अंगदान को बढ़ावा देने को नियुक्त करने होंगे स्थायी प्रत्यारोपण संयोजक

जनसंख्या के अनुपात में स्पेन, अमेरिका सहित कई देशों की तुलना में भारत में अंगदान बहुत कम नोटो ने चेतावनी दी है कि यदि निर्देश पर अमल नहीं हुआ, तो वह अगले वित्त वर्ष से अस्पतालों में संविदा पर नियुक्त प्रत्यारोपण संयोजकों के वेतन के मद में दी जाने वाली आर्थिक मदद रोक देगा।

Oct 14, 2024 - 20:43
Oct 14, 2024 - 20:47
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अंगदान को बढ़ावा देने को नियुक्त करने होंगे स्थायी प्रत्यारोपण संयोजक

अंगदान को बढ़ावा देने को नियुक्त करने होंगे स्थायी प्रत्यारोपण संयोजक

देश में हाल के वर्षों में अंगदान और अंग प्रत्यारोपण बढ़ा है। फिर भी जनसंख्या के अनुपात में स्पेन, अमेरिका सहित कई देशों की तुलना में यहां अंगदान बहुत कम है। अंगदान को लेकर राज्य सरकारें और अस्पताल कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि अस्पतालों में अंगदान में अहम भूमिका निभाने वाले प्रत्यारोपण संयोजकों के स्थायी पद भी अभी सृजित नहीं हुए हैं।

इसके मद्देनजर राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने हाल ही में सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिव, रोटो (क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन), सोटो (राज्य अंग और ऊतक संगठन) को पत्र लिखकर सरकारी अस्पतालों में प्रत्यारोपण संयोजकों के स्थायी पद सृजित करने के निर्देश दिए हैं। नोटो ने चेतावनी दी है कि यदि निर्देश पर अमल नहीं हुआ, तो वह अगले वित्त वर्ष से अस्पतालों में संविदा पर नियुक्त प्रत्यारोपण संयोजकों के वेतन के मद में दी जाने वाली आर्थिक मदद रोक देगा।

नोटो के निदेशक डा. अनिल कुमार द्वारा लिखे इस पत्र में कहा गया है कि मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (टीएचओटीए) एक्ट के तहत अंगदान और प्रत्यारोपण करने वाले अस्पतालों में प्रत्यारोपण संयोजक की नियुक्ति अनिवार्य है। प्रत्यारोपण संयोजक की नियुक्ति के बगैर किसी अस्पताल को अंग प्रत्यारोपण व रीट्रिवल का लाइसेंस जारी नहीं हो सकता। डा. अनिल कुमार ने बताया कि मौजूदा समय में देश में 892 अस्पताल अंग प्रत्यारोपण व रीट्रिवल के लिए पंजीकृत हैं। इसमें से 15 से 20 प्रतिशत सरकारी अस्पताल हैं। इस तरह देश में करीब 145 सरकारी अस्पताल अंगदान और प्रत्यारोपण को लिए, पंजीकृत हैं।


उन्होंने कहा कि अस्पताल में किसी मरीज के ब्रेनडेन होने पर पीड़ित परिवार के लोगों की काउंसलिंग और प्रेरित कर अंगदान कराने व प्रत्यारोपण तक में संयोजक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अंगदान की सहमति मिलने के बाद प्रत्यारोपण के लिए डाक्टरों, मरीजों से बातचीत करना, ग्रीन कारिडोर व दान में मिले अंग को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए पुलिस व संबंधित एजेंसियों से बात कर परिवहन की व्यवस्था करना, डोनर व अंग प्रत्यारोपण के मरीजों की जानकारी राष्ट्रीय रजिस्ट्री में पंजीकृत करने सहित कई अहम काम होते हैं।


ब्रेनडेड लोगों के अंगदान का कार्यक्रम बेहतर तरीके से चलाने के लिए प्रत्यारोपण संयोजकों की स्थायी नियुक्ति जरूरी है। 2020-21 में नोटो द्वारा सरकारी अस्पतालों में पांच वर्ष तक दो प्रत्यारोपण संयोजकों की नियुक्ति के लिए आर्थिक मदद करने का प्रविधान किया गया था।

दिल्ली के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं प्रत्यारोपण संयोजक
राज्य ब्यूरो, जागरण नई दिल्ली राजधानी में ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण संयोजक नहीं है, जो किसी मरीज के ब्रेनडेड होने पर स्वजन को अंगदान के लिए प्रेरित कर सके। इस वजह से ज्यादातर अस्पतालों में अंगदान भी नहीं हो पाता है। जिन अस्पतालों में अंगदान व अंग प्रत्यारोपण की सुविधा है, उनमें भी एम्स को छोड़कर किसी अस्पताल में स्थायी अंग प्रत्यारोपण संयोजक नहीं है।

इस वजह से अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों के भरोसे ही अंगदान व अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम चल रहे है। यही वजह है कि दिल्ली में दक्षिण भारत के राज्यों के मुकाबले अंगदान कम हो पाता है। पिछले वर्ष एनसीआर के विभिन्न अस्पतालों में ब्रेनडेड हुए 66 लोगों का अंगदान हुआ था, जिसमें से 48 कैडेवर डोनर द्वारा दान किए गए अंग ही प्रत्यारोपण में इस्तेमाल हो पाए थे। इससे करीब 140 मरीजों को जीवन मिला।

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