पुराने किले में इस बार खोदाई की तकनीक बदलेगा एएसआइ
अगले माह खोदाई शुरू कराने से पहले लिडार सर्वेक्षण पर किया जा रहा विचार, पुरोन किले में छठी बार खोदाई करके ढूढी जाएगी पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ
पुराने किले में इस बार खोदाई की तकनीक बदलेगा एएसआइ ASI will change the digging technique in the old fort this time
पुराना किला में इंद्रप्रस्थ ढूंढने के प्रयास की बात करें, तो आजादी के बाद सबसे पहले 1954-55 और इसके बाद 1969- 70, 71, 72 से 73 तक एएसआइ के पूर्व महानिदेशक पद्मभूषण प्रो बी बी बी के थापर, एमसी जोशी ने खोदाई कराई थी। इसके बाद 2013 में उस समय के एएसआइ के दिल्ली मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. वसंत स्वर्णकार ने इसके ठीक 40 बाद यहां खोदाई कराने की योजना बनाई। उन्होंने खोदाई शुरू कराई, जो 2015 तक चली। उन्होंने प्रौ. लाल से अलग स्थान पर शेर मंडल के पीछे किला परिसर में ही पीछे की तरफ निचले भाग में गए और 10 मीटर गहराई तक खोदाई कराई। इसके बाद 2017 में फिर से उसी ट्रेंच को खोला गया और खोदाई 2018 तक चली। इनमें उन्हीं ट्रेंच (गड्ढों) में पांच मीटर गहराई तक खोदाई हुई। इसके बाद यहां 2022 में कुंती मंदिर स्थल के पास नया ट्रेंच बनाया गया।
कुंती मंदिर स्थल पर वैकुंठ विष्णु भगवान की 900 साल पुरानी राजपूत काल की प्रतिमा, गुप्तकाल की लगभग 1200 वर्ष पुरानी गजलक्ष्मी की एक टेराकोटा की प्रतिमा और राजपूत काल की भगवान गणेश की एक छोटी प्रतिमा, सिक्के व मुहरे मिली है, जिन्हें पढ़ा जा चुका है। इन पर ब्राह्मी लिपि में लिखा है। वहीं, शेर मंडल के पास वाली खोदाई में मौर्य काल से पहले के संरचनात्मक अवशेष में टेराकोटा का कुआं, ड्रेनेज सिस्टम, शुग-कुषाण काल से भी पुराने चार कमरों का परिसर, तांबे के कई सिक्के, कई चित्रित मृदभांड मिले हैं।
क्या है लिडार सर्वेक्षण
सर्वेक्षण में एक मशीन के जरिये पहले जमीन के अंदर बने स्ट्रक्चर या दबे अवशेषों के बारे में पता लगाया जाता है, फिर उसी के आधार पर खोदाई का दायरा बढ़ाया जाता है। इससे किसी परिणाम पर जल्द पहुंचा जा सकता है।
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