खाद्य सामग्री पर जरूरी विवरण नहीं होने से दुकानदार पर 50 हजार जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने मामला 24 साल पुराना होने और दुकानदार की आयु करीब 60 साल होने के आधार पर नए कानून का लाभ देते हुए

Mar 11, 2024 - 21:40
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खाद्य सामग्री पर जरूरी विवरण नहीं होने से दुकानदार पर 50 हजार जुर्माना

खाद्य सामग्री पर जरूरी विवरण नहीं होने से दुकानदार पर 50 हजार जुर्माना

  • सुप्रीम कोर्ट ने पैकेट पर निर्माण तिथि नहीं होने पर कैद के वदले लगाया जुर्माना
    खाद्य पदार्थ अपमिश्रण निवारक, खाद्य सुरक्षा व मानक कानून के उल्लंघन का दोषी

अक्सर छोटी-छोटी दुकानों विशेषकर गांव और कस्बों में स्थानीय स्तर पर निर्मित पैकेट बंद खाद्य पदार्थ बिकते हैं जिनमें न तो निर्माता का नाम-पता छपा होता है और ना ही निर्माण की एक्सपाइयरी डेट लिखी होती है। लोग प्रायः यह नहीं जानते कि ये नियमों का उल्लंघन है और मिसब्रांडिंग में आता और इसके लिए सजा भी हो सकती है। ऐसा ही एक मामला कोलकाता का था जिसमें निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने दुकानदार को खाद्य अपमिश्रण निवारक कानून के उल्लंघन का दोषी माना है और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

इस मामले में कोलकाता की एक दुकान में बिक रहे पैकेट बंद खाद्य पदार्थ (शक्कर की चाशनी से बनी चीज) को जांचने में उसमें कोई मिलावट नहीं पायी गई लेकिन पैकेट पर निर्माता का विवरण, पता व निर्माण की तिथि न लिखी होने से दुकानदार को मिसन्ब्रांडिंग का दोषी माना गया और 50 हजार रुपये जुर्माने  की सजा सुनाई गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामला 24 साल पुराना होने और दुकानदार की आयु करीब 60 साल होने के आधार पर नए कानून का लाभ देते हुए तीन महीने की कैद की सजा घटा कर 50 हजार रुपये जुर्माने तक सीमित कर दी है। वैसे निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक ने दुकानदार को अपराध के समय लागू खाद्य अपमिश्रण निवारक कानून के तहत तीन महीने कैद और एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। उसके साथी को दो हजार रुपये जुर्माने की सजा दी थी।

यह फैसला जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रसन्ना बी. वारले की पीठ ने 7 मार्च 2024 को सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने सजा घटाते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 20 में इस बात का निषेध है कि अपराध घटित होने पर लागू कानून में तय सजा से ज्यादा सजा किसी को नहीं दी जा सकती लेकिन तय सजा से कम सजा देने पर कोई रोक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जब अपराध घटित हुआ था उस समय खाद्य अपमिश्रण निवारक कानून 1954 लागू था जो कि निरस्त हो चुका है और अब उसकी जगह खाद्य सुरक्षा और मानक कानून 2006 लागू है। नये कानून में मिसब्रांडिंग पर धारा 52 में तीन लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है लेकिन कैद की सजा का प्रावधान इसमें नहीं है।

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