भारतीय पत्रकारिता का ऐतिहासिक विकास और प्रमुख प्रकाशन गृह

Historical development of Indian journalism and major publishing houses, भारतीय पत्रकारिता का ऐतिहासिक विकास और प्रमुख प्रकाशन गृह

Dec 2, 2024 - 21:41
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भारतीय पत्रकारिता का ऐतिहासिक विकास और प्रमुख प्रकाशन गृह

भारतीय पत्रकारिता का इतिहास एक शताब्दी से भी अधिक पुराना है, जिसमें कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं और प्रकाशन गृहों का योगदान है। भारतीय पत्रकारिता के प्रारंभिक चरणों से लेकर आधुनिक दौर तक, इसने सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक बदलावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पत्रकारिता का विकास विभिन्न युगों में हुआ, जिसमें हर युग का उद्देश्य जन जागरूकता फैलाना, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करना और राष्ट्र की एकता को सुदृढ़ करना था।

1. प्रारंभिक युग (1820-1870)

भारतीय पत्रकारिता का आरंभ 1820 के दशक से हुआ, जब पहले समाचार पत्रों का प्रकाशन हुआ। सबसे पहला गुजराती दैनिक बाम्बे समाचार 1822 में बंबई में प्रकाशित हुआ। इसके बाद कई अन्य पत्र-पत्रिकाएं जैसे कि क्राइस्ट चर्च स्कूल (1825), जाम-ए-जमशेद (1832), और टाइम्स ऑफ इंडिया (1838) ने भारतीय पत्रकारिता को आकार दिया।

  • बाम्बे समाचार (1822) - यह पहला गुजराती दैनिक समाचार पत्र था, जो बंबई में प्रकाशित हुआ था।
  • टाइम्स ऑफ इंडिया (1838) - यह अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र बंबई से प्रकाशित हुआ, जो आज भी भारत का एक प्रमुख समाचार पत्र है।
  • कैलकटा रिव्यू (1844) - यह अंग्रेजी त्रैमासिक पत्रिका थी, जो भारतीय साहित्य, राजनीति और समाज पर चर्चा करती थी।

2. भारतेन्दु युग (1868-1900)

भारतेन्दु हरिश्चंद्र का भारतीय पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने 1868 में पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेखन शुरू किया और अपने समय के प्रमुख पत्रकारों को प्रेरित किया। इस युग में पत्रकारिता का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना था। बालबोधनी पत्रिका का प्रकाशन इस युग में हुआ, जो महिलाओं के अधिकारों पर केंद्रित थी।

3. मालवीय युग (1887-1905)

1887 में हिन्दोस्थान नामक समाचार पत्र का प्रकाशन हुआ, जिसका संपादन पं. मदन मोहन मालवीय ने किया। यह युग राजनीतिक परिवर्तन और जागरूकता का था। इस समय में पत्रकारिता का उद्देश्य भारतीय जनता को राजनीति में जागरूक करना था।

4. द्विवेदी युग (1903-1920)

पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा 1903 में सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन हुआ, जिसने पत्रकारिता के क्षेत्र में नया मोड़ दिया। इस युग में साहित्य, संस्कृति और राजनीति पर आधारित लेखन बढ़ा और देशभर में कई पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ।

5. गांधी युग (1920-1947)

महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय पत्रकारिता ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान हरिजन, नवजीवन, कर्मवीर, और इंडियन ओपीनियन जैसी प्रमुख पत्रिकाओं ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। गांधी जी ने पत्रकारिता का उपयोग जन जागरूकता के लिए किया और लोगों को अपने अधिकारों के प्रति सजग किया।

6. आधुनिक युग (1947 से वर्तमान)

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय पत्रकारिता ने एक नया मोड़ लिया। इस दौर में पत्रकारिता का विस्तार हुआ, और तकनीकी दृष्टिकोण से भी पत्रकारिता में कई बदलाव हुए। आज के समय में अखबारों और पत्रिकाओं के डिजिटल संस्करण भी उपलब्ध हैं और इंटरनेट पर भी समाचारों की त्वरित उपलब्धता हो गई है।


प्रमुख प्रकाशन गृह और उनकी पत्रिकाएं

भारतीय पत्रकारिता में कई प्रमुख प्रकाशन गृह हैं, जिन्होंने भारतीय पत्रकारिता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कुछ प्रमुख प्रकाशन गृह और उनकी पत्रिकाएं निम्नलिखित हैं:

  1. बेनट कॉलमेन एण्ड कम्पनी लि. (पब्लिक लि.)

    • टाइम्स ऑफ इंडिया (अंग्रेजी दैनिक)
    • नवभारत टाइम्स (हिन्दी दैनिक)
    • महाराष्ट्र टाइम्स (मराठी दैनिक)
    • धर्मयुग (हिन्दी पाक्षिक)
  2. इंडियन एक्सप्रेस (प्रा. लि.)

    • लोकसत्ता (मराठी दैनिक)
    • इंडियन एक्सप्रेस (अंग्रेजी दैनिक)
    • जनसत्ता (हिन्दी दैनिक)
  3. आनन्द बाजार पत्रिका (प्रा. लि.)

    • आनन्द बाजार पत्रिका (बंगाली दैनिक)
    • बिजनेस स्टैण्डर्ड (अंग्रेजी दैनिक)
    • टेलीग्राफ (अंग्रेजी दैनिक)
  4. मलायालम मनोरमा लि. (पब्लिक लि.)

    • मलयालम मनोरमा (मलयालम दैनिक)
    • द वीक (अंग्रेजी साप्ताहिक)
  5. अमृत बाजार पत्रिका प्रा. लि.

    • अमृत बाजार पत्रिका (अंग्रेजी दैनिक)
    • युगान्तर (बंगाली दैनिक)
  6. हिन्दी समाचार लि. (पब्लिक लि.)

    • हिन्दी समाचार (उर्दू दैनिक)
    • पंजाब केसरी (हिन्दी दैनिक)

इन प्रमुख प्रकाशन गृहों ने न केवल भारतीय पत्रकारिता के विकास में योगदान दिया, बल्कि भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों में भी अहम भूमिका निभाई है। इनकी पत्रिकाएं और समाचार पत्र आज भी भारत में पत्रकारिता के प्रमुख स्तंभ बने हुए हैं।

निष्कर्ष

भारतीय पत्रकारिता का इतिहास समृद्ध और विविध है, जिसने समय-समय पर समाज और राजनीति के महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया। पत्रकारिता ने हमेशा जनता को शिक्षित करने, जागरूक करने और सामाजिक बदलाव लाने का कार्य किया है। आज के डिजिटल युग में भी भारतीय पत्रकारिता की भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी कि इतिहास के विभिन्न युगों में रही है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,