संतों ने आध्यात्मिक जागरण कर लोक में निर्भयता का भाव जगाया: डॉ. मोहन भागवत जी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने "कार्यकर्ता विकास वर्ग - द्वितीय" के समापन समारोह में आध्यात्मिक जागरण, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, और भारतीय दृष्टि से विकास पर जोर दिया। उन्होंने समाज में आत्मीयता और एकात्मता को अंगीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

Jun 11, 2024 - 11:45
Jun 12, 2024 - 14:37
 0  17
संतों ने आध्यात्मिक जागरण कर लोक में निर्भयता का भाव जगाया: डॉ. मोहन भागवत जी
 संतों ने आध्यात्मिक जागरण कर लोक में निर्भयता का भाव जगाया: डॉ. मोहन भागवत जी
 

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने "कार्यकर्ता विकास वर्ग - द्वितीय" के समापन समारोह में कहा कि सामाजिक परिवर्तन से ही व्यवस्था में परिवर्तन आता है, और इसके लिए सबसे पहले आध्यात्मिक जागरण आवश्यक होता है। उन्होंने बताया कि आक्रांताओं के आक्रमण के समय संतों ने आध्यात्मिक जागरण से समाज में निर्भयता का भाव जगाया था। हमें भी अपने व्यवहार में आत्मीयता और एकात्मता को अंगीकृत करना होगा, जिससे समाज में समरसता आएगी।

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी "कार्यकर्ता विकास वर्ग - द्वितीय" के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे. इस अवसर पर व्यासपीठ पर श्रीक्षेत्र गोदावरी धाम के पीठाधीश महंत श्री रामगिरि जी महाराज, वर्ग के सर्वाधिकारी इकबाल सिंह जी, विदर्भ प्रान्त संघचालक दीपक जी तामशेट्टीवार तथा नागपुर महानगर संघचालक राजेश जी लोया विराजमान थे. 

सरसंघचालक जी ने कहा कि डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर कहते थे कि कोई भी बड़ा परिवर्तन होने से पहले समाज में आध्यात्मिक जागृति होती है. हमारे देश में यही होता आया है. हमारा समाज विविधताओं से भरा है, किन्तु सबका मूल एक ही है. सभी को एक साथ मिलकर चलना है. हमें दूसरों की राय का सम्मान करना चाहिए. हमें अपनी पूजा पर विश्वास रखकर, दूसरों की उपासना पद्धति का भी सम्मान करना चाहिए. जब हम ये बात भूल गए, तब समाज में विकृति आयी. हमने अपने ही भाई-बहनों को अछूत मानकर अलग रखा. इसे वेदों, उपनिषदों का कोई समर्थन नहीं है. छुआछूत का भेदभाव पुराना हो चुका है. अब समाज को एकात्मता की आवश्यकता है. समाज में अन्याय के कारण एक-दूसरे के प्रति द्वेष और अविश्वास पैदा होता है. उन्होंने कहा कि हमारे ही समाज में जो लोग अन्याय के चलते हमसे अलग हो गए, उन्हें अपने साथ लाना है. सबके प्रति सद्भावना अनिवार्य है.

पर्यावरण के सम्बन्ध में भारतीय दृष्टि

 सरसंघचालक ने कहा कि इस वर्ष पहले से अधिक गर्मी महसूस हुई. हिल स्टेशन पर भी गर्मी का अनुभव हुआ. बेंगलुरू जैसे महानगर में जल संकट हुआ. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. पर्यावरण संकट बढ़ रहा है. भारतीय परम्परा स्वयं को पर्यावरण का मित्र मानती है. हमारी मूल दृष्टि वसुधैव कुटुंबकम की है. सृष्टि हमारी माता है. इसी भाव से पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के प्रतिमान बनाने होंगे. सामाजिक समरसता, पर्यावरण, स्व-आधारित व्यवस्था, परिवार प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य - ये पंच परिवर्तन पर संघ ने कार्य प्रारम्भ किया है.

 विकास पथ पर भारतीय दृष्टि

 आधुनिक विज्ञान और प्राचीन ज्ञान को एक साथ लाकर काम करना चाहिए. उस उद्देश्य के लिए भारतीय दृष्टि से विकास के मानदंड तैयार करने होंगे. इसके लिए हमें देश में शान्ति चाहिए. कोई देश अशांति से नहीं चल सकता. मणिपुर एक साल से जल रहा है. ऐसा लगा कि पुरानी गन संस्कृति समाप्त हो गई है. किन्तु नफरत का माहौल बनाकर मणिपुर में अशान्ति फैला दी गई. इस पर विचार कर उसका समाधान करना होगा.

 चुनाव सहमति बनाने की प्रक्रिया है. संसद में किसी भी प्रश्न के दोनों पहलू पर चर्चा होती है. यह एक व्यवस्था है. वास्तव में सहमति बने इसलिए संसद है. किन्तु चुनाव प्रचार में एक दूसरे को लताड़ना, तकनीक का दुरुपयोग, असत्य प्रसारित करना यह ठीक नहीं है. विरोधी की जगह प्रतिपक्ष कहना चाहिए. चुनाव के आवेश से मुक्त होकर देश के सामने उपस्थित समस्याओं पर विचार करना होगा.

 

 सामाजिक समरसता का बोध संघ परिवार से होता है - श्री रामगिरि जी महाराज

 भारत युद्ध की नहीं, वरन बुद्ध की भूमि है. वर्षों से भारत के धर्म व संस्कृति पर आक्रमण होता आया है. किन्तु भारत की संत परम्परा और धर्मात्मा वीरों ने इसकी रक्षा करने का महान कार्य किया है. संस्कार, समर्पण भाव और सामाजिक समरसता का बोध संघ परिवार से होता है. पितृवचन का पालन करने वाले श्रीराम हमारे आदर्श हैं. उन्होंने भारतीय संस्कृति की अवधारणा को विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से समझाया. उन्होंने सामाजिक समरसता के भाव को समाज जीवन में प्रसारित करने की आवश्यकता पर बल दिया.

 

“कार्यकर्ता विकास वर्ग – द्वितीय” के कार्यवाह अशोक अग्रवाल ने वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि इस वर्ग में 34 विभिन्न भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 936 शिक्षार्थी सहभागी हुए, जिसमें 74 विद्यार्थी, 111 शिक्षक, 27 इंजीनियर, 39 वकील, 28 श्रमिक, 4 पत्रकार, 263 पूर्णकालिक संघ कार्यकर्ता, 65 छोटे व्यवसायी, 11 छोटे उद्यमी, 14 प्रोफेसर/प्रिंसिपल, 9 डॉक्टर, 52 किसान, 136 कर्मचारी, 101 स्व-रोजगार, 2 अन्य का समावेश रहा.

 

वर्ग के सर्वाधिकारी इकबाल सिंह ने व्यासपीठ पर विराजमान मान्यवारों का परिचय दिया. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने पुष्पमाला पहनाकर श्रीक्षेत्र गोदावरी धाम के पीठाधीश महंत गुरुवर्य श्री रामगिरि जी महाराज का स्वागत किया.

 

सम्मान और आभार व्यक्त

सरसंघचालक ने महंत श्री रामगिरि जी महाराज का पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया। नागपुर महानगर के संघचालक राजेश जी लोया ने विशेष आमंत्रित गणमान्य व्यक्तियों का परिचय कराया और आभार व्यक्त किया। समारोह में नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

 

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad