दिल्ली में बन रहा "बाबा केदारनाथ" का मंदिर!

दिल्ली में केदारनाथ धाम बन रहा है, धाम नहीं. इसका निर्माण श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट बुराड़ी करा रहा है. इसके निर्माण में उत्तराखंड सरकार का कोई योगदान नहीं है. मुख्यमंत्री केवल हमारे निमंत्रण पर मंदिर का शिलान्यास करने आए थे.

Jul 15, 2024 - 18:09
Jul 15, 2024 - 20:27
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दिल्ली में बन रहा "बाबा केदारनाथ" का मंदिर!

केदारनाथ मंदिर, दिल्ली

जहां मंदिर की घंटियों की आवाज़ हिमालय में गूंजती है। वहां पुरोहित पुजारियों के विरोध का शोरगुल हो रहा है। लेकिन सवाल है कि, बाबा केदार के द्वार पर ये विरोध हो क्यों रहा है ? 11,700 फीट की ऊंचाई पर इस विरोध का कारण क्या है ? दरअसल उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से करीब 300 किलोमीटर दूर दिल्ली में बाबा केदार का एक मंदिर बन रहा है। लेकिन केदार के द्वार पर ही केदार के मंदिर का विरोध हो रहा है। सवाल है कि दिल्ली में भगवान शिव के मंदिर पर केदारनाथ में क्यों विवाद हो रहा है और क्या है इस विवाद का सच ?

दिल्ली के बुराड़ी में एक जगह पर 3 एकड़ जमीन में बाबा केदारनाथ का एक मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर निर्माण समिति ने 10 जुलाई को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी को भी शिलान्यास में बुलाया था. गर्भगृह के लिए शिला भी केदारनाथ से लाई गई थी। लेकिन इस मंदिर के बनने से पहले ही उत्तराखंड तक कोहराम गया है। आम लोगों व संतो के द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है. आंदोलन का अल्टीमेटम दिया जा रहा है। 

इस बात को लेकर बद्रीनाथ धाम के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी नाराज़ हैं. उन्होंने इस पर वीडियो भी जारी किया हैं। जिसमें पुराणों का हवाला दे रहे हैं।  उनका कहना है कि... बाबा केदार का पता नहीं बदला जा सकता है। उनका मंदिर कहीं और नहीं बनाया जा सकता है। 
 
लेकिन सवाल है कि क्या, बाबा केदार के धाम जैसा मंदिर कहीं और बनवाना, धर्म का अपमान है ? क्या ऐसा पहली बार है, जब किसी धाम के स्वरूप जैसा मंदिर बनाया जा रहा है? इन सवालों के जवाब से पहले दिल्ली के बुराड़ी में बन रहे मंदिर को समझिए।

दिल्ली में बाबा केदार के मंदिर के विरोध में कई तर्क दिए जा रहे हैं। जैसे 12 ज्योतिर्लिंगों में एक बाबा केदारनाथ धाम का प्रतीकात्मक निर्माण नहीं किया जा सकता है। इसे शिवभक्तों की आस्था से खिलवाड़ और धार्मिक पंरपराओं से छेड़छाड़ बताया जा रहा है। ये भी तर्क दिया जा रहा है कि, इससे केदारनाथ धाम का महत्व को कम होगा। 


लेकिन सवाल है कि...दिल्ली में धाम बन रहा है...या मंदिर ? धाम और मंदिर में फर्क क्या है ?

मंदिर वो धार्मिक स्थल होता है। जहां देवी-देवता की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और उनकी पूजा की जाती है। धाम उसे माना गया है, जहां भगवान का निवास होता है। मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि, दिल्ली में मंदिर बन रहा है...धाम नहीं। जबकि उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ भगवान शिव का धाम है।

दरअसल ऐसा पहली बार नहीं है...जब किसी धाम के स्वरूप में मंदिर का निर्माण किया हो रहा है। 2015 में उत्तराखंड के तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने मुंबई में बदरीनाथ मंदिर का उद्घाटन किया था। मुंबई के वसई में 11 करोड़ की लागत से मंदिर का निर्माण किया गया था। इंदौर में केदरीनाथ धाम की तर्ज पर मंदिर निर्माण किया जा रहा है। सैफई में अखिलेश यादव भी केदारनाथ की तर्ज पर मंदिर का निर्माण करवा रहे हैं।

अखिलेश यादव के ऑफिशियल X अकाउंट पर भी पोस्ट

20 जनवरी 2024 को अखिलेश यादव ने अपने ऑफिशियल X अकाउंट पर 7 मिनट का एक वीडियो पोस्ट किया था। जिसमें कैप्शन था-कंस्ट्रक्शन ऑफ केदारेश्वर महादेव मंदिर। दिल्ली में श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट दिल्ली के फाउंडर सुरेंद्र रौतेला। मंदिर के विरोध को लेकर यही हवाला दे रहे हैं।


आपको बता दें की, सीएम पुष्कर सिंह धामी मंदिर के शिलान्यस में आए जरुर लेकिन उत्तराखंड सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं, मंदिर का निर्माण श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट बुराड़ी करा रहा है और निर्माण में उत्तराखंड सरकार का कोई योगदान नहीं है। मुख्यमंत्री धामी केवल निमंत्रण पर मंदिर का शिलान्यास करने आए थे। अब इस विवाद के बीच पुष्कर सिंह धामी ने भी अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है। दूसरे स्थान पर धाम नहीं हो सकता। लेकिन प्रतीकात्मक रूप से मंदिर बनते रहे हैं।


दरअसल, ये विवाद तब उठा है। जब केदारनाथ में उपचुनाव होना है। नैरेटिव ये बनाया जा रहा है कि, दिल्ली के मंदिर का केदार धाम का विकल्प बनाया जा रहा है, जिसमें पुष्कर सिंह धामी मदद कर रहे हैं। यही वजह है कि, केदारनाथ में नाराजगी देखी जा रही है। 


दरअसल उत्तराखंड की 70 फीसदी आबादी चारधाम यात्रा पर आश्रित है। अगर लोग केदारनाथ के बजाए दिल्ली के मंदिर में जाएंगे तो इसका असर उत्तराखंड की जेब पर पड़ेगा।उत्तराखंड में हाल ही में हुए दो सीटों पर उपचुनाव में बीजेपी हार चुकी है। मंगलौर सीट से कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन ने बीजेपी कैंडिडेट को हराया, जबकि बद्रीनाथ धाम में भी कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला ने बीजेपी को हरा दिया। इन दोनों सीटों के बाद कांग्रेस की नजर अब केदारनाथ सीट पर है।

दो सीटों पर हार के बाद पुष्कर सिंह धामी की टेंशन अब नया विवाद बढ़ा रही है। 9 जुलाई को बीजेपी विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ सीट खाली है। 6 महीने के भीतर यहां उपचुनाव होगा। मंगलौर और बदरीनाथ में जीत से कांग्रेस को बूस्टर डोज मिला है। बीजेपी बद्रीनाथ सीट जीतकर हिंदुत्व का बड़ा संदेश देना चाहती थी और इसके लिए कांग्रेस छोड़कर आए, राजेंद्र भंडारी को टिकट भी दिया था। लेकिन बद्रीनाथ में बात बिगड़ गई और उप चुनाव हार गए। अब दिल्ली के मंदिर पर बढ़ता विवाद, केदारनाथ में बीजेपी की चुनौती बढ़ा रहा है।

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।