पुराने किले में इस बार खोदाई की तकनीक बदलेगा एएसआइ

अगले माह खोदाई शुरू कराने से पहले लिडार सर्वेक्षण पर किया जा रहा विचार, पुरोन किले में छठी बार खोदाई करके ढूढी जाएगी पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ

Oct 23, 2024 - 20:02
Oct 23, 2024 - 20:04
 0
पुराने किले में इस बार खोदाई की तकनीक बदलेगा एएसआइ

पुराने किले में इस बार खोदाई की तकनीक बदलेगा एएसआइ ASI will change the digging technique in the old fort this time

नई दिल्लीः पुराने किले में इस बार खोदाई के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) तकनीक बदलने की तैयारी में है। अगले माह की शुरुआत से पुराने किले में फिर खोदाई शुरू होगी। इस बार खोदाई शुरू करने से पहले लिडार सर्वेक्षण का सहारा लेने पर विचार हो रहा है, ताकि जमीन में दबे अवशेषों तक आसानी से पहुंचा जा सके। पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए एएसआइ छठी बार पुराने किले में खोदाई कराएगा।

पुराना किला में इंद्रप्रस्थ ढूंढने के प्रयास की बात करें, तो आजादी के बाद सबसे पहले 1954-55 और इसके बाद 1969- 70, 71, 72 से 73 तक एएसआइ के पूर्व महानिदेशक पद्मभूषण प्रो बी बी बी के थापर, एमसी जोशी ने खोदाई कराई थी। इसके बाद 2013 में उस समय के एएसआइ के दिल्ली मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. वसंत स्वर्णकार ने इसके ठीक 40 बाद यहां खोदाई कराने की योजना बनाई। उन्होंने खोदाई शुरू कराई, जो 2015 तक चली। उन्होंने प्रौ. लाल से अलग स्थान पर शेर मंडल के पीछे किला परिसर में ही पीछे की तरफ निचले भाग में गए और 10 मीटर गहराई तक खोदाई कराई। इसके बाद 2017 में फिर से उसी ट्रेंच को खोला गया और खोदाई 2018 तक चली। इनमें उन्हीं ट्रेंच (गड्ढों) में पांच मीटर गहराई तक खोदाई हुई। इसके बाद यहां 2022 में कुंती मंदिर स्थल के पास नया ट्रेंच बनाया गया।
उस साल जनवरी से जून तक खोदाई हुई, जिसमें 5.50 मीटर की गहराई तक खोदाई की जा चुकी है। यहां पर उत्खन्न के दौरान पूर्व मौर्य काल, मौर्य काल, शुंग, कुषाण काल, गुप्त, उत्तर गुप्त, राजपूत काल, सल्तनत व मुगल काल और ब्रिटिश काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस दौरान कई चित्रित मृदभांड मिले हैं, जिन्हें महाभारत कालीन माना जाता है। मगर इंद्रप्रस्थ को लेकर अभी तक कोई ऐसा मजबूत प्रमाण नहीं मिल सका है। 2023 में भी खोदाई की अनुमति दी गई, मगर किन्हीं कारणों से खोदाई नहीं हो सकी।
अब फिर से 2024-25 के लिए एएसआइ ने अनुमति दी है। एएसआइ कुंती मंदिर वाले इस गड्ढे में भी और नीचे जाना चाहता है। इसके लिए उत्खनन से इंद्रप्रस्थ के प्राचीन शहर के बारे में जानकारी मिलने की उम्मीद है। दिल्ली में ये एकमात्र पुरातात्विक स्थल है, जिसका संबंध महाभारत काल से है। 
यहां मिले हैं ये पुरावशेष
कुंती मंदिर स्थल पर वैकुंठ विष्णु भगवान की 900 साल पुरानी राजपूत काल की प्रतिमा, गुप्तकाल की लगभग 1200 वर्ष पुरानी गजलक्ष्मी की एक टेराकोटा की प्रतिमा और राजपूत काल की भगवान गणेश की एक छोटी प्रतिमा, सिक्के व मुहरे मिली है, जिन्हें पढ़ा जा चुका है। इन पर ब्राह्मी लिपि में लिखा है। वहीं, शेर मंडल के पास वाली खोदाई में मौर्य काल से पहले के संरचनात्मक अवशेष में टेराकोटा का कुआं, ड्रेनेज सिस्टम, शुग-कुषाण काल से भी पुराने चार कमरों का परिसर, तांबे के कई सिक्के, कई चित्रित मृदभांड मिले हैं।
क्या है लिडार सर्वेक्षण
सर्वेक्षण में एक मशीन के जरिये पहले जमीन के अंदर बने स्ट्रक्चर या दबे अवशेषों के बारे में पता लगाया जाता है, फिर उसी के आधार पर खोदाई का दायरा बढ़ाया जाता है। इससे किसी परिणाम पर जल्द पहुंचा जा सकता है।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

सम्पादक देश विदेश भर में लाखों भारतीयों और भारतीय प्रवासियों लोगो तक पहुंचने के लिए भारत का प्रमुख हिंदी अंग्रेजी ऑनलाइन समाचार पोर्टल है जो अपने देश के संपर्क में रहने के लिए उत्सुक हैं। https://bharatiya.news/ आपको अपनी आवाज उठाने की आजादी देता है आप यहां सीधे ईमेल के जरिए लॉग इन करके अपने लेख लिख समाचार दे सकते हैं. अगर आप अपनी किसी विषय पर खबर देना चाहते हें तो E-mail कर सकते हें newsbhartiy@gmail.com