आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले – मुसलमान और ईसाई भी आ सकते हैं संघ में

आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी धर्म या जाति के खिलाफ नहीं है। मुसलमान और ईसाई भी संघ में शामिल हो सकते हैं, अगर वे खुद को भारत माता का पुत्र मानें।

Nov 10, 2025 - 08:31
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले – मुसलमान और ईसाई भी आ सकते हैं संघ में

आरएसएस में मुसलमान भी शामिल हो सकते हैं? संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दिया बड़ा बयान

बेंगलुरु, 10 नवंबर 2025:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान संघ की विचारधारा और नीतियों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि आरएसएस किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि नीतियों का समर्थन करता है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ सभी समुदायों का स्वागत करता है, चाहे वे मुसलमान हों, ईसाई हों या किसी अन्य धर्म से जुड़े हों—बशर्ते वे खुद को भारत माता का पुत्र मानें

“संघ में सभी का स्वागत है” — मोहन भागवत

संघ प्रमुख ने कहा,

“आरएसएस मुसलमानों और ईसाइयों सहित सभी समुदायों का स्वागत करता है। कोई भी व्यक्ति जो खुद को भारत माता का पुत्र और व्यापक हिंदू समाज का हिस्सा मानता है, वह संघ में आ सकता है। संघ किसी से उसकी जाति या धर्म नहीं पूछता।”

उन्होंने बताया कि आज भी कई मुसलमान और ईसाई शाखाओं में आते हैं, और उन्हें किसी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता।

“हम यह नहीं गिनते कि कौन हिंदू है, कौन मुसलमान। हम सब भारत माता के पुत्र हैं,”
भागवत ने कहा।

संघ न किसी पार्टी का, न किसी व्यक्ति का समर्थन करता है

मोहन भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि आरएसएस किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करता, बल्कि नीतियों के आधार पर अपनी राय बनाता है। उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य समाज को जोड़ना है, जबकि राजनीति अक्सर समाज को बांटने का काम करती है।

“हम चुनाव में भाग नहीं लेते। हां, जब कोई नीति या कदम राष्ट्रहित में होता है, तो हम उसका समर्थन करते हैं। जैसे अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा। अगर कांग्रेस ने वह काम किया होता, तो हम उनका समर्थन करते।”

संघ की 100 साल की यात्रा

इस मौके पर भागवत ने संघ की 100 वर्षों की यात्रा का भी उल्लेख किया और कहा कि संगठन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र निर्माण और समाज को एकजुट करना है। उन्होंने कहा कि संघ की विचारधारा भारतीय संस्कृति और परंपरा पर आधारित है, जो सभी धर्मों को सम्मान देती है।


मुख्य बिंदु:

  • आरएसएस में मुसलमान और ईसाई भी शामिल हो सकते हैं

  • संघ धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करता

  • किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं, केवल नीतियों का समर्थन

  • भारत माता की संतान होने की भावना को संघ की पहचान बताया गया।

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,