दूध या पानी में कितना 'जहर', बताएगी चिप
चिप तैयार करने में सिर्फ 10 रुपये आई लागत स्ट्रिप को प्रयोगशाला में तैयार करने में लागत लगभग 10 रुपये आई है।
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दूध या पानी में कितना 'जहर', बताएगी चिप
कानपुर : हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी में बनी विशेष जांच किट, बाजार में भी आएगी
चिप तैयार करने में सिर्फ 10 रुपये आई लागत स्ट्रिप को प्रयोगशाला में तैयार करने में लागत लगभग 10 रुपये आई है। जब बड़े स्तर पर उत्पादन होगा तो लागत और भी घट जाएगी। कुछ निजी कंपनियों ने इसे बाजार में उतारने में दिलचस्पी दिखाई है। सहमति होने पर लाइसेंस प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। लागत कम होने और प्रयोग में आसान होने से हर कोई इसका प्रयोग कर सकेगा। इससे अगर आप घर से बाहर कहीं जाते हैं तो भी पानी या दूध की गुणवत्ता की जांच कर तय कर सकेंगे कि प्रयोग करने लायक है या नहीं।
रसायनों की मात्रा बताना भी संभव
डा. आशीष कपूर के अनुसार, लैब आन चिप को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसके अलग- अलग हिस्सों में पानी या दूध की बूंद को डालकर अलग-अलग रसायनों की उपस्थिति जांची जा सकती है। इसके साथ ही रंगों के आधार पर रसायनों की मात्रा का विश्लेषण भी किया जा सकता है। रंगों के आधार पर डिवाइस में ही निशान बनाए गए हैं, जिससे कोई भी व्यक्ति यह जान सकेगा कि घातक रसायन की मात्रा कितनी है।
जो दूध या पानी आप पी रहे हैं, कहीं उसमें मिलावट का जहर तो नहीं... इसकी जांच अब घर में कोई भी कर सकेगा। हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) के इंजीनियरों ने एक ऐसी जांच किट तैयार की है, जो दूध और पानी में घुले प्रदूषण व मिलावटी तत्वों को झट से पहचान लेगी। यह प्रयोग करने में भी काफी आसान है। इसमें स्ट्रिप की तरह मौजूद चिप में दूध या पानी की एक बूंद डालते ही मिलावट वाले रसायनों की जानकारी कुछ सेकंड के भीतर ही सामने आ जाती है। निजी कंपनी की मदद से जांच किट को बाजार में उतारने की तैयारी है। इसकी कीमत 10 रुपये तक रहने की उम्मीद है।
विश्वविद्यालय के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. डा. आशीष कपूर ने यह जांच किट तैयार की है। वह बताते हैं कि दूध या पानी में मौजूद मिलावट या विषैले रसायनों की पहचान के लिए मशीनों और प्रतिक्रिया करने वाले रीजेंट की जरूरत होती है। बाजार में रीजेंट की कीमत काफी ज्यादा होती है। इसके विकल्प के तौर पर सस्ता और आसान तरीका विकसित किया गया है। फिल्टर पेपर की मदद से विभिन्न रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करने वाले रीजेंट तैयार किए गए हैं। इन्हें एक पतली स्ट्रिप या चिप में व्यवस्थित किया गया है, जिसे लैब आन चिप नाम दिया है। इसमें नमूने के लिए पानी या दूध की बूंद टपकाने का स्थान निर्धारित है। बूंद गिरने के बाद रसायनों के साथ प्रतिक्रिया होने से चिप के एक हिस्से में रंग परिवर्तन दिखने लगता है। अगर पानी में क्रोमियम या कोई अन्य घातक रसायन मौजूद है तो बैंगनी रंग दिखने लगता है। दूध में स्टार्च की मात्रा ज्यादा होने पर भूरा रंग दिखता है।
हैंडस आन चिप पर प्रयोग करते हुए शोधार्थी सौ. प्रो. आशीष कपूर
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