कारगिल विजय दिवस: शौर्य, साहस और बलिदान की अमर गाथा

कारगिल युद्ध का आरंभ मई 1999 में हुआ जब भारतीय सेना को पता चला कि पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी घुसपैठिए कारगिल जिले के महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा कर चुके हैं। ये घुसपैठिए भारतीय क्षेत्र में लगभग 4-5 किलोमीटर अंदर तक घुस चुके थे और ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था

Jul 26, 2024 - 06:06
Jul 26, 2024 - 06:10
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कारगिल विजय दिवस: शौर्य, साहस और बलिदान की अमर गाथा

कारगिल विजय दिवस: शौर्य, साहस और बलिदान की अमर गाथा

कारगिल विजय दिवस, भारतीय इतिहास का एक ऐसा महत्वपूर्ण अध्याय है जो हमारे वीर जवानों के साहस, शौर्य और बलिदान की कहानी बयां करता है। यह दिवस 26 जुलाई को हर साल मनाया जाता है और यह दिन उन वीर सपूतों को समर्पित है जिन्होंने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की।

युद्ध  मई 1999 पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी घुसपैठिए कारगिल जिले

कारगिल युद्ध का आरंभ मई 1999 में हुआ जब भारतीय सेना को पता चला कि पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी घुसपैठिए कारगिल जिले के महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा कर चुके हैं। ये घुसपैठिए भारतीय क्षेत्र में लगभग 4-5 किलोमीटर अंदर तक घुस चुके थे और ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था, जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग 1 (श्रीनगर-लेह मार्ग) को खतरा उत्पन्न हो गया था।

ऑपरेशन  का नाम विजय रखा गया था 

भारतीय सेना ने इस घुसपैठ का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की सेना और आतंकवादियों को भारतीय क्षेत्र से बाहर खदेड़ना था। इस अभियान में भारतीय सेना के कई रेजिमेंट्स ने हिस्सा लिया, जिनमें विशेष रूप से 18 ग्रेनेडियर्स, 8 सिख, 14 सिख, और 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स शामिल थे। भारतीय वायुसेना ने भी 'ऑपरेशन सफेद सागर' के तहत महत्वपूर्ण योगदान दिया।

युद्ध में बहुत सी  कठिनाइयाँ आएं 

कारगिल युद्ध भौगोलिक और जलवायु दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद कठिन था। भारतीय सैनिकों को दुश्मन से ऊंचाई पर बैठकर लड़ना पड़ा, जहां से पाकिस्तान की सेना की गोलाबारी का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, बर्फीली हवाएं, कठिन रास्ते और कम ऑक्सीजन के स्तर ने भारतीय जवानों के सामने और भी चुनौतियां खड़ी कर दीं। परंतु, हमारे वीर जवानों ने इन सभी कठिनाइयों को परास्त करते हुए दुश्मन को खदेड़ दिया।

विजय की प्राप्ति करने में 60  दिन का समय लगा था 

लगभग 60 दिनों के लंबे संघर्ष के बाद 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' की सफलता की घोषणा की। इस दिन को ही 'कारगिल विजय दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में 527 भारतीय जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी और सैकड़ों घायल हुए। इन वीर जवानों के साहस और बलिदान को आज भी देश याद करता है और सम्मानित करता है।

युद्ध  वीरों को  बलिदान और सम्मान 

कारगिल युद्ध के नायकों को उनकी वीरता और साहस के लिए विभिन्न वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें परमवीर चक्र, महावीर चक्र, और वीर चक्र शामिल हैं। कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय, ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव, और राइफलमैन संजय कुमार जैसे वीर सपूतों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

कारगिल विजय दिवस का महत्व क्या है 

कारगिल विजय दिवस हमारे सैनिकों के बलिदान और देशभक्ति की मिसाल है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारे देश की सुरक्षा में लगे सैनिक किस प्रकार अपने प्राणों की परवाह किए बिना देश की रक्षा करते हैं। यह दिन हमें यह संकल्प लेने का अवसर देता है कि हम अपने वीर जवानों के बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे और हमेशा उनके प्रति कृतज्ञ रहेंगे।

कारगिल विजय दिवस भारतीय सेना के अद्वितीय साहस और शौर्य का प्रतीक है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हमारे जवान किसी भी हद तक जा सकते हैं। इस दिन हम सभी को उन वीर जवानों को नमन करना चाहिए जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की और हमें सुरक्षित रखा। कारगिल विजय दिवस हमारे दिलों में देशभक्ति की भावना को और प्रबल बनाता है और हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी को अपने देश की रक्षा और सम्मान के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

लेखक - bharatiya news 

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