एनआरसी में नहीं आने को सीएए के लिए करें आवेदन

केंद्रीय राज्य मंत्री ने मतुआ समुदाय से किया आह्वान, तृणमूल का आरोप, डराने का प्रयास कर रहे हैं शांतनु देश में नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) लागू होने पर इसके दायरे में नहीं आएंगे। मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीएए को प्रभावी बनाया गया था।

Jul 9, 2024 - 21:28
Jul 9, 2024 - 21:35
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एनआरसी में नहीं आने को सीएए के लिए करें आवेदन

एनआरसी में नहीं आने को सीएए के लिए करें आवेदन

केंद्रीय राज्य मंत्री व भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर ने मतुआ समुदाय से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने का आह्वान किया है। साथ ही कहा है कि आवेदन करने पर वे आने वाले समय में देश में नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) लागू होने पर इसके दायरे में नहीं आएंगे। मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीएए को प्रभावी बनाया गया था।

 
मतुआ समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले शांतनु ने कहा है कि सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करें। उन्हें इसका प्रमाणपत्र मिलेगा। आने वाले समय में कोई भी सरकार जब भी एनआरसी लागू करेगी तो जिनके पास नागरिकता प्रमाणपत्र होगा, वे इसके दायरे में नहीं आएंगे। उन्होंने सूचित किया कि आगामी बुधवार को उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर स्थित मतुआ ठाकुरबाड़ी में नागरिकता के लिए आवेदन करने को एक शिविर का आयोजन किया जाएगा।

शांतनु के बयान पर बंगाल में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। तृणमूल के बनगांव सांगठनिक जिलाध्यक्ष बिश्वजीत दास ने कहा कि मतुआ समुदाय के लोग भली-भांति जानते हैं कि वे इस देश के नागरिक हैं और उन्हें वोट देने का अधिकार है इसलिए वे सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने के इच्छुक नहीं हैं। दरअसल, शांतनु ठाकुर इस तरह के बयान देकर उन्हें डराने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी यह चाल सफल नहीं होगी।


उधर, सियासी विश्लेषकों ने कहा कि विरोधी दल दावा कर रहे हैं कि एनआरसी लागू होने पर देश में रह रहे बहुत से लोगों को गैर-नागरिक बताकर डिटेंशन कैंपों में भेज दिया जाएगा। ऐसे में शांतनु अपने बयान से यह संदेश देना चाह रहे हैं कि सीएए के तहत नागरिकता मिल जाने पर मतुआ समुदाय के लोगों में उन्हें विदेशी घुसपैठिया करार दिए जाने का डर नहीं रहेगा।

गौरतलब है कि सीएए बांग्लादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत में शरण लिए हुए गैर-मुस्लिमों (हिंदू, सिख, ईसाई व बौद्ध) को भारतीय नागरिकता देने का कानून है। वहीं, एनआरसी का उद्देश्य भारत के नागरिकों के दस्तावेज तैयार करना है ताकि अवैध अप्रवासियों की पहचान की जा सके और उन्हें निर्वासित किया जा सके।

केंद्रीय राज्य मंत्री ने मतुआ समुदाय से किया आह्वान, तृणमूल का आरोप, डराने का प्रयास कर रहे हैं शांतनु

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,