UP: 8 जुलाई से मास्टरजी की 'डिजिटल हाजिरी' शुरू
यूपी में 6 लाख प्राइमरी स्कूल के टीचर सरकार के फरमान के बाद भी डिजिटल हाजिरी नहीं लगा रहे हैं। हाथों में काली पट्टी पहन कर स्कूल आ रहे हैं। दरअसल इनको सरकार नई गाइडलाइन डिजिटल हाजिरी से आपत्ति है।
उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में एजुकेशन सिस्टम को सही करने के लिए योगी सरकार के फैसले को टीचर्स मानने को तैयार नहीं है। यूपी के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के लिए अब ऑनलाइन अटेंडेंस लगाना जरूरी कर दिया गया है। 8 जुलाई से अटेंडेंस की ये व्यवस्था पूरी तरह से लागू कर दी गई है। डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम में अब टीचर्स को स्कूल आकर ऐप के जरिए हाजरी लगानी होगी। शिक्षकों को स्कूल के अंदर अपनी तस्वीर एप पर पोस्ट करनी होगी. टीचर्स को अटेंडेंस आने और जाने दोनों वक्त में लगानी होगी. सर्दियों और गर्मियों के लिए तय वक्त के अंदर अगर ये शिक्षक हाजरी नहीं लगाएंगे तो उन्हें एबसेंट मानकर सैलरी काट ली जाएगी।
यूपी में प्राइमरी स्कूलों के 6 लाख 9 हजार टीचर्स पर ये व्यवस्था लागू हो चुकी है। सरकार ने 2 लाख 9 हजार टैबलेट्स स्कूलों तक पहुंचा भी दिए हैं। जहां टैब नहीं पहुंचे हैं वहां मोबाइल से अटेंडेंस की व्यवस्था की गई है। अभी तक रजिस्टर में ही टीचर्स और बच्चों की हाजिरी लगती थी। स्कूल के सारे कामकाज जैसे मिड डे मिल, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी का ब्यौरा भी रजिस्टर में रखा जाता था। लेकिन अब प्रेरणा एप में ही सारी जानकारी फीड की जाएगी। लेकिन इस वक्त सरकार के आदेश को टीचर्स मानने को तैयार नहीं है। शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध पुरजोर किया है। इसलिए यूपी के ज्यादातर सरकारी स्कूलों में टीचर्स डिजिटल अटेंडेंस नहीं लगा रहे हैं.
इस फैसले के विरोध में स्कूलों में काली पट्टी बांधकर पढ़ा रहे हैं। 8 जुलाई को पहले दिन पूरे राज्य में सिर्फ 16 हजार टीचर्स ने डिजिटल अटेंडेंस लगाई। टीचर्स के विरोध के बीच अब प्रिसिंपल सेकेट्री प्राइमरी एजुकेशन एमकेएस सुंदरम ने आधे घंटे का ग्रेस पीरियड देने का भी एलान किया है। इसके बावजूद शिक्षकों को इस पर भी एतराज हैं। अब सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए एक्शन लिया है। उन्नाव और बाराबंकी में ऑनलाइन अटेंडेंस न लगाने वाले 23 हजार से ज्यादा टीचर्स की सैलरी काटने के आदेश दे दिए गए हैं।
सच्चाई तो ये है कि जब डिजिटल कड़ाई शुरु हुई तो टीचर्स की लड़ाई शुरु हो गई। टीचर्स के विरोध की मंशा सवालों में क्यों है उसकी वजह भी है डिजिटल अटेंडेंस के फरमान के बाद ही इतनी समस्याए क्यों दिखाई देने लगीं. स्कूल में लाइट नहीं है बेसिक सुविधाए नहीं है। डिजिटल अटेडेंस में दिक्कत आ रही है ये शिकायत वाजिब है सरकार यही तो कह रही है कि अब तक सरकार को ये बातें पता नहीं चलती थी कोई एक सिस्टम नहीं था जहां हजारों प्राइमरी स्कूल को मॉनीटर किया जा सके। डिजिटल हाजिरी में प्रॉब्लम्स को भी अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन ये तभी होगा जब डिजिटल हाजिरी के लिए टीचर तैयार होंगे। इसलिये विरोध की ये बात आम आदमी के गले नहीं उतर रही है और न ही सरकार के, क्योंकि अगर टीचर्स स्कूल में आकर पढ़ाने की जगह डेढ डेढ़ घंटे कैंडी क्रश खेलने लगे तो डिजिटल अटेंडेंस जरुरी हो जाता है।
यूपी के संभल जिले के एक सरकारी स्कूल में निरीक्षण पर पहुंचे डीएम ने पाया कि एक टीचर ड्यूटी टाइम में मोबाइल गेम खेल रहे थे. डीएम ने टीचर का मोबाइल चेक किया तो पता चला कि 5.30 घंटे के स्कूल टाइम में उन्होंने एक घंटा 17 मिनट कैंडी क्रश खेला और इसके अलावा सोशल मीडिया का भी यूज किया. इतना ही नहीं जब डीएम ने टीचर द्वारा चेक की गई कॉपियों को दोबारा देखा तो छह पेज में 95 गलतियां भी सामने आईं. मोबाइल में कैंडी क्रश गेम खेलने वाले टीचर को डीएम के निर्देश के बाद सस्पेंड कर दिया गया है।
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