हिन्दी पत्रकारिता का विकास युग आदि युग से आधुनिक युग तक

हिन्दी पत्रकारिता का विकास युग आदि युग से आधुनिक युग तक Development era of Hindi journalism from ancient era to modern era

Dec 2, 2024 - 21:39
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हिन्दी पत्रकारिता का विकास युग (आदि युग से आधुनिक युग तक)

हिन्दी पत्रकारिता की यात्रा का आरंभ 1826 से हुआ था जब पं. जुगल किशोर शुक्ल ने ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन किया था। यह हिन्दी पत्रकारिता का आदिकाल था और इस युग में हिन्दी भाषा में समाचार पत्रों का प्रकाशन और उनका उद्देश्य जनमानस में जागरुकता फैलाना था।

1. आदि युग (1826-1872)

इस युग में हिन्दी पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक करना था। 30 मई, 1826 को उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशन से हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत हुई। 1857 की क्रांति के प्रभाव ने इस समय की पत्रकारिता को एक नई दिशा दी और लोगों में राष्ट्रीय जागरूकता को बढ़ावा दिया। हालांकि इस समय आर्थिक संकट, भाषा संबंधी कठिनाइयाँ और सरकारी प्रतिबंधों के कारण कई समाचार पत्रों का प्रकाशन असफल रहा।

2. भारतेन्दु युग (1868-1900)

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने 1868 में पत्रकारिता की दिशा को नया मोड़ दिया। उन्होंने समाचार पत्रों के माध्यम से समाज में राष्ट्रीय एकता और सामाजिक जागरूकता फैलाने का कार्य किया। इस समय तक, हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में साहित्यिक, सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर चर्चा होने लगी थी। इसके साथ ही महिलाओं की समस्याओं पर आधारित पत्रिका बालबोधनी का भी प्रकाशन हुआ।

3. मालवीय युग (1887-1905)

इस युग में पं. मदन मोहन मालवीय और उनके सहयोगियों ने पत्रकारिता के माध्यम से भारतीय समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास किया। 1887 में हिन्दोस्थान नामक समाचार पत्र का प्रकाशन हुआ, जो बाद में अभ्युदय के रूप में सामने आया। इस समय की पत्रकारिता ने राजनीतिक जागरूकता को फैलाने का कार्य किया और भारतीय जनता को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया।

4. द्विवेदी युग (1903-1920)

पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने 1903 में सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन किया, जो हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई। इस युग में हिन्दी पत्रकारिता का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया और इसके साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में विस्तार हुआ। इस युग में हिन्दी पत्रकारिता ने साहित्यिक, सामाजिक और राजनीतिक विषयों को प्रमुखता से उठाया।

5. गांधी युग (1920-1947)

महात्मा गांधी का हिन्दी पत्रकारिता पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने हिन्द स्वराज और यंग इंडिया जैसे समाचार पत्रों के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया प्रोत्साहन दिया। इस युग में पत्रकारिता का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम में जन जागरूकता पैदा करना था। इसके साथ ही इस युग के प्रमुख पत्रकारों में शिवप्रसाद गुप्त, गणेशशंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी, और बाबूराम विष्णु पराड़कर का योगदान महत्वपूर्ण था।

6. आधुनिक युग (स्वतंत्रता के बाद से वर्तमान तक)

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी पत्रकारिता ने एक नया आयाम लिया। इस समय पत्रकारिता का उद्देश्य केवल राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता ही नहीं, बल्कि सूचना प्रौद्योगिकी का भी समावेश हुआ। डिजिटल मीडिया और इंटरनेट के आगमन के साथ अखबारों का स्वरूप बदल गया। आजकल अधिकांश समाचार पत्रों के डिजिटल संस्करण भी उपलब्ध हैं, जो इंटरनेट पर सुलभ हैं। इसके साथ ही खोजी पत्रकारिता का भी प्रभाव बढ़ा है, और समाचारों में ताजगी और समसामयिकता को विशेष महत्व दिया जा रहा है।

निष्कर्ष:
हिन्दी पत्रकारिता की यात्रा एक लंबा सफर रही है, जिसमें हर युग ने अपने-अपने समय में महत्वपूर्ण योगदान दिया। चाहे वह उदन्त मार्तण्ड का आरंभ हो या गांधी युग की संघर्षमयी पत्रकारिता, हर युग में पत्रकारिता ने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। आज के डिजिटल युग में पत्रकारिता ने न केवल सूचना का प्रसार किया है, बल्कि समाज को जागरूक और सूचित भी किया है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,