भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और सुधारक विनायक दामोदर सावरकर
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और सुधारक विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है, की जीवन यात्रा।
पुरानी है लाइट, कैमरा और एक्शन के साथ चुनाव की जुगलबंदी
चुनावी वर्ष हो और बालीवुड पर इसका असर नहीं दिखे, ऐसा हो ही नहीं सकता। वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के आम चुनाव के दौरान भी यह देख्खा जा चुका है कि किस तरह से चुनावों से पहले राजनीतिक विषयों पर आधारित फिल्में प्रदर्शित की जाती रही हैं। इस सखल भारतीय फिल्म उद्योग की तैयारी कुछ ज्यादा हो खास दिख रही हैं। चुनाव आयोग की तरफ से आम चुनाव की घोषणा होने से पहले ही राजनीतिक भावनाओं व विषयों से जुड़ी चार-पांच फिल्में रिलीज हो चुकी हैं। जबकि ओटीटी और सिनेमाघरों में अगले दो महीनों के दौरान कम से कम दर्जन भर ऐसी फिल्में रिलीज होने वाली हैं, जिनके विषय ऐसे हैं जो मौजूदा राजनीतिक विमर्श को किसी न किसे तरीके से प्रदर्शित करते हैं।
हाल के महीनों में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जीवन पर आधारित पर 'मैं अटल हूं', बालाकोट हमले पर आधारित 'फाइटर', जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 समाप्त करने के विषय पर बनी 'आर्टिकल-370' कुछ ऐसी फिल्में हैं जो समसामयिक राजनीतिक परिदृश्य को छूती हैं। यह सिलसिला आने वाले दिनों में और तेज होने वाला है। फिल्म उद्योग की तरफ से जो सूचनाएं सामने आई हैं उसके मुताबिक 22 मार्च, 2024 को बीर सावरकर की जीवनी पर बनी फिल्म 'स्वतंत्र बीर सवरकर' रिलीज होने जा रही है। रणदीप हुडा अभिनीत इस फिल्म का ट्रेलर भी काफी लोकप्रिय हो चुका है। वैसे गांधी जी को जीवन को भी एक बार फिर दर्शकों के सामने लाने की तैयारी चल रही है। प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा की किताब पर आधारित एक औटीटी प्रोजेक्ट पर निर्देशक हंसल मेहता काम कर रहे हैं। इसके भी अगले कुछ हफ्तों में प्रदर्शित किये जाने की तैयारी है। चुनावों के बाद तक चलेगा सिलसिला इसी तरह से एक और फिल्म जो राजनीतिक हस्ती से जुड़ी हुई है उसका नाम है 'इमरजेंसी।
अदाकारा व निर्माता कंगन रनोट की यह बहुप्रतीक्षित फिल्म पूर्व पीएम व कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी के जीवन के उस काल पर आधारित है जब पूरे देश में आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल की घोषणा आजाद भारत के इतिहास का एक अहम घटनाक्रम है, जिसके कई राजनीतिक परिणाम सामने आए। निर्माता निर्देशकों की तरफ से फिल्म को मार्च-अप्रैल में रिलीज करने की काफी कोशिक्षा की गई, लेकिन अब इसे जून, 2024 में प्रदर्शित किये जाने की सूचना है। रनेट ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की जीवनी पर आधारित फिल्म 'थलाइवी' में भी काम किया था।
कंगन उन गिनी चुनी अभिनेत्रियों में से हैं जिन्हें बेबाक राजनीतिक बयान के लिए जाना जाता है। इस हफ्ते भी रिलीज होंगी दो फिल्में इस हफ्ते रजाकार द साइलेंट जिनोसाइड आफ हैदराबाद रिलीज हो रही है। इसमें भारतीय फिल्म इतिहास में पहली बार हैदराबाद में निजाम के कार्यकाल में हिंदुओं की समूहिक हत्या व बलात्कार के विषय को छुआ गया है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई विशेषज्ञ फिल्म को प्रोपगेंडा व इतिहास को गलत तरीके से पेश करने के आरोप भी निर्माता-निर्देशक पर लगा चुके हैं। इस क्रम में 15 मार्च, 2024 को ही रिलीज होने वाली बस्तर द नक्सल स्टोरी को भी रखा जा सकता है। इसमें छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या और इससे निबटने में राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव को निशाने पर लिय गय है।
द कश्मीर फाइल्स से शुरू हुआ नया दौर इन फिल्मों के बनने का एक कारण हाल के वर्षों में द कश्मीर फाइल्स और गदर-2 जैसी फिल्मों को मिली सफलता भी है। द कश्मीर फाइल्स कश्मीर घाटी से हिंदुओं के पलायन और पाक परस्त आतंकियों की तरफ से कश्मीरी हिंदुओं को प्रताड़ित करने के घटनाक्रम को सामने लाती है। जबकि गदर-दी एक काल्पनिक कथा है, लेकिन राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत थी। हालांकि '72 हूरें' और 'अकेली' जैसी कुछ फिल्में भी आई, जिन्हें दर्शकों ने सिरे से नकार दिया।
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