अयोध्या और 'अर्थ'शास्त्र
भारतीय अर्थव्यवस्था में तीर्थस्थल मंदिरों के अर्थतंत्र का महत्व आप इस बात से समझ सकते है कि, वित्त वर्ष 2022-23 में केवल छह बड़े हिंदू मंदिरों में 24,000 करोड़ रुपये का चढ़ावा आया।
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शुभम द्विवेदी"प्रसू"
लेखक
आप अयोध्या और अपने-अपने राम की बात करते हैं। सबके अपने विचार हो सकते हैं। आज अयोध्या के बहाने पर्यटन के लिए अर्थ यानी पैसों का शास्त्र समझने की कोशिश करते हैं। सबसे पहले आंकड़े से जानते हैं कि अयोध्या और अर्थशास्त्र के बारें में:
1.रिसर्च वाली रिपोर्ट: SBI ने 21 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी किया। उस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 से दोगुना खर्च अब 2024 में हो सकता है, टूरिज़्म के लिहाज से। एक और रिसर्च बताता है, जैसा कि इंडिया टूडे ग्रुप की एक डिजिटल वेबसाइट पर भी लिखा गया। यूपी सरकार को फाइनेंशियल ईयर 2025 में 20 हज़ार से 25 हज़ार करोड़ तक की अतिरिक्त कमाई हो सकती है।
2. आस्था और 'अर्थ': आप जब रामलला के दर्शन करने जाएंगे। तब आप भक्तजन भी फूल-माला के साथ नारियल, प्रसादी (मिठाई) समेत तमाम पूजा-पाठ सामग्री को खरीदेंगे। इससे किसी दुकानदार की चार रुपये की आमदनी होगी। यानी एक शख्स को सपरिवार रोजगार के अवसर का सृजन होगा।
3 . आय से आराधना: साथ ही ज्योतिषाचार्य और पुजारी को दक्षिणा देने की परंपरा है। इसका सीधा सा मतलब है एक जेब खाली होगा, तो दूसरे के जेब में मनी ट्रांसफर।
4. घूम-घूमकर 'आय': मंदिर की सीढ़ियों के सामने ही तिलक लगाने वालों को रोजगार। बच्चों का खिलौना बेचने वाले। पेन, की-रिंग और फोटो फ्रेम समेत अन्य चीज़ों को बेचने वाले ।
5. 'अर्थ'शास्त्र: आपको आध्यात्मिक अध्ययन यानी स्प्रिचुअल स्टडी के लिए पुस्तक की आवश्यकता होगी। इसके लिए बाक़ायदा किताबघर होते हैं। मंदिर के पास रोड के किनारे कई लोग दुकान चलाते हैं, सबको सिर्फ धर्मग्रंथ से ही आय की आस होती है। इसमें प्रत्यक्ष रूप से दुकानदार और भक्तजन दिखते हैं। लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से पब्लिकेशन से जुड़े लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलते हैं।
6. भोजन और चाय-पानी: जो भक्त बाहर से आएंगे, उसको भोजनालय की जरूरत होगी। लिहाजा इसे भी नौकरी मानकर पैसे कमा सकते हैं। चाय की चुस्की के लिए आपको गुमटी चलाने वाले मिल जाएंगे।
7. फुटपाथी आर्टिस्ट: हम कई लोगों को भिकारी कहते हैं जबकि वो लोग भजन के भाव को गुनगुनाते हैं, उनको प्रशिक्षण देकर रोजगार के मुख्यधारा से जोड़ सकते हैं, मेट्रो सिटी फुटपाथ पर कलाकार अपनी कला से पैसे कमा रहे हैं, ऐसा जीवन उनको भी दे सकते हैं।
8. ई-ऑटो और ई-रिक्शा: आप एयरपोर्ट से रेलवे स्टेशन तक और बस स्टैंड से लोग मंदिर तक ई-ऑटो और ई-रिक्शा के साथ रिक्शा साइकिल वालों का सहारा लेकर मंदिर तक जा सकते हैं।
9. ट्रांसपोर्ट: एयरलाइंस और रेलवे के साथ बस के संचालक और जुड़े लोगों को रोजगार के अवसर मिलता है।
10. आंशिक आशियाना : होटल और मिनी होटल में लोग ठहरते हैं । होटल संचालक पहले से ही कई लोगों को जॉब पर रखता है। उनमें क्लीनिंग स्टाफ और मैनेजर तक शामिल होते हैं। यदि नए होटल बनते हैं तो वैसे ही कई लोगों को रोजगार मिलेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था में तीर्थस्थल मंदिरों के अर्थतंत्र का महत्व आप इस बात से समझ सकते है कि, वित्त वर्ष 2022-23 में केवल छह बड़े हिंदू मंदिरों में 24,000 करोड़ रुपये का चढ़ावा आया था। इसके अलावा कुंभ तो आय सृजन का बहुत बड़ा अवसर बनते हैं। 2019 प्रयागराज में कुंभ मेले ने लगभग 1.2 लाख करोड़ की आय उत्पन्न की थी।
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