21 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण घटनाएँ, जन्म, और निधन

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Oct 20, 2024 - 06:20
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21 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण घटनाएँ, जन्म, और निधन

21 अक्टूबर 1296 - अलाउद्दीन ख़िलजी ने दिल्ली की गद्दी संभाली:
अलाउद्दीन ख़िलजी दिल्ली सल्तनत के ख़िलजी वंश का दूसरा शासक बना। उसने अपने चाचा और ससुर जलालुद्दीन ख़िलजी की हत्या करके सत्ता हासिल की। अलाउद्दीन ने अपनी सत्ता को सुदृढ़ करने के लिए कई कड़े सुधार किए, जैसे कि बाजार व्यवस्था और कृषि करों में बदलाव। उसने मंगोल आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना किया और दिल्ली सल्तनत को व्यापक विस्तार दिया।

21 अक्टूबर 1555 - इंग्लैंड की संसद ने फिलिप को स्पेन के राजा के रूप में मानने से मना किया:
फिलिप, इंग्लैंड की रानी मैरी प्रथम का पति था, और संसद ने उसे स्पेन के राजा के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया। इंग्लैंड और स्पेन के बीच राजनीतिक और धार्मिक मतभेदों के कारण यह विवाद उत्पन्न हुआ। यह निर्णय इंग्लैंड के स्वतंत्रता के प्रति संसद के रवैये को दर्शाता है, जो विदेशी प्रभाव से अपने देश को सुरक्षित रखना चाहती थी।

1727 - रूस और चीन ने सीमाओं को सही करने के लिए समझौते किए:
रूस और चीन के बीच 1727 में किए गए समझौते ने दोनों देशों की सीमा को औपचारिक रूप से तय किया। यह समझौता दोनों देशों के बीच स्थायी शांति और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण था। इसके परिणामस्वरूप, मध्य एशिया में स्थिरता आई और सीमा विवाद कम हुए।

21 अक्टूबर 1854 - फ्लोरेंस नाइटिंगेल को 38 नर्सों के साथ क्रीमिया युद्ध में भेजा गया:
फ्लोरेंस नाइटिंगेल, एक अंग्रेजी नर्स, को क्रीमिया युद्ध के दौरान घायल सैनिकों की देखभाल के लिए भेजा गया। उन्होंने नर्सिंग के पेशे में क्रांति लाई, जिससे चिकित्सा देखभाल की स्थिति में काफी सुधार हुआ। उनके प्रयासों के कारण नर्सिंग एक सम्मानित पेशा बन गया और स्वास्थ्य सेवा में बदलाव लाए।

21 अक्टूबर 1871 - अमेरिका में पहला अव्यवसायी आउटडोर एथलेटिक खेल (न्यूयॉर्क) हुआ:
21 अक्टूबर 1871 को, न्यूयॉर्क में पहला अव्यवसायिक आउटडोर एथलेटिक खेल आयोजित हुआ। यह घटना अमेरिकी खेल संस्कृति के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम था और इसके बाद स्कूलों और कॉलेजों में संगठित खेलों का चलन बढ़ा। इसने एथलेटिक स्पर्धाओं को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

21 अक्टूबर 1918 - मार्गेट ओवन ने 1 मिनट में 170 वीपीएम की टाइपिंग स्पीड के साथ विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया:
अमेरिकी टाइपिस्ट मार्गेट ओवन ने 1918 में एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की जब उन्होंने 1 मिनट में 170 शब्द प्रति मिनट (वीपीएम) की टाइपिंग स्पीड के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाया। यह उस समय के लिए एक आश्चर्यजनक गति थी और टाइपिंग दक्षता के लिए एक मानक स्थापित किया, जिसे बाद में पेशेवर टाइपिस्टों ने प्रेरणा के रूप में लिया।

1934 - जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया:
जयप्रकाश नारायण और उनके साथियों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर एक सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया। इसका उद्देश्य समाजवाद के सिद्धांतों पर आधारित एक समानतावादी और स्वतंत्र भारत की स्थापना करना था। यह पार्टी आज़ादी के आंदोलन में एक महत्वपूर्ण धारा बन गई और कांग्रेस से अलग होकर समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाया।

