भगवान राम ने भारतीय संस्कृति के अविरल प्रवाह को ऊर्जा और दिशा प्रदान की है – गजेन्द्र सिंह शेखावत

तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह ‘अयोध्या पर्व’ का आईजीएनसीए में भव्यता के साथ शुभारंभ नई दिल्ली। तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह ‘अयोध्या पर्व’ का इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में भव्यता के साथ शुभारंभ हुआ। इसमें तीन प्रदर्शनियों का उद्घाटन किया गया – एक में पद्मश्री वासुदेव कामथ की ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ (भगवान राम) पर आधारित पेंटिंग, […] The post भगवान राम ने भारतीय संस्कृति के अविरल प्रवाह को ऊर्जा और दिशा प्रदान की है – गजेन्द्र सिंह शेखावत appeared first on VSK Bharat.

Apr 13, 2025 - 06:55
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भगवान राम ने भारतीय संस्कृति के अविरल प्रवाह को ऊर्जा और दिशा प्रदान की है – गजेन्द्र सिंह शेखावत

तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह ‘अयोध्या पर्व’ का आईजीएनसीए में भव्यता के साथ शुभारंभ

नई दिल्ली। तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह ‘अयोध्या पर्व’ का इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में भव्यता के साथ शुभारंभ हुआ। इसमें तीन प्रदर्शनियों का उद्घाटन किया गया – एक में पद्मश्री वासुदेव कामथ की ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ (भगवान राम) पर आधारित पेंटिंग, ‘वाल्मीकि रामायण’ पर आधारित पहाड़ी लघु चित्रों का प्रदर्शन और ‘बड़ी है अयोध्या’ नामक विषयगत प्रदर्शनी जो चौरासी कोस अयोध्या के तीर्थ परिदृश्य को चित्रित करती है।

प्रदर्शनियों का उद्घाटन अयोध्या के मणिराम दास छावनी के महंत पूज्य कमल नयन दास जी महाराज; गीता मनीषी महामंडलेश्वर पूज्य ज्ञानानंद जी महाराज; जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा; आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय और आईजीएनसीए के न्‍यासी व कलाकार वासुदेव कामथ ने संयुक्त रूप से किया। उद्घाटन सत्र के दौरान तीन पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रदर्शनियों का अवलोकन किया।

इस अवसर पर गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि भगवान राम ने न केवल भारतीय चिंतन और विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले व्यक्तियों को प्रेरित किया है, अपितु भारतीय संस्कृति के अविरल प्रवाह को बनाए रखने के लिए आवश्यक ऊर्जा और दिशा भी प्रदान की है। विदेशी आक्रांताओं के सांस्कृतिक आक्रमण के सबसे कठिन दौर में गोस्वामी तुलसीदास ने आम लोगों की सामूहिक चेतना से जुड़ते हुए आम लोगों की भाषा में ‘रामचरितमानस’ की रचना की। इसने सनातन संस्कृति के सार को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राम मंदिर की पुनः स्थापना और रामलला के अयोध्या धाम में वापस आने के बाद से ऐसा लग रहा है, जैसे भारत के भाग्य का सूर्य एक बार पुन: उदय होने लगा है।

नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर को लेकर मनोज सिन्हा ने कहा, “मैं 22 जनवरी को केवल एक तारीख के रूप में नहीं, अपितु एक ऐसे सेतु के रूप में देखता हूं जो अतीत को वर्तमान से जोड़ता है”। “यह केवल एक प्राचीन शहर और तीर्थ स्थल का पुनरुद्धार नहीं है, अपितु सदियों से भारत द्वारा अनुभव की गई आध्यात्मिक जागृति है। मेरा मानना ​​है कि अयोध्या का महत्व भूगोल से परे है – यह आनंद और जागृति की कुंजी है, हमारी सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है और एक मार्गदर्शक आध्यात्मिक शक्ति है। अयोध्या ने लंबे समय से हमारे राष्ट्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नींव के रूप में काम किया है।”

“अयोध्या न केवल आध्यात्मिक शिखर प्रदान करती है, अपितु यह व्यक्ति के मूल्यों और आकांक्षाओं का भी स्पष्ट रूप से प्रतीक है। राम राज्य के संदर्भ में भगवान राम को विकास, साहस, न्याय और जीवंत धर्म के अवतार के रूप में देखा जाता है। यद्यपि वे त्रेता युग में प्रकट हुए थे, फिर भी सुशासन के दूरदर्शी व्यक्ति बने हुए हैं।”

राम बहादुर राय ने अयोध्या पर्व की महत्‍ता को रेखांकित किया और कहा कि अयोध्या का संदेश पुस्तकों और पत्रिकाओं के माध्यम से तेजी से संरक्षित किया जा रहा है। विमोचित पुस्तक ‘चौरासी कोस अयोध्या’ का उल्‍लेख करते हुए कहा, “भौतिक अयोध्या भले ही 84 कोस तक सीमित हो, परंतु आध्यात्मिक अयोध्या आकाश की तरह अनंत है”। गीता मनीषी पूज्य ज्ञानानंद जी ने कहा कि भारत परंपराओं का देश है और इन परंपराओं में त्योहारों का विशेष स्थान है। “भारत केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं है – यह एक दर्शन है, एक विचार है”। पूज्य महंत कमलनयन दास जी ने कहा, “वेदों के किस श्लोक में छुआछूत या भेदभाव का उल्लेख है?” उन्होंने जोर दिया कि सामाजिक समरसता के बिना ज्ञान पूरा नहीं हो सकता।

‘अयोध्या पर्व 2025’ भारतीय कला, आध्यात्मिकता और मूल्यों को पुनर्जीवित करने का एक अनूठा प्रयास है, जिसे आईजीएनसीए और श्री अयोध्या न्यास के सहयोग से साकार किया जा रहा है। यह उत्सव ‘रामायण’ और तुलसीदास के छंदों के माध्यम से भारतीय लोकाचार की जड़ों को पुनर्जीवित करने का प्रयास है।

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