कारगिल युद्ध: वीरता और बलिदान का प्रतीक

मई से जुलाई 1999 के बीच जम्मू और कश्मीर के कारगिल (अब लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश में) में नियंत्रण रेखा (LoC) पर लड़ा गया। इस युद्ध में भारत ने विजय प्राप्त की।

Jul 26, 2024 - 06:24
Jul 26, 2024 - 06:26
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कारगिल युद्ध: वीरता और बलिदान का प्रतीक

कारगिल युद्ध: वीरता और बलिदान का प्रतीक

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद कई सैन्य संघर्ष हुए। वर्ष 1998 में दोनों देशों द्वारा किए गए परमाणु परीक्षणों ने तनाव को और बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप 1999 में कारगिल युद्ध हुआ। यह युद्ध, जिसे कारगिल संघर्ष के नाम से भी जाना जाता है, मई से जुलाई 1999 के बीच जम्मू और कश्मीर के कारगिल (अब लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश में) में नियंत्रण रेखा (LoC) पर लड़ा गया। इस युद्ध में भारत ने विजय प्राप्त की।

ऑपरेशन विजय

1999 में, भारत और पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए लाहौर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, पाकिस्तानी सैनिकों ने ऑपरेशन बद्र के तहत नियंत्रण रेखा (LOC) के भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ शुरू कर दी, इस उम्मीद में कि सियाचिन में भारतीय सैनिकों को पराजित किया जा सकेगा। इसके जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया।

3 मई, 1999 को पाकिस्तान ने लगभग 5,000 सैनिकों के साथ कारगिल के चट्टानी पहाड़ी क्षेत्र में उच्च ऊँचाई पर घुसपैठ की और उस पर कब्जा कर लिया। जब भारत सरकार को इस विश्वासघात की जानकारी मिली, तो भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया। इस अभियान का उद्देश्य भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने वाले घुसपैठियों को वापस खदेड़ना था।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन 2019 में किया गया, जो इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर की दूरी पर स्थित है। इसमें मुख्य तौर पर चार संकेंद्रित वृत्त शामिल हैं, जिनका नाम है:

  1. अमर चक्र या अमरता का चक्र
  2. वीरता चक्र या वीरता का चक्र
  3. त्याग चक्र या बलिदान का चक्र
  4. रक्षक चक्र या सुरक्षा का चक्र

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का प्रस्ताव पहली बार 1960 के दशक में बनाया गया था। यह स्मारक उन सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। इसमें 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1947, 1965, और 1971 के भारत-पाक युद्ध, श्रीलंका में 1987-90 के भारतीय शांति सेना संचालन, और 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की वीरता को याद किया जाता है।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सैनिकों को भी सम्मानित करता है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन, मानवीय सहायता आपदा राहत (HADR) संचालन, आतंकवाद विरोधी अभियान, और कम तीव्रता वाले संघर्ष संचालन (LICO) में भाग लिया और सर्वोच्च बलिदान दिया।

इस प्रकार, कारगिल युद्ध ने न केवल भारतीय सेना की वीरता और साहस को प्रदर्शित किया, बल्कि देश के प्रति उनके अटूट समर्पण को भी उजागर किया। यह युद्ध भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो हमें हमारे वीर शहीदों की याद दिलाता है और उनके बलिदान को सम्मानित करता है।

कारगिल युद्ध में हीरो कौन था 

उनमें से एक हैं कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें कारगिल वॉर का हीरो भी कहा जाता है। 9 सितंबर 1974 को जन्मे Captain Vikram Batra इस युद्ध में 7 जुलाई 1999 को शहीद हो गए। उन्हें उनके साहस के लिए मरणोपरांत भारत के सबसे प्रतिष्ठित और सर्वोच्च वीरता पुरस्कार Param Vir Chakra दिया गया।

कारगिल युद्ध में कौन सी रेजिमेंट शामिल थी?

कारगिल युद्ध में वीरता के लिए सबसे अधिक पदक पाने वालों में भारतीय सेना की कश्‍मीर राइफल्‍स और राजपूताना राइफल्‍स के जांबाज शामिल हैं

कारगिल युद्ध के दौरान भारत के प्रधानमंत्री कौन थे? 

कारगिल युद्ध 8 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 के बीच भारतीय सेना और पाकिस्तानी सेना के बीच लड़ा गया था। उस समय, भारत में प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार सत्ता में थी, और नवाज़ शरीफ़ पाकिस्तान के प्रधान मंत्री थे

कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के सेना प्रमुख कौन थे?

नवाज शरीफ ने जनरल परवेज़ मुशर्रफ को सेना प्रमुख के पद पर नियुक्त किया।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,