23 दिसम्बर का इतिहास के पन्नों में महान लोग

स्वदेशी शिक्षा को समर्पित विश्व-भारती विश्वविद्यालय

Dec 23, 2023 - 14:10
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23 दिसम्बर का इतिहास के पन्नों में महान लोग

आज इनका करें पुण्य स्मरण...

23 दिसम्बर 1921 स्वदेशी शिक्षा को समर्पित विश्व-भारती विश्वविद्यालय का उद्घाटन स्मृति दिवस पर शुभकामनाएं

मुक्तिनाथ विश्वविद्यालय, जो कि विश्वभर में भारतीय और पश्चिमी शिक्षा की समर्पित एक महत्वपूर्ण संस्था है, का उद्घाटन 23 दिसम्बर 1921 को हुआ था। इसे विश्व-भारती विश्वविद्यालय कहा जाता है। इसे भारतीय दारिद्र्य निवारण समिति के संस्थापक आचार्य विनोबा भावे, भारतीय साहित्यकार रवीन्द्रनाथ टैगोर, और अन्य कई महान विभूतियों ने मिलकर किया था। इसका उद्देश्य विश्वभर में भारतीय और पश्चिमी शिक्षा की समृद्धि और समन्वय को प्रोत्साहित करना था। इस विश्वविद्यालय का मुख्यालय शान्तिनिकेतन, वेस्ट बंगाल, भारत में है।

23 दिसम्बर 1899 साहित्यकार, पत्रकार एवं सम्पादक क्रान्तिकारी रामवृक्ष बेनीपुरी जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन

रामवृक्ष बेनीपुरी, भारतीय साहित्यकार, पत्रकार, और क्रान्तिकारी, का जन्म 23 दिसम्बर 1899 को हुआ था। उन्होंने अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं, और उनकी रचनाएं भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

रामवृक्ष बेनीपुरी ने विभिन्न साहित्यिक प्रकारों में लेखन किया, जिसमें कविता, कहानी, नाटक, और संपादकीय लेखन शामिल था। उनका लेखन सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आधारित था और उन्होंने अपने काम के माध्यम से समाज में सुधार को प्रोत्साहित किया।

रामवृक्ष बेनीपुरी का योगदान भारतीय साहित्य और सामाजिक संस्कृति में अद्वितीय है और उनकी जयंती को उनके योगदान को याद करने और समर्पित करने के लिए मनाया जाता है।

23 दिसम्बर 1888 स्वतन्त्रता सेनानी सत्येन्द्र चंद्र मित्रा जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन

23 दिसम्बर 1888 को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी सत्येन्द्र चंद्र मित्रा का जन्म हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया और उनका योगदान समृद्धि और स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण था। उन्हें उनकी साहसी क्रियाओं और सेना में उनकी भूमिका के लिए सम्मानित किया जाता है।

सत्येन्द्र चंद्र मित्रा को उनके स्वतंत्रता संग्राम में की गई शूरवीरता के लिए स्मृति में नमन किया जाता है और उनकी जन्मजयंती को श्रद्धांजलि दिया जाता है।

23 दिसम्बर 1865 रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी सारदानन्द जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन

23 दिसम्बर 1865 को रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य में से एक, स्वामी सारदानन्द (स्वामी विवेकानंद का असली नाम) का जन्म हुआ था। स्वामी सारदानन्द ने रामकृष्ण परमहंस के विचारों और उनके उपदेशों को विश्वभर में प्रसारित किया और उनके सिद्धांतों को अपनाया।

स्वामी सारदानन्द ने विशेष रूप से विश्व धर्म महासभा की स्थापना की और विवेकानंद के माध्यम से भारतीय संस्कृति और धर्म को पश्चिमी दुनिया में प्रस्तुत किया। उन्होंने भारतीय समाज को जागरूक करने और उसे स्वतंत्रता और समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए कई उपायों को बढ़ावा दिया।

स्वामी सारदानन्द की जयंती पर भक्ति और आदर के साथ कोटि-कोटि नमन। उनका योगदान हमें आत्मनिर्भर और उद्दीपनदायक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।

23 दिसम्बर 1845 राजनीतिज्ञ एवं सामाजिक कार्यकर्ता रास बिहारी घोष जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन

देश-दुनिया के इतिहास में 23 दिसंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह ऐसी तारीख है जिसने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। यह तारीख साल 1912 की 23 दिसंबर है। दरअसल क्रांतिकारी रास बिहारी बोस गवर्नर जनरल लार्ड चार्ल्स हार्डिंग की हत्या करने का मन बना चुके थे। इस दिन लार्ड चार्ल्स हार्डिंग पहली बार कोलकाता आने वाले थे। बंगाल के युवा क्रांतिकारी बसंत कुमार विश्वास को बम फेंकने की जिम्मेदारी दी गई। योजना थी कि लार्ड हार्डिंग हाथी पर बैठकर आएंगे और इतनी ऊंचाई पर सिर्फ बसंत कुमार विश्वास ही बम फेंक सकते हैं। जब गवर्नर जनरल की सवारी निकली तो कोलकाता के चांदनी चौक पर रास बिहारी और बसंत कुमार पहले से मौजूद थे। उन्होंने बम फेंका और जोरदार विस्फोट से इलाके में भगदड़ मच गई। घटना के बाद सभी को लगा कि हॉर्डिंग की मौत हो गई। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, हार्डिंग घायल हुए और उनका हाथी मारा गया। रास बिहारी की ये कोशिश नाकाम हुई। इसके तुरंत बाद वो देहरादून लौट आए और सुबह ऑफिस जाकर पहले की तरह काम करने लगे।

23 दिसम्बर 1941 भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी क्रान्तिकारी अर्जुन लाल सेठी पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन 

र्जुन लाल सेठी ने जैन शिक्षा प्रचारक समिति की स्थापना 1905 में जयपुर में की इसी के तहत इन्होंने जयपुर में 1907 में वर्धमान विद्यालय, वर्धमान छात्रावास, वर्धमान पुस्तकालय की भी स्थापना की वर्धमान स्कूल मुख्य कार्य क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देना ही था अर्जुन लाल सेठी ने मथुरा में भी एक जैन विद्यालय में अध्यापक के रूप में नौकरी की 

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार