UP लखनऊ: अपने मतदाताओं को दिया बढ़त का मनोवैज्ञानिक संदेश
राहुल-अखिलेश ने की इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये भाजपा को घेरने की कोशिश
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अपने मतदाताओं को दिया बढ़त का मनोवैज्ञानिक संदेश
राहुल-अखिलेश ने की इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये भाजपा को घेरने की कोशिश
लखनऊ: राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने साझी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने समर्थक मतदाताओं को बढ़त का मनोवैज्ञानिक संदेश देने का प्रयास किया। सोशल मीडिया पर इलेक्टोरल बॉन्ड को जिस तरह से भ्रष्टाचार के चरम के रूप में पेश किया जा रहा है, उसको भांपते हुए दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की पूरी कोशिश की। यह बताना भी न भूले कि यूपी में इंडिया गठबंधन, एनडीए के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत है।
पहले चरण के चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सोची-समझी रणनीति के तहत दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने बुधवार को साझी प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दिन रामनवमी का पर्व महज संयोग नहीं कहा जा सकता। ये भी उनकी रणनीति का हिस्सा था, क्योंकि दोनों ने ही पर्व की शुभकामनाएं भी दीं। राहुल गांधी ने भाजपा को लेकर 180-150 सीटों की बात कहकर मतदाताओं को निर्णय लेने में किसी दुविधा में न रहने का पाठ भी पढ़ाया। यह किसी से छिपा नहीं है कि सपा से जुड़ी कई अल्पसंख्यक शख्सियतों ने दोनों पार्टियों के गठबंधन के लिए मजबूती से पैरवी की है। इसके पीछे का तर्क यह था कि सपा के राष्ट्रीय विपक्षी गठबंधन में शामिल होने पर ही मुस्लिम उसके साथ मजबूती से खड़ा रह सकेगा। जितना मैदान में जीतना जरूरी है, उतना ही मनोवैज्ञानिक रूप से भी मजबूत होने की धारणा का बनना जरूरी है।
पहले चरण के चुनाव प्रचार के अंतिम दिन इसी रणनीति के तहत दोनों नेता मीडिया के जरिये जनता के सामने आए। वो भी अपने ठेठ अंदाज में। राहुल गांधी ने 2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 'चौकीदार चोर है' का नारा दिया था, जो अपेक्षित परिणाम नहीं दे सका था। वहीं, इस चुनाव में भी उन्होंने अपना यह स्टैंड कायम रखा है।
उन्होंने सवाल दागा कि अगर इलेक्टोरल बॉन्ड सही है तो सुप्रीम कोर्ट ने उस व्यवस्था को रद्द क्यों किया? उन्होंने जबरन वसूली योजना बताते हुए प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार का चैंपियन बताया। बेरोजगारी, महंगाई और भागीदारी के सवाल उठाकर जनता की नब्ज पर हाथ रखने का प्रयास भी दिखा। अखिलेश यादव ने भी भाजपा को भ्रष्टाचारियों का गोदाम बताकर मजबूती से उसके खिलाफ खड़े रहने का संदेश दिया। और यह भी कि न डरे हैं और न डरेंगे।
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