महिला आरक्षण विधेयक (Women's Reservation Bill) भारतीय संसद (पर्लियामेंट) में महिलाओं के लिए सीटों की आरक्षण
महिला आरक्षण विधेयक की क्या जरूरत है महिला आरक्षण विधेयक की जरूरत कई कारणों से होती है: Women's Reservation Bill
महिला आरक्षण विधेयक (Women's Reservation Bill) भारतीय संसद (पर्लियामेंट) में महिलाओं के लिए सीटों की आरक्षण को लेकर एक प्रस्तावना है, जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को संसद में अधिक भागीदारी देना है। इस विधेयक के अंतर्गत, संसद के लोक सभा और राज्य सभा की सीटों में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान किया जाता है।
मुख्य विशेषताएं:
लोक सभा में आरक्षित सीटें: इस विधेयक के तहत, लोक सभा में 543 सदस्यों की सीटों में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी। यानी, लोक सभा के इन सीटों पर केवल महिलाएं उम्मीदवार बन सकेंगी।
राज्य सभा में आरक्षित सीटें: राज्य सभा में भी महिलाओं के लिए सीटों की आरक्षण की जाएगी। यहां तक कि इस विधेयक के अनुसार राज्य सभा के हर राज्य में कम से कम तीन सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
महिला आरक्षण विधेयक का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सियासी प्रक्रियाओं में ज्यादा शामिल करने का मौका प्रदान करना है और उनकी भागीदारी को बढ़ावा देना है। यह विधेयक भारतीय समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करने का एक प्रकार है और महिलाओं के प्रति समाज में समानता की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास है।
महिला आरक्षण विधेयक की क्या जरूरत है
महिला आरक्षण विधेयक की जरूरत कई कारणों से होती है:
सामाजिक समानता: महिलाओं को समाज में समानता के साथ समर्थन देने का यह एक प्रमुख माध्यम हो सकता है। इसके माध्यम से, महिलाएं सांसदीय प्रतिनिधित्व के क्षेत्र में भी अधिक हिस्सेदारी प्राप्त कर सकती हैं और समाज में उनके अधिक अवसर खुल सकते हैं।
महिलाओं का शाशन में भागीदारी: सरकार में महिलाओं का अधिक संख्या में शामिल होना, निर्णयों का और नीतियों का निर्माण में महिलाओं के सुझावों को शामिल करने के लिए मदद कर सकता है।
महिलाओं की सुरक्षा और हित की सुनवाई: महिला सांसदों के माध्यम से, महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की मुद्दों पर अधिक गहरा ध्यान दिया जा सकता है और समर्थन प्रदान किया जा सकता है।
दृष्टिकोण का परिवर्तन: महिला सांसदों के माध्यम से, सांसदीय दृष्टिकोण में एक परिवर्तन आ सकता है, जिससे महिलाओं के मुद्दे और उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, और समाज में उनके योगदान को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा सकता है।
समाज में सामाजिक और आर्थिक विकास: महिलाओं के समाज में अधिक सक्रिय भागीदारी के माध्यम से समाज और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
महिला आरक्षण विधेयक के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के माध्यम से, समाज में महिलाओं के साथ उनकी समर्थन और आरामदायक स्थिति को सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
महिला आरक्षण विधेयक (Women's Reservation Bill) को पहली बार भारतीय संसद में प्रस्तुत किया गया था 1996 में, जब विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य बीजेपी यदुरअप्पा सिंह ने इसे लोक सभा (संसद की निर्वाचनीय सदस्यों का एक प्रतिशत सीटों की आरक्षिति के साथ) में प्रस्तुत किया था। इसके बाद, यह विधेयक बार-बार संसद में प्रस्तुत किया गया, परंतु इसे अभी तक कानून नहीं बना पाया है।
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को संसदीय प्रतिनिधित्व में अधिक भागीदारी प्रदान करना है, जिससे महिलाओं के सियासी और सामाजिक स्तर पर उनके प्रतिनिधित्व को बढ़ावा मिल सके।
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