अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो - भारत से हर रोज गायब होती हैं 345 लड़कियां, आखिर किसकी बन रहीं शिकार? NCRB की 2022 की रिपोर्ट के चौंकाने वाले आंकड़े

Aug 29, 2024 - 05:41
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"अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो" - भारत से हर रोज गायब होती हैं 345 लड़कियां, आखिर किसकी बन रहीं शिकार?

NCRB की 2022 की रिपोर्ट के चौंकाने वाले आंकड़े

भारत में हर रोज 345 लड़कियां गायब हो जाती हैं। ये आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट से सामने आए हैं, जो हमारे समाज की एक भयावह सच्चाई को उजागर करते हैं। इन 345 लड़कियों में से 170 का अपहरण हो जाता है, 172 लड़कियां लापता हो जाती हैं, और लगभग 3 लड़कियों की तस्करी की जाती है। इन लड़कियों में से कुछ को तो खोज लिया जाता है, लेकिन अधिकांश के बारे में कुछ भी पता नहीं चलता।

भारत में महिलाओं और लड़कियों के गायब होने के सालाना आंकड़े

2023 में भारतीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस रिपोर्ट में बताया गया कि 2019 से 2021 के बीच 13.13 लाख से अधिक महिलाएं और लड़कियां भारत से गायब हो गईं। इनमें 18 साल से अधिक उम्र की 10,61,648 महिलाएं और 18 साल से कम उम्र की 2,51,430 लड़कियां शामिल हैं। यह आंकड़े न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि हमारे समाज की एक गंभीर समस्या की ओर इशारा करते हैं।

कौन से राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित?

राज्यवार आंकड़ों पर नजर डालें तो मध्य प्रदेश में सबसे अधिक महिलाएं और लड़कियां गायब हो रही हैं। 2019 से 2021 के बीच, मध्य प्रदेश से 1,60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियां लापता हुईं। पश्चिम बंगाल इस मामले में दूसरे स्थान पर है, जहां 1,56,905 महिलाएं और 36,606 लड़कियां गायब हो गईं। महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है, जहां 1,78,400 महिलाएं और 13,033 लड़कियां लापता हो गईं।

तस्करी और अपहरण की शिकार होती लड़कियां और कुछ प्रेम के चक्र में जाती है 

NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में भारत में कुल 2,250 मानव तस्करी के मामले दर्ज किए गए, जिनमें 6,036 लोग पीड़ित थे। इनमें 1,059 लड़कियां शामिल थीं। इसी साल 62,099 लड़कियों के अपहरण और 62,946 लड़कियों के लापता होने के मामले भी दर्ज किए गए। इन मामलों में से कई लड़कियों को बचा लिया गया, लेकिन बहुत सी लड़कियों का अब तक कोई अता-पता नहीं है।

समाज की जिम्मेदारी है 

यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि समाज के हर वर्ग को इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। सरकार और कानून व्यवस्था को मजबूत करने के साथ ही समाज को भी इस दिशा में जागरूक होने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी बेटियां सुरक्षित रहें और उनके सपनों का गला न घोंटा जाए।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार