आजम को सात व सेवानिवृत्त सीओ सहित तीन को पांच साल सजा
आजम खां सपासरकार में कैबिनेट मंत्री थे। उस समय डूंगरपुर बस्ती में बने कुछ आसरा आवास को अवैध बताते हुए
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आजम को सात व सेवानिवृत्त सीओ सहित तीन को पांच साल सजा
- डुंगरपुर प्रकरण मे एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने सुनाया फैसला
- आजम खां पर दर्ज हैं 104 मुकदमे छह मामलों में आ चुका है फैसला
रामपुर : डूंगरपुर प्रकरण में सपा महासचिव आजम खां को सात साल और सेवानिवृत्त सीओ आले हसन सहित तीन को अदालत ने पांच-पांच साल की सुनाई है। कोर्ट ने शनिवार को आजम सहित चार को दोषी ठहराते हुए तीन आरोपितों को बरी कर दिया था।
सोमवार को सभी की वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेशी हुई। सभी पर 18.5 लाख जुर्माना भी लगाया गया है। 2016 में आजम खां सपासरकार में कैबिनेट मंत्री थे। उस समय डूंगरपुर बस्ती में बने कुछ आसरा आवास को अवैध बताते हुए ध्वस्त कर दिया गया। भाजपा की सरकार में 2019 में 12 अलग अलग प्राथमिकी दर्ज कराई गईं। दर्ज कराई एक प्राथमिकी में एहतेशाम ने कहा था कि 2011-12 में उन्होंने डूंगरपुर में 373 गज जमीन खरीदी थी।
तीन फरवरी 2016 की रात नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन अजहर खां, तत्कालीन सीओ सिटी आले हसन खां और बरेली के बरकत अली ठेकेदार 20-25 पुलिस वालों को लेकर घर में घुस आए। मारपीट कर मकान से निकाल दिया। घर में रखे 25 हजार रुपये और मोबाइल लूट लिया। मुकदमे में तीनों के अलावा सपा के प्रदेश सचिव ओमेंद्र सिंह चौहान, जिबरान और फरमान को भी नामजद किया गया था। पुलिस ने आरोप पत्र में आजम खां का नाम भी शामिल किया था। एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (सेशन ट्रायल) ने सोमवार को फैसला सुनाया। आजम को शनिवार को सीतापुर, आले हसन को बिजनौर व अन्य दोनों को रामपुर जेल में भेजा गया था।
आजम को इन मामले में हो चुकी सजा: सपा सरकार जाने के बाद आजम खां पर 84 मुकदमे दर्ज हुए थे, जबकि 20 मामले पुराने दर्ज थे। इनमें ज्यादातर न्यायालय में विचाराधीन हैं। इनमें छह मामलों में फैसला आ चुका है। भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा सुनाई थी। इस पर उनकी विधायकी चली गई। पर सजा के खिलाफ अपील एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (सेशन ट्रायल) ने फैसले को निरस्त कर दिया था। भड़काऊ भाषण के एक अन्य मामले में दो साल की सजा सुनाई गई। तीसरी बार दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात वर्ष की हुई। इसमें आजम के अलावा उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला को भी इतनी अवधि की सजा हुई।
आजम को झटका, मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की याचिका खारिज विधि संवाददाता, प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के भवन में रामपुर पब्लिक स्कूल खोलने की योजना सरकार के रद करने संबंधी आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की कार्यकारिणी परिषद की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता तथा न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने कहा कि पद पर रहने के दौरान शक्ति का दुरुपयोग किया गया और धोखाधड़ी की गई इसलिए कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
याची की तरफ से अधिवक्ता इमरानुल्ला खान व प्रदेश के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने 18 दिसंबर 2023 को फैसला सुरक्षित कर लिया था। फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने रामपुर पब्लिक स्कूल के छात्रों को अन्यत्र समायोजित करने की सरकार को योजना तैयार करने का भी
निर्देश दिया था, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे।
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