आरोपित की निजी जिंदगी में झांकने की इजाजत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा-अदालतें आरोपितों को गूगल मैप लोकेशन बताने को नहीं कह सकतीं, कोई शर्त जमानत के मूल उद्देश्य को खत्म नहीं कर सकती एक नाइजीरियाई नागरिक को दी गई जमानत मामले में अहम व्यवस्था
आरोपित की निजी जिंदगी में झांकने की इजाजत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने गूगल लोकेशन शेयरिंग मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की लगाई जमानत की शर्त को खारिज कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अदालतें आरोपितों के लोकेशन को ट्रैक करने के लिए उनके गूगल मैप लोकेशन को साझा करने को नहीं कह सकती हैं। साथ ही कहा कि जमानत के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं हो सकती जो पुलिस को आपराधिक मामले में आरोपित के निजी जीवन में झांकने की अनुमति देती हो।
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्त को खारिज कर दिया। इसके तहत एक नाइजीरियाई नागरिक फ्रैंक विटस को ड्रग्स मामले में जांच अधिकारी के साथ अपने मोबाइल डिवाइस में गूगल मैप्स पिन साझा करना अनिवार्य था। जस्टिस ओक ने फैसला में कहा कि जमानत की कोई शर्त जमानत के मूल उद्देश्य को ही खत्म नहीं कर सकती।
गूगल पिन जमानत की शर्त नहीं हो सकती। जमानत की ऐसी कोई शर्त नहीं हो सकती जिससे पुलिस लगातार आरोपित की हरकतों पर नजर रख सके। पुलिस को जमानत पर आरोपित की निजी जिंदगी में झांकने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने नाइजीरियाई नागरिक फ्रैंक विटस की याचिका पर फैसला सुनाया, जिसने ड्रग्स मामले में जमानत की शर्त को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत एक मामले में आरोपित नाइजीरियाई नागरिक को जमानत दी गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि गूगल पिन साझा करने की शर्त संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आरोपित के निजता अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है।
याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। मई 2022 में हाई कोर्ट ने दो सख्त शर्तें रखी थीं। एक, आरोपित को गूगल मैप पर एक पिन डालना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मामले के जांच अधिकारी को उनका स्थान उपलब्ध हो। दूसरी शर्त यह थी कि नाइजीरिया के उच्चायोग को यह आश्वासन देना होगा कि आरोपित देश छोड़कर नहीं जाएगा और जब भी आवश्यकता होगी, ट्रायल कोर्ट में पेश होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा-अदालतें आरोपितों को गूगल मैप लोकेशन बताने को नहीं कह सकतीं, कोई शर्त जमानत के मूल उद्देश्य को खत्म नहीं कर सकती एक नाइजीरियाई नागरिक को दी गई जमानत मामले में अहम व्यवस्था
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