मानवता को जीवित जलाना मजहबियों के लिए कोई नवीन कृत्य नहीं

मानवतावादी समाज इतिहास

Nov 6, 2023 - 11:31
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मानवता को जीवित जलाना मजहबियों के लिए कोई नवीन कृत्य नहीं

मानवतावादी समाज इतिहास के पन्नों को विस्मृत कर देता है जिसके कारण वर्तमान में घटित होने वाली घटनाए अचम्भित
और आश्चर्यचकित लगती हैं। हमास द्वारा प्राणियों की निर्मम हत्या, जीवित जलाना, जीवित व्यक्ति का कलेजा निकालना,
गर्भवती महिला का पेट चीरकर नवजात शिशु की हत्या करना, महिलाओं की अश्मिता को अपमानित करना, कया यह सब
नवीन घटनाएं हैं, क्या यह सब भयावह कृत्य किसी देश की लड़ाई के निमित किये जा रहे हैं, इसको समझने हेतु कुछ समय
पूर्व मुगलकालीन शासन में जाइये जब मजहबी कट्टरवादी सोच वाले लोगों ने भाई सतीदास को जीवित ही अग्नि के हवाले कर
दिया था, भाई मतिदास को जिन्दा ही आरे से काट दिया था, भाई दयाला को जीवित ही उबलते पानी में पकाया था, कश्मीरी
हिन्दुओं की बच्चियों के साथ सार्वजनिक एवं सामूहिक बलात्कार किया गया था। इसके अतिरिक्त न जाने कितनी ही अमानवीय वीभत्स घटनाएं हैं जिनकी परिकल्पना आज करना भी असहनीय और घोर पीड़ादायक है। अतः हमास या आई.

इजराइल और देशभक्ति

अदभुत देश है ये। युद्ध की सूरत में लोग सुरक्षित ठिकाना ढूँढते हैं, पर यहाँ तो विदेशों का सुरक्षित ठिकाना छोड़कर
इज़रायल वापिस लौटने वालों का सैलाब उमड़ा है। न्यूयार्क के जॉन एफ कैनेडी एयरपोर्ट से लेकर पेरिस और अब राजधानी
तेल अवीव तक एयरपोर्ट दर एयरपोर्ट देश वापिस लौट रहे इज़रायलियों की भीड़ देख रहा हूँ। नौजवान सबसे आगे हैं। ये
देश की खातिर लड़ने को बड़ी संख्या में वापिस लौट रहे हैं। भावनाएं उफान पर हैं। चारों तरफ़ दुश्मन देशों से घिरे
होने के बावजूद इज़रायछ का वजूद इसी कारण कायम है, 70 लाख यहूदी हमास के खिलाफ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़
रहे हैं। काश यजीदियों के पास भी एक इजरायल होता तो वो भी आईएसआईएस का वो ही हाल करते जो इजरायल हमास
का कर रहा है।
“खतरे में हो देश अरे तब लड़ना सिर्फ धर्म है मरना है क्या चीज आदमी लेता नया जनम है!

- डॉ परमवीर “केसरी ' मेरठ

एस.आई.एस. या अन्य किसी भी मजहबी संगठन द्वारा किये गए कृत्य किसी देश के विरोध में नहीं अपितु मजहब के निमित्त
होते हैं। जिस प्रकार पूरे विश्व में यहूदियों का एक ही देश है और उस पर होने वाले अमानवीय कृत्यों का विरोध एक भी मजहबी
संगठन या मजहबी समाज नहीं कर रहा है उसी प्रकार सनातनियों के लिए भी पूरे विश्व में एक भारत ही देश बचा है
परन्तु भारत में ही बहुत सारी जनसंख्या ऐसी है जो कट्टरवादी मजहबी सोच को भारत में स्थापित करना चाहती है। कुछ
मजहबी लोगों का तो यहाँ तक मानना है की अंग्रेजों से पहले उनके पूर्वज मुगलों का शासन भारत पर था इसलिए भारत को
गजवा ए हिन्द बनाना उनका मूल उद्देश्य है। अतः इजराइल पर रोने वाले मानवतावादियों को सिर्फ रोना नहीं बल्कि भारतीय
इतिहास खगोलना चाहिए कि आज इजराइल जो में हो रहा है वो भारत के साथ बहुत पहले हो चुका है। वह अलग बात है कि
उस समय वीडियोग्राफी नहीं थी और सभ्य समाज तक सारी घटनाओं की जानकारी नहीं पहुँच पाती थी। आज भी जहाँ-जहाँ
मजहबी कट्टरवादियों की क्षमता है वहाँ पर अमानवीय कृत्य रुक नहीं रहे हैं इसलिए भविष्य हेतु मानवतावादियों को सजग
एवं समर्थ होना आवश्यक है ।

- दिव्य अग्रवाल, लेखक एवं विचारक

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार