति थे। अपने व्यवसाय से अत्यंत धनी बनने के बाद, उन्होंने समाज सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई धर्मार्थ कार्यों को प्रोत्साहित किया और भारतीय समाज के सुधार में भाग लिया। उनका योगदान आज भी प्रेरणास्त्रोत है और वे भारतीय उद्योग के क्षेत्र में एक प्रेरणा बनकर रहे।

4. 1950 - रमण महर्षि
रमण महर्षि का निधन 1950 में हुआ था। वे बीसवीं सदी के महान संत और समाज सेवक थे। उनका जीवन आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करने वाला था। रमण महर्षि ने जीवन के गहरे रहस्यों और आत्मा की प्रकृति को समझाया और ध्यान के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करने के मार्ग को सरल और सुलभ बनाया। उनके उपदेशों ने लाखों लोगों को शांति, संतोष और आत्म-बोध की ओर मार्गदर्शन किया। 

1. 1962 - मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का निधन 1962 में हुआ था। वे भारत के महान अभियंता और राजनयिक थे। उन्होंने भारतीय इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, विशेष रूप से कृष्णराज सागर बांध के निर्माण में। उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया। विश्वेश्वरैया का योगदान भारतीय उद्योग, जल संसाधन और ढांचागत निर्माण के क्षेत्र में आज भी याद किया जाता है।

2. 1963 - राहुल सांकृत्यायन
राहुल सांकृत्यायन का निधन 1963 में हुआ था। वे हिन्दी के एक प्रमुख साहित्यकार, बुद्धिजीवी और अनुवादक थे। उन्हें "यात्री संत" के नाम से भी जाना जाता है। उनका साहित्य विशेष रूप से भारतीय समाज, संस्कृति, और भिन्न-भिन्न संस्कृतियों पर गहरी छानबीन करता है। उनका योगदान भारतीय साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण है, और उन्होंने कई प्रमुख काव्य रचनाएँ और अनुवाद किए।

3. 1986 - नितिन बोस
नितिन बोस का निधन 1986 में हुआ था। वे भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक, छायाकार और लेखक थे। नितिन बोस ने भारतीय फिल्म उद्योग में कई यादगार फिल्में बनाई और छायांकन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। उनके योगदान से भारतीय सिनेमा में तकनीकी सुधार हुए और वे एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में याद किए जाते हैं।


14 अप्रैल के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव

1. डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जयन्ती
14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती मनाई जाती है। यह दिन भारतीय समाज में उनके योगदान को याद करने का अवसर होता है। डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय संविधान की रचना की और समाज के निचले वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उनकी जयंती भारतीय समाज में सामाजिक समानता और न्याय की प्राप्ति की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जाती है।

2. अग्निशमन दिवस
14 अप्रैल को अग्निशमन दिवस मनाया जाता है, जो अग्निशमन विभाग की सेवा और योगदान को सम्मानित करने का दिन है। इस दिन, अग्निशमन कर्मचारियों की कड़ी मेहनत और साहस को सराहा जाता है, जो अपने जीवन को जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाते हैं। अग्निशमन दिवस का उद्देश्य लोगों को अग्नि सुरक्षा के बारे में जागरूक करना और अग्निशमन सेवा के महत्व को समझाना है।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,