भारत में लंपी वायरस के लिए दो अलग-अलग वैरिएंट

देश में एक लाख से अधिक मवेशी को मौत हुई थी। विज्ञानियों के अनुसार यह एक देशव्यापी आपद थे

Apr 7, 2024 - 22:22
Apr 7, 2024 - 22:25
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भारत में लंपी वायरस के लिए दो अलग-अलग वैरिएंट

भारत में लंपी वायरस के लिए दो अलग-अलग वैरिएंट

भारत में मवेशियों में फैले लंपी वायरस की उत्पत्ति और जिम्मेदार कारकों को पता लगाने में जुटी वहु संस्थागत टीम
• टीम ने कई राज्यों से संक्रमित मवेशियों की ताचा की गांठें, रक्त और नाक के नमूने एकत्र किए
22 नमूनों से निकाले गए डीएनए ने अपग्रेड जीनोम सिक्वेंसिंग का प्रदर्शन किया

2022... पूरे देश में एक लाख से अधिक मवेशी को मौत हुई थी। विज्ञानियों के अनुसार यह एक देशव्यापी आपद थे और इसे लंपी बायरस का कहर बताया गय था। विश्व में यह पहली बार 1931 में फैला था और भारत में इसका कहर 2019 के बाद से नजर आया, इसलिए बिज्ञानियों ने इस वायरस की पहचान तो कर ली लेकिन वैश्विक स्तर पर इस पर विशेष शोध नहीं हुआ था कि इसे कैसे रोका जाए। इसके मद्देनजर बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएसरी) को एक बहु संस्थागत टीम ने रोच किय इस बीमारी को बढ़ावा देने के लिए कौन से कारक जिम्मेदार हैं और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई। प्रारंभिक शोध में पता चला कि भारत में हुए प्रकोप के लिए के अलग-अलग बैरिपेट जिम्मेदार है।यह अध्ययन बीएमसे जीनमिक्स में प्रकाशित हुआ था।

भारत  भारत में मवेशियों में फैले लंपी वायरस की उत्पत्ति और जिम्मेदार कारकों को पता लगाने में जुटी वहु संस्थागत टीम
• टीम ने कई राज्यों से संक्रमित मवेशियों की ताचा की गांठें, रक्त और नाक के नमूने एकत्र किए 22 नमूनों से निकाले गए डीएनए ने अपग्रेड जीनोम सिक्वेंसिंग का प्रदर्शन किया

टीम ने वायरस के कारणों की आइजाइएससी के बायोकेमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर उत्पल वाटू इस बहू संस्थागत शेघ टीम का डिलया है। इस टीम ने बीमारी के कारणों की जांच करने का निर्णय लिया है। लपी स्किन डिजीज वापस्स। एलएसडी) एक कवरल संक्रमण मक्खियों और मच्छरों जैसे कीडी द्वारा फैलाता है। यह बुखार और कया
2022 के बाद से लगभग एक लाख गायें लंपी वायरस के कारण गंवा चुकी हैजान
जांच करने का निर्णय लिया

घर गांठी का कारण बनता है और मवेशियी के लिए घातक हो सकत है। इस अध्धायन में आगरिक जी की जान, कम्यूटेशनल विशेषज्ञ और पशु चिकित्सकसहित कई विषयों की टीमें एक साथ आई और उन्होंने शोध किया। समूह ने कोवित-19 और वीज वायरस एन पैरी अध्ययन किए हैं। विश्व में फैला संक्रमण 1931 बार एलएसडी में जांडिया में पाया गया था पहली 1989 उप अफ्रीकी क्षेत्र राक ही सीमित रहा। इसके वाद दक्षिण एशिया में फैलने से पहले यह मध्य पूर्व, रूस और अन्य दक्षिण-पूर्व यूरोपीय देशों में फैलना शुरू हो गया। भारत में कहर • बड़े प्रकोप हुए भारत में, परला 2019 और दूसरा 2022 में 20 लाख से अधिक 

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