ऑपरेशन मिडनाइट हैमर… B-2 बॉम्बर पर चौंकाने वाले खुलासे, ऐसे पूरा हुआ मिशन

अमेरिका के B-2 बॉम्बर ने ईरान के परमाणु केंद्रों पर 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' नामक अभियान चलाया था. अब पायलटों की एक रिपोर्ट से 37 घंटे के मिशन की पूरी कहानी सामने आई है. हालांकि, जांच में पता चला है कि ईरान के पास 400 किलो संवर्धित यूरेनियम अभी भी सुरक्षित है.

Jun 26, 2025 - 20:39
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ऑपरेशन मिडनाइट हैमर… B-2 बॉम्बर पर चौंकाने वाले खुलासे, ऐसे पूरा हुआ मिशन
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर… B-2 बॉम्बर पर चौंकाने वाले खुलासे, ऐसे पूरा हुआ मिशन

अमेरिका के ईरानी न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले करने के बाद ईरान का 400 किलोग्राम यूरेनियम मिल नहीं रहा है. TV9 इन्वेस्टिगेशन इसी बात का पता लगाने की कोशिश की गई है. अपको एक शब्द ध्यान रखना होगा ‘कॉकपिट’… क्योंकि ईरान की 3 न्यूक्लियर साइट्स पर हमला करने वाले अमेरिका के B-2 बॉम्बर के कॉकपिट से एक रिपोर्ट सामने आई है.

ऐसी रिपोर्ट जिसने बताया है कि अमेरिका के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से 11500 किलोमीटर दूर ईरान की फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर बंकर बस्टर GBU-57 बमों से बमबारी कैसे की गई. B-2 बॉम्बर के 14 पायलेटों ने दुनिया के इस सबसे खतरनाक मिशन की तैयारी कैसे की? इस ऑपरेशन के पूरे 37 घंटे के दौरान क्या हुआ..? और अमेरिका के ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ से ईरान के एटमी ठिकानों को वास्तव में कितना नुकसान हुआ?

मिशम को अंजाम देते हुए B-2 बॉम्बर ने ईरान के फोर्दो और नतांज न्यूक्लियर सेंटर पर 13,600 किलो वजन वाले दुनिया के सबसे बड़े बंकर बस्टर बम GBU-57 दागे थे. अमेरिका ने इस हमले को ऑपरेशन मिडनाइट हैमर नाम दिया. फोर्दो, नतांज और इस्फहान में तबाही मचाने के बाद ट्रंप सबके सामने आए और कहा कि ये ऑपरेशन अमेरिका अलावा दुनिया की कोई ताकत नहीं कर सकती थी क्योंकि ये ऑपरेशन सिर्फ B-2 बॉम्बर से ही हो सकता था.

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के हर सवाल का जवाब

इस ऑपरेशन में क्या हुआ, एक पायलट की जुबानी पूरी कहानी सामने आई है. ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के बाद पहली बार पता चला है कि
B-2 बॉम्बर में मौजूद पायलट्स ने तनाव के वो 37 घंटे कैसे बिताए थे.

अमेरिका के मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयरबेस से सात B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने उढ़ाने भरी. इन्हें हर हाल में दुनिया की नजरों से बचकर लगभग 11,500 किलोमीटर दूर ईरान के फोर्दो न्यूक्लियर ठिकाने तक पहुंचना था और फिर बेस पर वापस भी लौटना था. यानी जाना, बमबारी करना और फिर लौटना… इसमें करीब 23,000 किलोमीटर की उड़ान भरनी थी. ये दूरी अमेरिकी B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर ने करीब 37 घंटे की नॉन-स्टॉप उड़ान में पूरी की गई. इस दौरान कई बार बीच हवा में रिफ्यूलिंग भी की गई थी.

कैसे की गई हमले की तैयारी?

ये फुल पेलोड कैपेसिटी के साथ B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स के साथ दूसरा सबसे लंबा मिशन होने वाला था. इसलिए ईरान के फोर्दो पर हमला करने के लिए अपने 37 घंटे के मिशन को उड़ाने से पहले अमेरिकी वायु सेना के पायलटों ने B-2 बॉम्बर के उड़ान सिम्युलेटर ने बड़ी तैयारी की थी.

इस मिशन से पहले, पायलटों ने 24 घंटे तक सिम्युलेटर में उड़ान भरी. उन्हें टारगेट फोर्दो जैसा ही बनाया गया था. साथ ही स्लीप साइकल बदला गया शरीर को लंबी उड़ान के लिए तैयार किया गया और हर सेकेंड की प्रैक्टिस की गई.

सिम्युलेटर में बिल्कुल वैसी ही स्थितियां बनाई गईं जैसी, ईरान के फोर्दो और नतांज में होने वाली थीं. वही रास्ते… खतरों का बिल्कुल वैसा ही अहसास और उतना ही थका देने वाला अभ्यास और ऐसा अभ्यास बार बार किया गया.

पायलट ने बताया कि फोर्दो पहुंचकर हर B-2 बॉम्बर ने 2-2 बम गिराए. जिनका वजन 13,600 किलो था, यानी हर B-2 बॉम्बर ने 27,200 किलो वजन के पेलोड रिलीज किए. इतने भारी भरकम पेलोड रिलीज करते ही B-2 ‘स्पिरिट’ बॉम्बर एक झटके के साथ ऊपर की ओर उछल गया.

ईरान को कितना नुकसान?

हमले के बाद सैटेलाइट इमेज में दिखा गया है कि फोर्दो के पहाड़ों से काला धुआं निकल रहा था. नतांज में अंडरग्राउंड फैसिलिटी जल चुकी थी और इस्फहान का यूरेनियम प्रोसेसिंग यूनिट खामोश हो गया थी.

ये था ऑपरेशन मिडनाइट हैमर का पूरा सच. इस हमले ने दिखा दिया कि अमेरिका अब सिर्फ चेतावनी नहीं देता, सीधे कार्रवाई करता है. B-2 बॉम्बर के पायलटों ने बता दिया कि दुनिया में कहीं भी मिशन करना अमेरिका के लिए असंभव नहीं है. लेकिन इन बड़े बड़े दावों के बीच एक सवाल बाकी रह गया… क्या वाकई ऑपरेशन मिडनाइट हैमर 100 फीसदी सफल रहा..?

ये सवाल इसलिए हैं क्योंकि TV9 की इन्वेस्टिगेशन में ये पता लगा है कि ईरान के पास अभी भी एनरिच यूरेनियम सुरक्षित है. क्योंकि जो ठिकाने बर्बाद हुए हैं वहां एनरिच यूरेनियम नहीं था.

ईरान का यूरेनियम एक 5,000 फीट ऊंचे पहाड़ के नीचे है. इस पहाड़ की तलहटी के 328 फीट नीचे नया यूरेनियम स्टोरेज बनाया गया है. ये ठिकाना ईरान के एक परमाणु केंद्र के करीब है. यहीं 400 किलोग्राम एनरिच यूरेनियम और सेंट्रीफ्यूज रखे गए हैं.

यूरेनियम बचाव ऑपरेशन

ईरान जानता था कि ऑपरेशन मिडनाइट हैमर का टारगेट कौन-कौन से ठिकाने हैं और इसलिए यूरेनियम बचाने का ऑपरेशन पहले ही शुरू कर दिया गया था. ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के बंकर बस्टर बम फटे और इन परमाणु ठिकानों में रखा यूरेनियम कहीं खो गया. अब अमेरिका से ही ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम एक बार फिर इजराइल के लिए खतरे की घंटी बन चुका है.

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