ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किसानों की भलाई के लिए दो प्रेस कांफ्रेंस और एक बयान 

Oct 7, 2023 - 22:23
Mar 18, 2024 - 10:37
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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किसानों की भलाई के लिए दो प्रेस कांफ्रेंस और एक बयान 

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किसानों की भलाई के लिए दो प्रेस कांफ्रेंस और एक बयान 


आज का दिन किसानों की भलाई के नाम रहा। यदि तीन तीन किसान संगठन एक ही दिन में एक दूसरे का पीछा करते हुए किसानों की भलाई के लिए धरती और आसमान के बीच कुछ भी करने की बात करें तो इसे क्या कहेंगे। हालांकि तीनों संगठन एक साथ मिलकर या एक राय होकर किसानों की भलाई नहीं करना चाहते हैं तो बात में कुछ लोचा होने का संदेह होना लाजमी है।


ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा वर्षों तक कराई गई एस आई टी की जांच के बाद 533 में से 237 कथित किसानों को लीज बैक के लिए अपात्र घोषित करने के मामले को उठाने के लिए डॉ रूपेश वर्मा नीत अखिल भारतीय किसान सभा और मनवीर भाटी नीत किसान संघर्ष समिति गौतमबुद्धनगर के बीच होड़ लग गई है। मनवीर भाटी ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर प्राधिकरण को इस मुद्दे पर एक सप्ताह में अपना रुख साफ करने को कहा है। तत्पश्चात उनका संगठन अगले सोमवार को प्राधिकरण पर धरना प्रदर्शन करेगा। बीते कल इसी मुद्दे पर प्राधिकरण को धन्यवाद दे रहे रूपेश वर्मा ने आज पलटी मारी और प्राधिकरण पर आगामी सोमवार को ही धरना प्रदर्शन की चेतावनी दे दी।123 दिनों तक सैकड़ों लोगों के साथ प्राधिकरण पर धरना दे कर बिना किसी ठोस नतीजे के समझौता करने वाले रूपेश वर्मा के लिए यह मामला न उगलते बन रहा है और न निगलते। मनवीर भाटी ने 40 वर्गमीटर भूखंड के लिए क्षेत्र के हजारों भूमिहीनों को धरने पर बैठाए रखने पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि यह मुद्दा कई वर्ष पहले ही समाप्त हो चुका था।

मनवीर भाटी की प्रेस वार्ता से ठीक पहले उसी स्थान पर भारतीय किसान यूनियन के पवन खटाना और रोबिन नागर ने भी प्रेस कांफ्रेंस की।ये लोग भी तीनों प्राधिकरणों में किसानों के अधिकारों के लिए आगामी सोमवार को यमुना एक्सप्रेस-वे के जीरो प्वॉइंट पर महापंचायत करने की घोषणा कर रहे थे। क्या किसानों को इतने संगठनों और इतने प्रकार के नेताओं की जरूरत है? और यदि मुख्य मुद्दा किसानों के भूमि अधिग्रहण से जुड़े अधिकारों का ही है तो ये संगठन और ये नेता एक साथ क्यों नहीं आ सकते हैं? दरअसल झगड़ा पहचान, प्रभाव और पहुंच का है। किसानों की समस्या माध्यम है। इसलिए गीत एक ही होने के बावजूद सब अपनी अपनी डफली बजा रहे हैं। प्राधिकरण अधिकारियों के लिए इससे अच्छी सिचुएशन और क्या हो सकती है।(नेकदृष्टि)

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार