हम प्रेम और शांति के संवाहक, हम शौर्य और शक्ति के सागर हैं,
स्वधर्म हमारा स्वाभिमान है, हमें गर्व है कि हम हिंदू हैं।
हम मर्यादा पुरुषोत्तम भी हैं, और लीलाधर गोपाल भी,
हम वामन अवतार के सूक्ष्म रूप भी हैं, और नरसिंह के विकराल रूप भी।
हम आर्यभट्ट, चाणक्य, चरक, नानक, गौतम और महावीर हैं,
हम तुलसी, सूर, कबीर भी हैं, और दधीचि जैसे दानवीर भी।
हम श्रवण कुमार की आज्ञाकारी संतान भी हैं, और भरत-लक्ष्मण जैसे बंधु भी,
स्वधर्म हमारा स्वाभिमान है, हमें गर्व है कि हम हिंदू हैं।
आतिथ्य हमारी परंपरा है, अतिथि को हम देवता मानते हैं,
हम अपने प्राण देकर भी अपने वचनों की रक्षा करते हैं।
आचार्य हमारे वेद, ग्रंथ, गीता और रामचरितमानस को पढ़ते हैं,
हम ज्योतिष, खगोल, साहित्य और गणित में कीर्तिमान स्थापित करते हैं।
हर ज्ञान, कला, विज्ञान और विधा के मूल में हम स्थित हैं,
स्वधर्म हमारा स्वाभिमान है, हमें गर्व है कि हम हिंदू हैं।
हम भू, नभ, जल, वायु और अग्नि की पूजा और संरक्षण करते हैं,
हमारी देह पंचतत्वों से बनी है, इन्हें ही अर्पित करते हैं।
हम उचित स्थान और सम्मान देते हैं, और समभाव धर्म का पालन करते हैं,
हम अपने धर्म की रक्षा करते हैं लेकिन अतिक्रमण कभी नहीं करते।
हम दया और क्षमा के परिचायक हैं, और संवेदनशील और सहिष्णु हैं,
स्वधर्म हमारा स्वाभिमान है, हमें गर्व है कि हम हिंदू हैं।