24 सितम्बर का इतिहास, भीकाजी कामा, तिरंगे की प्रथम निर्माता का जन्मदिन

1909 में भीकाजी फ्रांस चली गईं और वहाँ से 'वंदे मातरम्' नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया, जो प्रथम विश्व युद्ध तक चलता रहा। उनकी गतिविधियाँ ब्रिटिश सरकार की नजर में थीं और उनके पत्रों पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी,

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24 सितम्बर का इतिहास, भीकाजी कामा, तिरंगे की प्रथम निर्माता का जन्मदिन

भीकाजी कामा: तिरंगे की प्रथम निर्माता का जन्मदिन

 24 सितम्बर, हम महान स्वतंत्रता सेनानी मादाम भीकाजी रुस्तम कामा को उनके जन्मदिन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्हें भारतीय तिरंगे की पहली रचनाकार के रूप में जाना जाता है। मादाम कामा का जन्म 24 सितम्बर 1861 को मुंबई के एक प्रतिष्ठित पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता सोराबजी फ्रामजी एक समृद्ध व्यापारी थे, लेकिन भीकाजी ने अपना जीवन राष्ट्र सेवा और भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में समर्पित कर दिया।

भीकाजी की देशभक्ति की भावना बचपन से ही जाग्रत थी। 1885 में उनका विवाह रुस्तमजी कामा से हुआ, जो ब्रिटिश शासन के समर्थक थे, जबकि भीकाजी भारत को ब्रिटिश सत्ता से मुक्त देखना चाहती थीं। मतभेदों के चलते दोनों के रिश्ते कभी मधुर नहीं रहे और अंततः मादाम कामा ने अपने पति का घर छोड़ दिया। 1896 में मुम्बई में जब प्लेग फैल गया, तब भीकाजी ने साहस के साथ पीड़ितों की सेवा की, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हुआ।

1901 में मादाम कामा इलाज के लिए ब्रिटेन चली गईं। वहां उन्होंने स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और दृढ़ किया। शुरुआत में उन्होंने दादाभाई नौरोजी के साथ कार्य किया, लेकिन जल्द ही उनका झुकाव उग्रपंथी नेताओं जैसे श्यामजी कृष्ण वर्मा और वीर सावरकर की ओर हो गया। लंदन में 'इंडिया हाउस' और 'इंडिया होम रूल सोसाइटी' जैसे संगठनों में वे सक्रिय रहीं, जिनका उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को गति देना था।

1907 में जर्मनी के स्टुटगर्ट में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेते समय मादाम कामा ने पहली बार भारतीय तिरंगा झंडा फहराया, जो उनकी अपनी कल्पना पर आधारित था। यह तिरंगा झंडा स्वतंत्रता संग्राम में भारत की आवाज़ बन गया। झंडे में तीन रंग थे – हरे, पीले और लाल। हरे रंग में आठ कमल थे, जो तत्कालीन भारत के आठ प्रांतों का प्रतीक थे। पीले रंग की पट्टी पर देवनागरी लिपि में 'वंदे मातरम्' लिखा था, जबकि लाल रंग की पट्टी पर बाईं ओर सूर्य और दाईं ओर अर्धचंद्र बना था। यह झंडा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बना और मादाम कामा को विश्व भर में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रतीकात्मक नेता के रूप में मान्यता मिली।

1909 में भीकाजी फ्रांस चली गईं और वहाँ से 'वंदे मातरम्' नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया, जो प्रथम विश्व युद्ध तक चलता रहा। उनकी गतिविधियाँ ब्रिटिश सरकार की नजर में थीं और उनके पत्रों पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने अभियान को रोका नहीं। मादाम कामा ने विदेशों में रहते हुए भी भारतीय स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी रखा।

वृद्धावस्था में स्वास्थ्य बिगड़ने के बावजूद, मादाम कामा की अंतिम इच्छा थी कि वे अपनी मातृभूमि में वापस लौटें। ब्रिटिश सरकार ने लंबे समय तक उनके भारत आने पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन 1935 में उन्हें बड़ी मुश्किल से भारत लौटने की अनुमति मिली। 30 अगस्त 1936 को मुंबई में उनका देहांत हो गया।

मादाम भीकाजी कामा को आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके अप्रतिम योगदान और भारतीय तिरंगे की रचना के लिए सम्मान के साथ याद किया जाता है। उनके द्वारा उठाए गए कदम आज भी हमें प्रेरित करते हैं कि किस तरह एक व्यक्ति के समर्पण और साहस से एक राष्ट्र के सपनों को दिशा दी जा सकती है।

जन्म-दिन: 24 सितम्बर, 1861
मृत्यु: 30 अगस्त, 1936

जन्म स्थान: मुम्बई, महाराष्ट्र
परिवार: पारसी परिवार, पिता सोराबजी फ्रामजी (सम्पन्न व्यापारी)

प्रमुख योगदान:

  • भारत की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
  • तिरंगे झंडे की प्रथम निर्माता
  • 18 अगस्त 1907 को जर्मनी के स्टुटगर्ट नगर में तिरंगा फहराया

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:

  • बचपन से देशभक्ति की भावना
  • सामाजिक कार्यों में रुचि, विशेष रूप से 1896 में मुंबई में हैजा महामारी के दौरान सेवाकार्य

वैवाहिक जीवन:

  • 1885 में रुस्तमजी कामा से विवाह
  • पति से मतभेद, क्योंकि रुस्तमजी अंग्रेजों के शासन का समर्थन करते थे

राजनीतिक और क्रांतिकारी गतिविधियाँ:

  • 1901 में स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण ब्रिटेन गईं
  • वहाँ दादा भाई नौरोजी के साथ कार्य किया, बाद में श्यामजी कृष्ण वर्मा और सरदार सिंह राव के साथ जुड़ीं
  • लंदन के 'इंडिया हाउस' और 'इंडिया होम रूल सोसाइटी' से सक्रिय रूप से जुड़ीं

तिरंगे का निर्माण:

  • 18 अगस्त, 1907 को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में तिरंगा फहराया
  • तिरंगे में तीन पट्टियाँ थीं:
    • हरी पट्टी (ऊपर): आठ कमल (भारत के आठ प्रांतों का प्रतीक)
    • पीली पट्टी (बीच): 'वन्दे मातरम्' लिखा था
    • लाल पट्टी (नीचे): बाईं ओर सूर्य, दाईं ओर अर्धचंद्र

अन्य गतिविधियाँ:

  • 'वंदे मातरम्' नामक समाचार पत्र का प्रकाशन (1909)
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा उन पर नजर रखी गई

जीवन के अंतिम वर्ष:

  • स्वास्थ्य खराब होने के बाद 1935 में भारत लौटने की अनुमति मिली
  • 1936 में मुम्बई में निधन

महत्वपूर्ण तथ्य: भीकाजी कामा ने स्वतंत्रता के लिए पूरे विश्व में जागरूकता फैलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का उपयोग किया।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,