21 अक्टूबर 1934 - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिंद फ़ौज की स्थापना सिंगापुर में की:
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में भारतीय स्वतंत्रता के लिए आज़ाद हिंद फ़ौज की स्थापना की। यह फौज भारतीयों से मिलकर बनी थी, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन से भारत को आज़ाद कराना था। बोस ने इसके माध्यम से भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

21 अक्टूबर 1945 - फ्रांस में महिलाओं को पहली बार वोट करने का अधिकार मिला:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, 21 अक्टूबर 1945 को फ्रांस में महिलाओं को पहली बार मतदान का अधिकार मिला। यह फ्रांसीसी समाज में एक बड़ा बदलाव था, जिससे महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्राप्त हुए और उन्हें समाज में समानता और स्वतंत्रता का हिस्सा बनाया गया।

1948 - संयुक्त राष्ट्र ने आण्विक हथियार नष्ट करने के रूस के प्रस्ताव को ठुकराया:
रूस ने संयुक्त राष्ट्र में आणविक हथियारों को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन यह प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया। यह घटना शीत युद्ध के दौरान वैश्विक हथियार नियंत्रण की जटिलताओं और देशों के बीच असहमतियों को दर्शाती है। इस अस्वीकृति ने परमाणु शक्ति की दौड़ को और तेज कर दिया।

21 अक्टूबर 1950 - बेल्जियम में मृत्यु दंड समाप्त:
बेल्जियम ने 1950 में अपने कानूनी ढांचे से मृत्यु दंड को हटा दिया, जिससे यह मानवाधिकारों की रक्षा के मामले में एक अग्रणी देश बन गया। इस निर्णय के बाद, अन्य यूरोपीय देशों में भी मृत्युदंड के खिलाफ अभियान तेज हुए, और यह निर्णय आधुनिक न्यायिक व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

21 अक्टूबर 1951 - भारतीय जनसंघ की स्थापना:
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो भारतीय राजनीति में एक प्रमुख दक्षिणपंथी पार्टी के रूप में उभरी। इसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद और हिंदू धर्म के सिद्धांतों पर आधारित समाज की स्थापना करना था। आगे चलकर, यह पार्टी भारतीय जनता पार्टी के रूप में विकसित हुई।

21 अक्टूबर 1954 - भारत और फ्रांस ने पुदुचेरी को भारतीय गणतंत्र में शामिल करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया:
भारत और फ्रांस ने पुदुचेरी, करैकल, और माहे को भारतीय गणराज्य में मिलाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया, जो 1 नवंबर 1954 को लागू हुआ। यह औपनिवेशिक युग के अंत का प्रतीक था और भारत की स्वतंत्रता के बाद फ्रांसीसी उपनिवेशों का शांतिपूर्ण एकीकरण हुआ।

21 अक्टूबर 1970 - नारमन इ बारलॉग को नोबेल का शांति पुरस्कार दिया गया:
अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक नारमन इ बारलॉग को 21 अक्टूबर 1970 को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने हरित क्रांति की अगुवाई की और दुनिया भर में खाद्य उत्पादन बढ़ाने में मदद की, जिससे भूखमरी कम हुई। उनके काम ने कृषि उत्पादन को नया स्वरूप दिया और विश्व स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में योगदान दिया।

1999 - सुकर्णो पुत्री मेघावती इंडोनेशिया की उप-राष्ट्रपति चुनी गयीं:
सुकर्णो की बेटी मेघावती सुकर्णोपुत्री 1999 में इंडोनेशिया की उप-राष्ट्रपति चुनी गईं। उनकी राजनीतिक यात्रा ने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों और स्थिरता को पुनर्स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मेघावती इंडोनेशिया की पहली महिला राष्ट्रपति भी बनीं, जो महिला नेतृत्व के लिए एक प्रतीक बन गईं।

