आरक्षण जनगणना पर बहस हो

लेखक के विचार

Oct 6, 2023 - 10:49
Oct 6, 2023 - 13:10
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आरक्षण जनगणना पर बहस हो

आज जिस प्रकार से आरक्षण,जनगणना पर बहस हो रही है।उससे यह लगता है।कि आज समाज को तोड़ने, बाटने की बू आ रही हो।जिस प्रकार विपक्ष जाति के नाम पर जाति जनगणना। जनगणना के बाद जाति भागेदारी की बात कर रही है।इस से तो यह लगता है।भारत को फिर से पीछे की ओर ढकेलने काम किया जा रहा है।और सत्ता में बैठी सरकार आर्थिक रूप से गरीब वर्ग को,महिलाओं को आरक्षण 33 प्रतिशत आरक्षण देकर समाज को खुश कर रही है। जाति जनगणना का विरोध कर रही।और विशेष जनगणना,आरक्षण(धार्मिक,आर्थिक) आरक्षण की वकालत कर रही है।परंतु इस प्रकार के आरक्षण से आम जनमानस (गरीब,और दशकों से वंचित छुआछूत से पीड़ित समाज ) का भला दूर-दूर तक कहीं नही दिखाई दे रहा है।और आरक्षण के नाम पर राजनीति दल अपनी रोटियां जरूर सेंक रहे हैं। जो डॉ भीमराव अंबेडकर ने आरक्षण से कुरीतियों, भेदभाव का सपना देखा था।वह दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है।उन्होंने गरीब, छुआछूत,ऊँच-नीच की भावना और जाति प्रताड़ना देने वालों से आजादी पाने के उपरांत तक आरक्षण का प्रावधान रखा था। आज वैसा नहीं हो रहा है।परन्तु समय-समय पर प्रलोभन आरक्षण देकर कुछ विशेष समाज को खुश करने के सिवाय कुछ नहीं है। भारत देश को 75 वर्ष आजाद होने के वावजूद भी जिस समाज ने शोषित,वंचित पीड़ित और जाति आधारित मानशिक,आर्थिक दंस,यातनाएँ छेली है। उस समाज का जितना भला होना चाहिये था।उतना नहीं हो सका।कुछ हद तक हुआ है। इसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। आज हम देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे है।तो जाति,धर्म से ऊपर उठकर कुछ नया करने का जनून मनाये।आज मेरा मत है।कि यदि आरक्षण देना है तो आरक्षण और जनगणना गरीब और गरीब समाज मैं छुआछूत,ऊँच-नीच से पीड़ित समाज को आरक्षण देकर उनके उत्थान का काम किया जाए।यही आज के समय की मांग है।इस पर ही सरकार विचार करे।देश हित,समाज हित में सर्बोंपरि होगा।।      

                                                      रंजीत सिंह मेरठ

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार