23 मार्च का इतिहास सभी जानना चाहिए

भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है। यहां कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया गया है जो 23 मार्च के दिन घटित हुईं

Mar 23, 2024 - 14:54
Mar 23, 2024 - 15:06
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23 मार्च का इतिहास सभी जानना चाहिए

आज आपको याद रखना होगा 23 मार्च का इतिहास

23 मार्च का इतिहास मुख्य रूप से भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है। यहां कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया गया है जो 23 मार्च के दिन घटित हुईं:

  1. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम: 23 मार्च, 1931 को भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर में फाँसी की सजा दी गई थी। उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन को एक नया जोश और प्रेरणा दी।

  2. भारतीय अंग्रेज़ों की प्रतिक्रिया: भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फाँसी के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के खिलाफ और उनके आंदोलनों को दबाने के लिए कड़ी कार्रवाई की।

  3. मार्च 23 को और भी महत्वपूर्ण घटनाएँ:

  • 23 मार्च, 1933 को भारतीय संगठन अकाली दल की स्थापना हुई थी, जो निरंतर सिखों के हित में काम करता है।
  • 23 मार्च, 1940 को भारतीय विश्वविद्यालय कानपुर में स्थापित हुआ था।

आज के  दिन के इतिहास में ये घटनाएं महत्वपूर्ण हैं जो भारतीय इतिहास के अमूल्य अंश हैं। इस दिन को याद करके हम अपने महान वीरों और उनके संघर्षों को सम्मानित करते हैं और उनके साथ हमारे देश के स्वतंत्रता और समृद्धि के लिए काम करने का संकल्प लेते हैं।

स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फाँसी की घटना भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। इन तीनों स्वतंत्रता सेनानियों को 23 मार्च, 1931 को लाहौर जेल में फाँसी की सजा सुनाई गई थी। यह घटना उनके बलिदान और अदम्य साहस की प्रतीक है, जो भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में नवीनतम जोश और उत्साह को प्रेरित करती है।

इन तीनों का सम्बंध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से था, और उन्होंने अपने जीवन की आहुति देकर देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उनकी शहादत ने भारतीय जनता को एक समर्पित और संघर्षशील दृष्टिकोण दिया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा मिली। इनकी स्मृति को हमेशा सम्मान दिया जाता है और उनकी योगदान को याद करके देशवासियों को स्वतंत्रता और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है।

भगत सिंह कोन थे 

भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उनका जन्म 27 सितंबर 1907 को पंजाब के बंगा गाँव में हुआ था। भगत सिंह का पूरा नाम शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह था।

भगत सिंह ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन किया। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूत करने के लिए काम किया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फ़ौज में भी शामिल होकर अपने संघर्ष को आगे बढ़ाया।

भगत सिंह का सर्वाधिक चर्चित कारनामा 23 मार्च 1931 को लाहौर के प्रिसन से भागना और फिर उनकी गिरफ्तारी के बाद उनकी शहादत हुई। उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर में 23 मार्च 1931 को फाँसी की सजा दी गई थी, जिसकी याद में भारत में हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगत सिंह की साहित्यिक रचनाओं, उनके विचारों और उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है और उन्हें देशभक्ति के उदाहरण के रूप में स्मृति में रखा जाता है।

इतिहास में 23 मार्च

सुखदेव थापर भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका पूरा नाम श्री सुखदेव थापर था। वे 15 मई 1907 को पंजाब के जलंधर जिले के नांगल विलेज़ में जन्मे थे। सुखदेव ने भगत सिंह और राजगुरु के साथ मिलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आस्था की स्थापना की थी, जो भारतीय स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही थी।

सुखदेव की शिक्षा व ज्ञान में गहरी रुचि थी और वे अपने विचारों और क्रियाओं से युवाओं में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। सुखदेव को भी भगत सिंह के साथ 23 मार्च 1931 को लाहौर में फाँसी की सजा दी गई थी। उनकी शहादत ने भारतीय युवा पीढ़ी को संगठित होकर स्वतंत्रता के लिए समर्पित होने की प्रेरणा दी। आज भी उन्हें देशभक्ति और वीरता की मिसाल के रूप में याद किया जाता है।

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जगुरु देवी ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने सत्याग्रह, अहिंसा, और गांधीजी के आदर्शों का पालन करते हुए अपने संघर्ष में भाग लिया।

23 मार्च 1931 को लाहौर में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु देवी को फाँसी की सज़ा दी गई थी। उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया जोश और प्रेरणा दी और लोगों में स्वतंत्रता के लिए समर्पण की भावना को मजबूत किया। राजगुरु देवी जैसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत ने भारतीय जनता को आज़ादी की लड़ाई में एकजुट किया। उन्हें स्मृति में समर्पित करते हुए हमें गर्व की अनुभूति होती है।

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