21 अक्टूबर 2003 - चीन और पाकिस्तान का नौसैनिक अभ्यास प्रारम्भ:
चीन और पाकिस्तान ने 21 अक्टूबर 2003 को एक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास शुरू किया। यह दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए उनकी संयुक्त रणनीति का प्रतीक था। इस अभ्यास ने समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में उनके संबंधों को और मजबूत किया।

21 अक्टूबर 2005 - पाकिस्तान की मुख्तारन माई 'वूमैन ऑफ द इयर' चुनी गई:
मुख्तारन माई, पाकिस्तान की सामूहिक बलात्कार पीड़िता, ने 2005 में ‘वूमैन ऑफ द इयर’ का खिताब जीता। उन्होंने अपने साथ हुए अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी और महिलाओं के अधिकारों की आवाज़ बनीं। मुख्तारन माई का साहस और न्याय के लिए उनकी लड़ाई वैश्विक स्तर पर सराही गई।

21 अक्टूबर 2007 - भारतीय मूल के बॉबी जिंदल ने अमेरिका के लुसियाना राज्य में गवर्नर पद जीता:
भारतीय मूल के अमेरिकी राजनीतिज्ञ बॉबी जिंदल ने 2007 में लुसियाना प्रांत के गवर्नर का चुनाव जीता। वे लुसियाना के पहले भारतीय-अमेरिकी गवर्नर बने। उनकी इस जीत ने अमेरिका में भारतीय समुदाय की राजनीतिक उपस्थिति को मजबूत किया और विभिन्न समुदायों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व का प्रतीक बनी।

21 अक्टूबर 2008 - भारत और पाकिस्तान के बीच 61 वर्ष बाद कारवाँ-ए-तिजास शुरू हुआ:
21 अक्टूबर 2008 को, भारत और पाकिस्तान के बीच 61 वर्षों के बाद कारवाँ-ए-तिजास शुरू हुआ। इस पहल का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना था। इसने भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोले और सीमा पार के रिश्तों को सुधारने में मदद की।

21 अक्टूबर 2012 - सायना नेहवाल ने डेनमार्क ओपन सुपर सीरीज ख़िताब अपने नाम किया:
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने 2012 में डेनमार्क ओपन सुपर सीरीज का ख़िताब जीतकर अपनी काबिलियत का परिचय दिया। यह जीत उनके करियर की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक थी और भारतीय बैडमिंटन को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई। उन्होंने इस प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए शीर्ष खिलाड़ियों को हराया और भारतीय बैडमिंटन में नई उम्मीदें जगाईं। सायना की यह जीत भारतीय खेल प्रेमियों के लिए गर्व का क्षण था और उन्होंने इस खेल में भारत का परचम ऊंचा किया।

21 अक्टूबर 2013 - कनाडा की संसद ने मलाला युसफजई को कनाडा की नागरिकता प्रदान की:
2013 में कनाडा की संसद ने शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली मलाला युसफजई को सम्मानित करते हुए उन्हें मानद नागरिकता प्रदान की। मलाला पाकिस्तान की एक युवा एक्टिविस्ट हैं, जिन्होंने तालिबान के आतंक के बावजूद लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए आवाज उठाई। उनके साहस और संघर्ष ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, और कनाडा ने उनके संघर्ष को मान्यता देते हुए इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा। यह नागरिकता उनके योगदान को सम्मानित करने और मानवाधिकारों के प्रति कनाडा के समर्थन का प्रतीक थी।

21 अक्टूबर 2014 - प्रसिद्ध पैरालम्पिक धावक ऑस्कर पिस्टोरियस को अपनी प्रेमिका रीवा स्टीनकेंप की हत्या के लिये पांच साल की कैद की सजा:
दक्षिण अफ्रीकी पैरालम्पिक धावक ऑस्कर पिस्टोरियस को 2014 में अपनी प्रेमिका रीवा स्टीनकेंप की हत्या के लिए पांच साल की सजा सुनाई गई। यह मामला दुनिया भर में सुर्खियों में रहा, जिसमें पिस्टोरियस ने दावा किया कि उन्होंने गलती से रीवा को चोर समझ लिया था। अदालत ने उन्हें गैर-इरादतन हत्या का दोषी पाया। पिस्टोरियस, जिन्हें "ब्लेड रनर" के नाम से जाना जाता है, अपनी खेल उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध थे, लेकिन यह मामला उनके जीवन का एक दुखद मोड़ बन गया।

