दूसरी बार संघ के सरकार्यवाह चुने गए दत्तात्रेय होसबाले
मोदी सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल के बारे में होसबाले ने कहा, लोगों ने देखा है कि देश ने पिछले 10 वर्षों में कितनी प्रगति की है
![दूसरी बार संघ के सरकार्यवाह चुने गए दत्तात्रेय होसबाले](https://bharatiya.news/uploads/images/202403/image_870x_65f7ec7db3f9d.jpg)
राज्य मुंबई
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने रविवार को दत्तात्रेय होसबाले को सर्वसम्मति से लगातार दूसरी बार सरकार्यवाह चुन लिया। वह 2021 से सरकार्यवाह के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। उनका पुनःनिर्वाचन 2024 से 2027 की अवधि के लिए हुआ है। सभा में अयोध्या स्थित राम मंदिर पर एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा को विश्व इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ करार दिया गया।
प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक शुक्रवार को नागपुर के रेशिमबाग स्थित समिति भवन परिसर में प्रारंभ हुई थी। इसमें आरएसएस से जुड़े विभिन्न संगठनों के 1,500 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में होसबाले ने छह सहसरकार्यवाह नियुक्त किए जिनमें कृष्ण गोपाल, मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर, अतुल लिमये और आलोक कुमार शामिल हैं। रविवार की बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उपस्थित थे। बाद में संवाददाता सम्मेलन में होसबाले ने कहा कि चुनावी बांड एक प्रयोग है और वक्त आने पर पता चलेगा कि यह कितना फायदेमंद और प्रभावी रहा। संघ ने अभी तक इसके बारे में चर्चा नहीं की है। उन्होंने कहा, 'यह नियंत्रण व संतुलन के साथ किया गया और ऐसा नहीं है कि चुनावी बांड आज अचानक पेश कर दिया गया, ऐसी योजना पहले भी लाई गई थी। जब भी कोई बदलाव होता है तो सवाल उठाए जाते हैं।
जब ईवीएम लाई गई थीं, तब भी सवाल उठाए गए थे। जब नई चीजें आती हैं तो लोगों का सवाल उठाना लाजिमी है।' उन्होंने कहा कि आरएसएस समान नागरिक संहिता का स्वागत करता है। कई वर्ष पहले अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने इसे कानूनी रूप देने की मांग संबंधी एक प्रस्ताव पारित किया था। इसे उत्तराखंड में लागू किया गया है। हम चाहेंगे कि इसे देशभर में लागू किया जाए। उत्तराधिकार, गोद लेना, विवाह और कुछ अन्य मुद्दे हैं जिन पर चर्चा की जरूरत है और उसके बाद वे आगे बढ़ सकते हैं।
मोदी सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल के बारे में होसबाले ने कहा, लोगों ने देखा है कि देश ने पिछले 10 वर्षों में कितनी प्रगति की है और यहां तक कि प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और राजनीतिक विचारकों ने भी दोहराया है कि वर्तमान सदी भारत की है। उन्होंने कहा, 'ऐसा कहने से उनके लिए कुछ अच्छा ही हो रहा होगा। वैसे भी लोग चार जून को अपना फैसला सुनाएंगे।' इस सवाल कि क्या सीएए की वर्तमान कटआफ डेट 31 दिसंबर, 2014 बढ़ायी जानी चाहिए, होसबाले ने कहा- जरूरत पड़ने पर अधिकारी ऐसा कर सकते हैं।
काशी एवं मथुरा से जुड़े विवाद के संबंध में उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए जो किया गया, वह हर चीज के लिए नहीं किया जाना चाहिए। यह जरूरी नहीं है। मामला अदालत में है। अगर यह अदालत में हल होता है तो आंदोलन की जरूरत नहीं है। अल्पसंख्यकों के संबंध में होसबाले ने कहा, 'यह देश सभी का है और (समुदायों को) अल्पसंख्य कहने की पद्धति या विचार दशकों से चला आ रहा है।
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