चुनाव में गलत बयानबाजी पर होगी कार्रवाई

किसी भी तरह की गलत, झूठी, जाति-धर्म या महिलाओं से जुड़ी बयानबाजी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन मानी जाएगी

Mar 4, 2024 - 23:19
Mar 5, 2024 - 10:06
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चुनाव में गलत बयानबाजी पर होगी कार्रवाई

चुनाव में गलत बयानबाजी पर होगी कार्रवाई

तय नियमों को तोड़ने पर प्रचार पर रोक सहित आयोग से मिलने वाली अनुमति में भी हो सकती है कटौती, चुनाव आयोग ने राजनीतिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए अपने तंत्र को किया सक्रिय

चुनाव प्रचार के गिरते स्तर पर चिंता जताने और राजनीतिक दलों को प्रचार के दौरान सिर्फ मुद्दों पर बात करने की हिदायत देने के बाद चुनाव आयोग ने अब गलत बयानबाजी करने वालों के विरुद्ध सख्ती से पेश आने की तैयारी शुरू कर दी है। आयोग ने राजनीतिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए अपने तंत्र को सक्रिय कर दिया है। इसमें राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के साथ प्रत्याशियों से जुड़ी बैठकों, सभाओं, भाषणों व बयानों पर विशेष नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही इसकी रिपोर्ट साझा करने को भी कहा है।

चुनाव आयोग ने इंटरनेट मीडिया को लेकर भी बढ़ाई सतर्कता

किसी भी तरह की गलत, झूठी, जाति-धर्म या महिलाओं से जुड़ी बयानबाजी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन मानी जाएगी

आयोग के अनुसार, किसी भी तरह की गलत, झूठी जाति-धर्म व महिलाओं आदि से जुड़ी बयानबाजी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन मानी जाएगी। ऐसे राजनीतिक दलों के प्रचारकों और उनके प्रत्याशियों के विरुद्ध तय नियमों के तहत कार्रवाई होगी। जिसमें उन्हें चुनाव प्रचार से रोका जा सकता है। साथ ही उनके विरुद्ध नियमों के तहत आपराधिक मामले भी दर्ज कराए जा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर स्टार प्रचारकों की संख्या कम की जा सकती है। प्रचार के दौरान चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की बढ़ती हलचल व राजनीतिक दलों की ओर से प्रत्याशियों के नाम घोषित किए जाने के साथ ही इंटरनेट मीडिया पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है। ऐसे में सभी जिलों में एसडीएम स्तर के अधिकारियों की देखरेख में इस पर नजर रखने के लिए टीम तैयार करने का निर्देश दिया है। इस टीम को निर्देश है कि इंटरनेट मीडिया पर चलने वाले गलत तथ्यों की जानकारी के साथ त्वरित टिप्पणी करें ताकि स्थिति साफ हो ।

स्वीकृत वाहनों की संख्या में कटौती व रैलियों आदि की अनुमति को भी रद किया जा सकता है। आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक यह सारी तैयारी पुराने अनुभवों को देखते हुए की जा रही है, जो चुनावी माहौल में अपने बयानों से कटुता खोल देते हैं।

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