21 अक्टूबर 1939 - हेलन:
हेलन हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री और नर्तकी हैं, जिन्हें विशेष रूप से 1950-70 के दशक में 'कैबरे क्वीन' के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने करियर में सैकड़ों फ़िल्मों में डांस नंबर किए, जिनमें "पिया तू अब तो आजा" और "महबूबा महबूबा" जैसे आइकॉनिक गाने शामिल हैं। हेलन के शानदार डांसिंग स्टाइल और अदाकारी ने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक अनोखी पहचान दिलाई। उनके बेहतरीन योगदान के लिए उन्हें 2009 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान 'फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड' से नवाजा गया।

21 अक्टूबर 1937 - फ़ारूक़ अब्दुल्ला:
फ़ारूक़ अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनीतिज्ञ और नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता हैं। वह कई बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और केंद्र सरकार में भी मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। अब्दुल्ला ने अपने पिता शेख़ अब्दुल्ला के नक्शे-कदम पर चलते हुए राजनीति में प्रवेश किया और कश्मीर की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कश्मीर के विशेष दर्जे से लेकर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 पर उनकी विचारधारा उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में भी खास पहचान देती है।

21 अक्टूबर 1931 - शम्मी कपूर:
शम्मी कपूर भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता थे, जो अपने अनोखे अभिनय और म्यूजिकल फ़िल्मों के लिए जाने जाते हैं। 1950-60 के दशक में उन्होंने 'जंगली', 'तीसरी मंज़िल' और 'कश्मीर की कली' जैसी हिट फ़िल्में दीं। उनके ज़िंदादिल व्यक्तित्व और रोमांटिक भूमिकाओं ने उन्हें एक सुपरस्टार बना दिया। शम्मी कपूर ने अपने अभिनय करियर में हमेशा एक नया अंदाज पेश किया और अपने समय के प्रमुख अभिनेताओं में शुमार रहे।

21 अक्टूबर 1925 - सुरजीत सिंह बरनाला:
सुरजीत सिंह बरनाला पंजाब के प्रमुख राजनीतिज्ञ और शिरोमणि अकाली दल के नेता थे। वह 1985-1987 के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। बरनाला ने राजनीति के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में भी योगदान दिया। उनकी छवि एक ईमानदार और सादगी पसंद नेता की रही, जिन्होंने कठिन समय में पंजाब की राजनीति को संभाला। इसके अलावा वह तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

21 अक्टूबर 1957 - अशोक लवासा:
अशोक लवासा भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त और एक वरिष्ठ नौकरशाह रहे हैं। 2020 में चुनाव आयुक्त पद से इस्तीफा देकर उन्होंने एशियन डेवलपमेंट बैंक के उपाध्यक्ष का पद संभाला। चुनाव आयोग में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने चुनाव सुधार और पारदर्शिता पर जोर दिया। उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण चुनाव आयोजित किए गए। लवासा की प्रशासनिक क्षमता और ईमानदारी के कारण उन्हें भारत के उच्च प्रशासनिक पदों पर जिम्मेदारियां मिलीं।

21 अक्टूबर 1889 - काशीनाथ नारायण दीक्षित:
काशीनाथ नारायण दीक्षित भारतीय पुरातत्व के प्रसिद्ध विद्वान थे, जिन्होंने भारतीय इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई भारतीय पुरातात्विक स्थलों की खोज और उत्खनन में भाग लिया। काशीनाथ दीक्षित भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के सदस्य भी रहे और भारतीय सभ्यता के विभिन्न पहलुओं पर शोध कार्य किया। उनके कार्य ने भारतीय इतिहास और संस्कृति को बेहतर ढंग से समझने में मदद की।

