उम्मीदों का संघर्ष: यूपी डीएलएड एडमिशन की कहानी

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Dec 9, 2024 - 17:48
Dec 9, 2024 - 18:12
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उम्मीदों का संघर्ष: यूपी डीएलएड एडमिशन की कहानी

उम्मीदों का संघर्ष: यूपी डीएलएड एडमिशन की कहानी

सर्दियों की धुंध छंट रही थी, लेकिन हजारों छात्रों के मन में फैला असमंजस और चिंता का बादल अभी भी गहरा था। यह कहानी उन 3.25 लाख छात्रों की है जो अपने भविष्य के सपने को साकार करने के लिए यूपी डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) के एडमिशन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

शुरुआत: सपनों का सफर

साल 2024 की शुरुआत में, इन छात्रों ने अपने करियर के इस महत्वपूर्ण पड़ाव की ओर कदम बढ़ाया। सभी ने आवेदन किए, उम्मीदें बांधीं, और सोचने लगे कि वे आने वाले साल में एक बेहतर शिक्षक बनकर देश का भविष्य संवारेंगे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, एडमिशन प्रक्रिया को लेकर उनकी उम्मीदें धुंधलाने लगीं।

देर की वजह: प्रशासन की लापरवाही

समस्या की जड़ थी यूपी परीक्षा नियामक प्राधिकरण (PNP) की लापरवाही।

  • कोर्ट में देरी: अनुमति मिलने के बावजूद प्राधिकरण कोर्ट में सही समय पर अपना पक्ष नहीं रख सका। न ही उन्होंने काउंसलिंग के लिए कोई ठोस योजना बनाई।
  • स्पष्टता की कमी: छात्रों और कॉलेज प्रबंधन को कोई समय सीमा या डेडलाइन नहीं दी गई, जिससे असमंजस बढ़ता गया।
  • अन्य राज्यों के छात्रों का प्रवेश: इस बार अन्य राज्यों के छात्रों को आवेदन का मौका मिला, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ गई।

छात्रों का डर: सत्र शून्य का खतरा

इतनी देरी से छात्रों के मन में यह डर घर करने लगा कि कहीं सत्र 2024-25 शून्य न हो जाए।

  • कॉलेजों की चिंता: स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा, "इसमें छात्रों या कॉलेजों की गलती नहीं है। सरकार और प्रशासन की लापरवाही की वजह से ये स्थिति बनी है।"
  • आंदोलन की तैयारी: यदि 10 दिसंबर तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं होती, तो छात्रों और कॉलेज प्रबंधन ने आंदोलन की योजना बनाई।

समाधान की उम्मीद: छात्रों की एकजुटता

जब सरकार और प्रशासन मौन हो, तो छात्र ही अपनी आवाज बुलंद करते हैं।

  • ऑनलाइन अभियान: छात्रों ने तय किया कि सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का सहारा लेकर अपनी बात सरकार तक पहुंचाई जाएगी।
  • आवाज बुलंद करने की तैयारी: अगर कोई ठोस योजना या प्रगति नहीं होती, तो छात्रों ने आंदोलन की शुरुआत का फैसला किया।

आगे का रास्ता: उम्मीदों की रोशनी

हालांकि प्रशासन की ओर से अभी कोई स्पष्ट उत्तर नहीं आया है, लेकिन छात्रों की उम्मीदें अभी भी कायम हैं।

  • उम्मीद: "हमें विश्वास है कि प्रशासन हमारी समस्याओं को सुनेगा और जल्द से जल्द काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू होगी," एक छात्र ने कहा।
  • मजबूती से खड़े रहना: छात्रों ने आपसी सहयोग और एकता के साथ अपने अधिकारों के लिए खड़े रहने का निश्चय किया।

अंतिम संदेश: संघर्ष जारी रहेगा

यह कहानी केवल 3.25 लाख छात्रों की नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की है जो अपने सपनों के लिए लड़ रहा है। यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम संगठित होकर अपनी आवाज उठाएं, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती।

छात्रों का यह संघर्ष एक संदेश है कि उम्मीदें टूटती नहीं, बस समय लेती हैं। अब सबकी नजरें 10 दिसंबर पर हैं, जब यह तय होगा कि उनका सपना साकार होगा या संघर्ष जारी रहेगा।

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