जम्मू-कश्मीर में लंबे अंतराल के बाद होंगे विधानसभा चुनाव

इसी वर्ष सितंबर में जम्मू-कश्मीर में चुनाव की उम्मीद है, यदि ऐसा होता है तो 3566 दिन का अंतराल होगा, इसके पहले 23 मार्च, 1987 से 17 सितंबर, 1996 तक 3465 दिन नहीं थी राज्य में सरकार, चुनाव आयोग कल प्रदेश के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों संग बैठक करेगा

Jul 9, 2024 - 21:40
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जम्मू-कश्मीर में लंबे अंतराल के बाद होंगे विधानसभा चुनाव

जम्मू-कश्मीर में लंबे अंतराल के बाद होंगे विधानसभा चुनाव

2264 दिन लगातार राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति शासन एक सितंबर, 2024
को जम्मू-कश्मीर में पहले राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति शासन की समयावधि बिना किसी अंतराल के 2264 दिन हो जाएगी। वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव और सितंबर 2024 में चुनाव की संभावना के आधार पर प्रदेश में मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में 1119 दिन ही निर्वाचित सरकार चली। 

जम्मूः भारतीय चुनाव आयोग बुधवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों संग बैठक में विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेगा। आशा है कि विधानसभा चुनाव सितंबर 2024 में हो जाएंगे। यह प्रक्रिया अगर एक सितंबर से शुरू होती है तो जम्मू-कश्मीर में दो विधानसभा चुनावों के बीच 3566 दिन (नौ वर्ष नौ माह 11 दिन) का अंतराल होगा। यह अपने आप में एक रिकार्ड होगा।

पिछला विधानसभा चुनाव 25 नवंबर, 2014 को हुआ था। इससे पहले प्रदेश में दो विधानसभा चुनावों के बीच सबसे लंबा अंतराल 23 मार्च, 1987 से 17 सितंबर, 1996 तक 3465 दिन (नौ वर्ष छह माह) का रहा है। मौजूदा समय में यह रिकार्ड 22 मई, 2024 को ही टूट चुका है। बता दें कि वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव के समय जम्मू-कश्मीर एकीकृत पूर्ण राज्य था। 31 अक्टूबर, 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत यह दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पुनर्गठित हुआ। इसलिए सितंबर या इसके बाद जब भी चुनाव होते हैं तो वह केंद्र शासित प्रदेश के पहले विधानसभा  चुनाव होंगे।


वर्ष 2014 में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया लगभग एक माह चली थी। किसी भी दल को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला था। तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से आठ जनवरी, 2015 में पद से त्यागपत्र दे दिया था। पीडीपी-भाजपा में गठजोड़ होने से मुफ्ती मौहम्मद सईद के नेतृत्व में गठबंधन सरकार ने एक मार्च, 2015 को सत्ता संभाली थी। इसके पहले 51 दिन राज्यपाल शासन रहा। मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन सात जनवरी, 2016 को हुआ और प्रदेश में एक बार फिर राज्यपाल शासन लागू हुआ जो 88 दिन चला।

मुफ्ती मोहम्मद सिर्फ 312 दिन मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने चार अप्रैल, 2016 को मुख्यमंत्री का पद संभाला। वह 807 दिन मुख्यमंत्री रहीं और भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया, जिससे 19 जून, 2018 को सरकार गिर गई। इसके बाद फिर राज्यपाल शासन लागू हो गया जो 20 जून, 2018 से 19 दिसंबर, 2018 तक 182 दिन रहा। 19 दिसंबर, 2018 को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने निलंबित विधानसभा को भंग कर दिया था और फिर राष्ट्रपति शासन लागू हो गया और यह 30 अक्टूबर, 2019 तक 314 दिन रहा। 31 अक्टूबर, 2019 को जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना और इसके साथ ही यहां उपराज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति शासना लागू हो गया जो सितंबर, 2024 में संभावित विधानसभा चुनाव के प्रक्रिया के संपन्न होने के साथ समाप्त होगा।

1965 तक जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चलती थी सरकार
वर्ष 1948 के बाद से जम्मू-कश्मीर में मार्च 1965 तक प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार होती थी। इसके बाद मुख्यमंत्री के नेतृत्व में शासन व्यवस्था लागू हुई। मार्च 1977 के बाद से यहां चार बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन संविधान के मुताबिक निर्वाचित सरकार के सत्ता में न होने पर छ छह माह तक राज्यपाल शासन लागू रह सकता था। इसके बाद अगली सरकार के गठन तक जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था थी।  

राज्य में अब तक सात बार लग चुका है राज्यपाल शासन जम्मू कश्मीर में अब तक सात बार राज्यपाल शासन लागू हो चुका है। प्रदेश में पहली बार राज्यपाल शासन 26 मार्च 1977 को लागू किया गया था। इसके बाद 1990 में 180 दिन तक, 18 अक्टूबर, 2022 से दो नवंबर, 2022 तक 15 दिन, 11 जुलाई, 2008 से पांच जनवरी, 2009 तक 178 दिन, आठ जनवरी, 2018 से एक मार्च, 2015 तक 52 दिन, सात जनवरी, 2016 से चार अप्रैल, 2016 तक 88 दिन और 20 जून, 2018 से 19 दिसंबर, 2018 तक 182 दिन तक रहा।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार