भाषा विवाद पर प्रकाश राज से भिड़े पवन कल्याण:हिंदी थोपने का आरोप लगा तो जवाब दिया, ये समझ की कमी को दिखाता है

साउथ सुपरस्टार और तमिलनाडु के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने हाल ही में एक भाषण में हिंदी भाषा का विरोध करने वाले नेताओं को फटकार लगाई है। उन्होंने कहा है कि तमिलनाडु के लोग हिंदी का विरोध करते हैं, जबकि यहां कि फिल्मों को हिंदी में डब करके बॉलीवुड से पैसे कमाते हैं। उनका ये बयान साउथ में हिंदी भाषा के विरोध पर आया था। हालांकि इसके सामने आते ही प्रकाश राज ने उन पर हिंदी भाषा थोपने के आरोप लगाए हैं। भाषा की इस लड़ाई में अब पवन कल्याण ने भी प्रकाश राज को करारा जवाब दिया है। प्रकाश राज ने साउथ भाषा का सपोर्ट कर लिखा था, 'अपनी हिंदी भाषा हम पर मत थोपो' का मतलब है, दूसरी भाषा से नफरत किए बिना अपनी मातृभाषा और अपनी मां की रक्षा गर्व से करना। ये बात कोई पवन कल्याण को बताओ प्लीज। इसके जवाब में पवन कल्याण ने भड़कते हुए लिखा है, किसी भाषा का जबरन थोपा जाना या किसी भाषा का आंख मूंदकर सिर्फ विरोध किया जाना, दोनों ही प्रवृत्ति हमारे भारत देश की राष्ट्रीय और सांस्कृतिक एकता के मूल उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक नहीं है। मैंने कभी भी हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया। मैंने सिर्फ इसे सबके लिए अनिवार्य बनाए जाने का विरोध किया। जब एनईपी-2020 (NEP-2020) खुद हिंदी को अनिवार्य तौर पर लागू नहीं करता है, तो इसके लागू किए जाने के बारे में गलत बयानबाजी करना जनता को भ्रमित करने के अलावा और कुछ नहीं है। आगे पवन कल्याण ने लिखा है, 'एनईपी-2020' (NEP-2020) के अनुसार, छात्रों के पास एक विदेशी भाषा के साथ-साथ कोई भी दो भारतीय भाषाएं (अपनी मातृभाषा सहित) सीखने की सुविधा है। यदि वे हिंदी नहीं पढ़ना चाहते हैं, तो वे तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, संस्कृत, गुजराती, असमिया, कश्मीरी, ओडिया, बंगाली, पंजाबी, सिंधी, बोडो, डोगरी, कोंकणी, मैथिली, मैतेई, नेपाली, संथाली, उर्दू या कोई अन्य भारतीय भाषा चुन सकते हैं। बहुभाषी नीति छात्रों को अधिकाधिक विकल्प प्रदान करने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषायी विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है। राजनीतिक एजेंडे के तहत इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि मैंने इसपर अपना रुख बदल दिया है, केवल पारस्परिक समझ की कमी को दर्शाता है। जन सेना पार्टी हर भारतीय के लिए भाषायी स्वतंत्रता और शैक्षिक विकल्प के सिद्धांत पर दृढ़ता से खड़ी है। बताते चलें कि साउथ के कई राज्यों में इन दिनों हिंदी भाषा का विरोध चल रहा है। वहां साउथ की रीजनल भाषा को बढ़ावा देने के साथ ही हिंदी और अंग्रेजी के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है। हाल ही में बजट सत्र में रुपए के चिन्ह को साउथ भाषा में दर्शाया गया था, जिससे विवाद गर्मा गया है।

Mar 16, 2025 - 09:01
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भाषा विवाद पर प्रकाश राज से भिड़े पवन कल्याण:हिंदी थोपने का आरोप लगा तो जवाब दिया, ये समझ की कमी को दिखाता है
साउथ सुपरस्टार और तमिलनाडु के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने हाल ही में एक भाषण में हिंदी भाषा का विरोध करने वाले नेताओं को फटकार लगाई है। उन्होंने कहा है कि तमिलनाडु के लोग हिंदी का विरोध करते हैं, जबकि यहां कि फिल्मों को हिंदी में डब करके बॉलीवुड से पैसे कमाते हैं। उनका ये बयान साउथ में हिंदी भाषा के विरोध पर आया था। हालांकि इसके सामने आते ही प्रकाश राज ने उन पर हिंदी भाषा थोपने के आरोप लगाए हैं। भाषा की इस लड़ाई में अब पवन कल्याण ने भी प्रकाश राज को करारा जवाब दिया है। प्रकाश राज ने साउथ भाषा का सपोर्ट कर लिखा था, 'अपनी हिंदी भाषा हम पर मत थोपो' का मतलब है, दूसरी भाषा से नफरत किए बिना अपनी मातृभाषा और अपनी मां की रक्षा गर्व से करना। ये बात कोई पवन कल्याण को बताओ प्लीज। इसके जवाब में पवन कल्याण ने भड़कते हुए लिखा है, किसी भाषा का जबरन थोपा जाना या किसी भाषा का आंख मूंदकर सिर्फ विरोध किया जाना, दोनों ही प्रवृत्ति हमारे भारत देश की राष्ट्रीय और सांस्कृतिक एकता के मूल उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक नहीं है। मैंने कभी भी हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया। मैंने सिर्फ इसे सबके लिए अनिवार्य बनाए जाने का विरोध किया। जब एनईपी-2020 (NEP-2020) खुद हिंदी को अनिवार्य तौर पर लागू नहीं करता है, तो इसके लागू किए जाने के बारे में गलत बयानबाजी करना जनता को भ्रमित करने के अलावा और कुछ नहीं है। आगे पवन कल्याण ने लिखा है, 'एनईपी-2020' (NEP-2020) के अनुसार, छात्रों के पास एक विदेशी भाषा के साथ-साथ कोई भी दो भारतीय भाषाएं (अपनी मातृभाषा सहित) सीखने की सुविधा है। यदि वे हिंदी नहीं पढ़ना चाहते हैं, तो वे तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, संस्कृत, गुजराती, असमिया, कश्मीरी, ओडिया, बंगाली, पंजाबी, सिंधी, बोडो, डोगरी, कोंकणी, मैथिली, मैतेई, नेपाली, संथाली, उर्दू या कोई अन्य भारतीय भाषा चुन सकते हैं। बहुभाषी नीति छात्रों को अधिकाधिक विकल्प प्रदान करने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषायी विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है। राजनीतिक एजेंडे के तहत इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि मैंने इसपर अपना रुख बदल दिया है, केवल पारस्परिक समझ की कमी को दर्शाता है। जन सेना पार्टी हर भारतीय के लिए भाषायी स्वतंत्रता और शैक्षिक विकल्प के सिद्धांत पर दृढ़ता से खड़ी है। बताते चलें कि साउथ के कई राज्यों में इन दिनों हिंदी भाषा का विरोध चल रहा है। वहां साउथ की रीजनल भाषा को बढ़ावा देने के साथ ही हिंदी और अंग्रेजी के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है। हाल ही में बजट सत्र में रुपए के चिन्ह को साउथ भाषा में दर्शाया गया था, जिससे विवाद गर्मा गया है।

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