किसानों के मसीहा: चौधरी चरण सिंह
देश में कुछ-ही राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने लोगों के बीच रहकर सरलता से कार्य करते हुए इतनी लोकप्रियता हासिल की हो।
भारतीय किसान दिवस चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर हर साल 23 दिसंबर को मनाया जाता है। उनका जन्म सन 1902 में उत्तर प्रदेश के नूरपुर, मेरठ क्षेत्र में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। एक किसान परिवार से आने के कारण, उनका परिचय ग्रामीण और कृषि विकास के समर्थक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कृषि क्षेत्र की प्राथमिकता रखकर कृषि उन्नयन के लिए निरंतर प्रयास किये।
उनके प्रमुख योगदानः
उत्तर प्रदेश राज्य में भूमि सुधार का पूरा श्रेय उन्हें जाता है। उनके नेतृत्व में "ऋण मोचन विधेयक 1939" का निर्माण कर अंतिम रूप दिया। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य किसानों को साहूकारों से राहत दिलाना था। यूपी में चौ चरण सिंह भूमि सुधार के मुख्य वास्तुकार माने जाते है। उन्होंने DEPARTMENT REDEMPTION BILL 1939 को तैयार कर अंतिम रूप देने में अग्रणी भूमिका निभाई। जिससे ग्रामीणों को देनदारों से बड़ी राहत मिली। सीएम रहते उन्होने भूमि जोत अधिनियम 1960 लागू किया। जिसका उद्देश्य पूरे राज्य में भूमि जोत की सीमा को कम कर इसे एक समान बनाना था। सन 1952 में कृषि मंत्री रहते, उन्होंने जमींदारी प्रथा को खत्म करने के प्रयासों में यूपी का नेतृत्व किया।
सादा जीवन उच्च विचार:
चौ चरण सिंह की विशेष बात यह थी की वह सादा जीवन जीने में विश्वास रखते थे । उन्होंने अपना ज्यादातर समय पढ़ने और लिखने में बिताया। चौ चरण सिंह ने अपने जीवनकाल में कई पुस्तकें और पत्रिकाएं प्रचारित-प्रकाशित कीं। उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ सहकारी खेती एक्स-रे, भारत की गरीबी और उसका समाधान और जमींदारी उन्मूलन हैं। उन्होंने विभिन्न पदों पर उत्तर प्रदेश की सेवा की और एक कठोर कार्यपालक के रूप में पहचान हासिल की। वो प्रशासन में अक्षमता, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ थे। चौ चरण सिंह अपनी वाक्पटुता और दृढ़ विश्वास के साहसी व्यकित के रूप में जाने जाते हैं। एक समर्पित सार्वजनिक कार्यकर्ता और सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रखने वाले, श्री चरण सिंह की ताकत मूल रूप से लाखों किसानों के बीच उनके विश्वास से उपजी थी।
व्यकित्व के धनी चरण सिंहः
चौधरी चरण सिंह राजनीति में स्वच्छ छवि रखने वाले इंसान थे। वह गांधीवादी विचारधारा में यक़ीन रखते थे। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को किसानों के अभूतपूर्व विकास के लिए याद किया जाता है। चौधरी चरण सिंह की नीति किसानों व गरीबों को ऊपर उठाने की थी। उनका यह मत था कि बगैर किसानों को खुशहाल किए देश व प्रदेश का विकास नहीं हो सकता।
राष्ट्रीय किसान दिवस का इतिहास:
चौधरी चरण सिंह की मेहनत के कारण ही भारतवर्ष को गांवों और कृषि क्षेत्र की अधिकता लिए किसान प्रधान देश के रूप में जाना जाता है। भारत में लगभग 50% लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। 2001 में , तत्कालीन सरकार ने चौधरी चरण सिंह की जयंती को किसान दिवस के रूप में मान्यता देने का निर्णय लिया। तभी से 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। यह आम तौर पर किसानों की भूमिका और अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए देशभर में जागरूकता अभियान आयोजित करके मनाया जाता है।
राष्ट्रीय किसान दिवस का महत्व:
राष्ट्रीय किसान दिवस चौ चौधरी चरण सिंह की जंयती पर किसानों की भक्ति और बलिदान को पहचानने के लिए मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों की सामाजिक,आर्थिक भलाई सुनिश्चित करने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करना है। इस दिन किसानों को उनकी उपज बढ़ाने के लिए नवीनतम कृषि ज्ञान प्रदान करना तथा ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाता है। देश में कुछ-ही राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने लोगों के बीच रहकर सरलता से कार्य करते हुए इतनी लोकप्रियता हासिल की हो। एक समर्पित लोक कार्यकर्ता एवं सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रखने वाले श्री चरण सिंह को लाखों किसानों के बीच रहकर प्राप्त आत्मविश्वास से काफी बल मिला।
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