21 अक्टूबर 1887 - कृष्ण सिंह:
कृष्ण सिंह बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्हें 'श्रीबाबू' के नाम से भी जाना जाता है। वह स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे और बिहार के विकास में उनका बड़ा योगदान था। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक सुधारों पर जोर दिया और शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योजनाएँ शुरू कीं। उनके नेतृत्व में बिहार ने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की और उनका नाम बिहार के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है।

21 अक्टूबर 1830 - नैन सिंह रावत:
नैन सिंह रावत भारतीय खोजकर्ता थे, जिन्होंने तिब्बत और हिमालयी क्षेत्रों की व्यापक खोज की। ब्रिटिश भारत में सर्वेक्षण के दौरान, उन्होंने इन दुर्गम इलाकों की विस्तार से नक्शा बनाने का काम किया। नैन सिंह रावत ने अपनी साहसिक यात्राओं के दौरान कई नए मार्ग खोजे और भूगोल के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। उन्हें उनकी सेवाओं के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा सम्मानित किया गया और वह भारतीय अन्वेषण इतिहास में एक प्रमुख नाम हैं।


21 अक्टूबर को हुए निधन

21 अक्टूबर 2012 - यश चोपड़ा:
यश चोपड़ा भारतीय सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक थे, जिन्हें रोमांटिक फिल्मों का जादूगर कहा जाता है। उनकी चर्चित फिल्में जैसे 'दीवार', 'कभी कभी', 'दिल तो पागल है', और 'वीर ज़ारा' ने उन्हें सिनेमा का दिग्गज बना दिया। यश चोपड़ा की फिल्मों ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई, बल्कि भारतीय सिनेमा को विश्व मंच पर पहचान दिलाई। 2012 में उनके निधन ने सिनेमा जगत में एक युग का अंत कर दिया।

21 अक्टूबर 1998 - अजीत:
अजीत हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध खलनायक अभिनेता थे, जिनका असली नाम हामिद अली खान था। 1950-60 के दशक में वह हीरो के रूप में लोकप्रिय थे, लेकिन बाद में खलनायक की भूमिका में उन्होंने जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की। अजीत की संवाद अदायगी और स्टाइलिश व्यक्तित्व ने उन्हें एक आइकॉनिक खलनायक बना दिया। उनके डायलॉग्स "मोना डार्लिंग" और "लिली डोंट बी सिली" आज भी दर्शकों के बीच मशहूर हैं।


21 अक्टूबर के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव

पुलिस स्मृति दिवस:
पुलिस स्मृति दिवस 21 अक्टूबर को उन पुलिसकर्मियों के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने देश की सुरक्षा और सेवा के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी। यह दिन उन पुलिसकर्मियों की बहादुरी और त्याग को याद करने का अवसर है, जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने में योगदान दिया। इस दिन पुलिस बलों के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और उनकी सेवाओं का सम्मान किया जाता है।

21 अक्टूबर  विश्व आयोडीन अल्पता दिवस:
विश्व आयोडीन अल्पता दिवस 21 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य आयोडीन की कमी से होने वाले रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना है। आयोडीन की कमी से थायरॉयड से संबंधित समस्याएं और बच्चों में मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इस दिवस पर स्वास्थ्य संगठनों द्वारा आयोडीन युक्त नमक के सेवन को प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों को रोका जा सके।

21 अक्टूबर  आज़ाद हिन्द फ़ौज स्थापना दिवस:
21 अक्टूबर को आज़ाद हिन्द फ़ौज स्थापना दिवस मनाया जाता है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा स्थापित आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना का प्रतीक है। 1943 में इस दिन सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में आज़ाद हिन्द सरकार की घोषणा की और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया। यह दिन देश की आजादी के लिए सशस्त्र संघर्ष और सुभाष चंद्र बोस की वीरता को याद करने का अवसर है।

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