हिन्दू समाज इतनी जमकर होली खेल रहा है कि लिबर्ल्स को धोने का पानी भी कम पड़

हिन्दू समाज ने वैसे ही शिवालयो में अभिषेक करना कम कर दिया था. लिबर्ल्स को कीड़ा काटा दो बूंद दूध ज्ञान दे दिया.

Mar 18, 2024 - 13:47
Mar 18, 2024 - 19:11
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हिन्दू समाज इतनी जमकर होली खेल रहा है कि लिबर्ल्स को धोने का पानी भी कम पड़

इस नए हिन्दू समाज की सच्चाई और उसके अद्भुत परिणामों को देखकर हमें आत्म-विश्वास और गर्व महसूस होता है। यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, जो समाज में सामंजस्य और सहयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ व्यक्तियों को अपनी परंपराओं के प्रति उनके संबंध को मजबूत करने का भी माध्यम बना रहा है।

1. हिन्दू समाज ने वैसे ही होली खेलना कम कर दिया था. लिबर्ल्स को कीड़ा काटा पानी बचाओ ज्ञान दे दिया.
परिणाम:- पिछले दो वर्ष से हिन्दू समाज इतनी जमकर होली खेल रहा है कि लिबर्ल्स को धोने का पानी भी कम पड़ गया.

2. हिन्दू समाज ने वैसे ही दीपावली पर पटाखे फोड़ना कम कर दिया था. लिबर्ल्स को कीड़ा काटा पटाखे बैन करवा दिए.
परिणाम:- पिछले वर्ष हिंदुओ ने इतने जमकर पटाखे फोड़े कि लिबर्ल्स का इंजन धुंआ धुंआ हो गया.

3. हिन्दू समाज ने वैसे ही शिवालयो में अभिषेक करना कम कर दिया था. लिबर्ल्स को कीड़ा काटा दो बूंद दूध ज्ञान दे दिया.
परिणाम:- हिन्दू समाज अब ऐसा दिल खोलकर अभिषेक कर रहा है कि लिबर्ल्स की फिल्में देखना बन्द कर दी. लिबर्ल्स कलाकार दो बूंद सफलता के लिए तरस गए.

4. हिन्दू समाज ने वैसे ही दीपावली पर दीपक जलाना कम कर दिया था. वह आर्टिफिसियल लाइटिंग कर रहा था. सेक्युलर्स/लिबर्ल्स को कीड़ा काटा तेल बचाने का ज्ञान दे दिया.
परिणाम:- पिछले वर्ष हिंदुओ ने दीपावली पर इतने दीपक प्रज्वलित किये कि कुम्हारों के घर रोशन हो गए और सेक्युलर्स/लिबर्ल्स के ग्लेशियर पिघल गये.

ये नया हिन्दू समाज है जो अब लिबर्ल्स के प्रोपेगैंडा में फंसकर अपनी परम्पराओ को मनाना नही छोड़ता बल्कि दुगुनी ताकत से मनाकर लिबर्ल्स को कड़ा संदेश देता है कि अपने हद में रहो ये हमारे त्योहार है हम तय करेंगे कैसे मनाना है कोई अन्य नही.

आइए नए हिंदुस्तान का बाहें फैलाकर स्वागत कीजिए. होली जमकर खेलिए. अपनी उमंगों, पर्वो और हर्षोल्लास में किसी अन्य को घुसपैठ का अवसर देकर अपनी खुशियां बर्बाद मत कीजिए..

होली, जिसे हम रंगों और खुशियों का त्योहार कहते हैं, अब इस नए समाज के जीवन में एक नई ऊर्जा के साथ मनाया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में होली के खेलने की परंपरा को पुनः जीवंत किया गया है, और इसमें रंगों के साथ-साथ समाज में सामंजस्य और एकता के संदेश को भी समाहित किया जा रहा है। नए हिन्दू समाज के इस अनुभव से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमारी परंपराओं को जीवंत रखने के लिए हमें उन्हें अपनाने के लिए खुले मन से तैयार रहना चाहिए।

दीपावली, जो प्रकाश के त्योहार के रूप में मनाया जाता है, अब भी समाज के लिए एक सामर्थ्य और उत्साह का प्रतीक बना हुआ है। इस नए हिन्दू समाज ने दीपावली के मनाने के तरीके को अपनाते हुए अपने समर्थन का प्रदर्शन किया है। उनका यह नया दृष्टिकोण और समर्थन से दिखाया गया है कि एक संघर्षपूर्ण समय में भी हमारी परंपराएं हमें आगे बढ़ने के लिए साहस और ऊर्जा प्रदान कर सकती हैं।

इस नए हिन्दू समाज की उभरती शक्ति को देखते हुए, हमें समझ में आता है कि हमारा समाज न केवल अपनी परंपराओं को सुरक्षित रखने में सक्षम है, बल्कि उसने अपनी सामाजिक दायित्वों को भी सजगता से निभाने का संकल्प भी किया है। इस समय में, जब समाज में विभाजन और असमंजस है, इस नए समाज का आगे बढ़ना एक आदर्श और आगे की दिशा का संकेत है।

इस सभी से, हमें एक बहुत ही प्रेरणादायक संदेश मिलता है - हमें अपनी परंपराओं का सम्मान करने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए तत्पर रहना चाहिए, परंतु इसके साथ ही हमें समाज के लिए उपयुक्त और सही नेतृत्व प्रदान करना भी महत्वपूर्ण है। नए हिन्दू समाज की यह पहचान एक नए भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समृद्धि, समानता, और सामाजिक न्याय के माध्यम से सबका साथ और सहयोग बढ़ाता है।

इस प्रकार, हमें नए हिन्दू समाज का स्वागत करते हैं और उन्हें उनके सामाजिक एवं सांस्कृतिक संदेश के लिए प्रशंसा करते हैं। यह समाज एक नया दौर दर्शाता है, जहां हम सभी मिलकर अपनी परंपराओं को समृद्ध बनाने के साथ-साथ समृद्धि, समानता, और समाजिक न्याय के माध्यम से एक सशक्त भारत की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

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Amit Chauhan Ex-VICE PRISEDENT JAMIA UNIVERSITY, NEW DELHI (ABVP) Ex- Executive member Delhi PRANT (ABVP)