बंटेंगे तो कटेंगे बनाम "जुड़ेंगे तो जीतेंगे यूपी की राजनीति में पोस्टर वार और तीखे बयान
अखिलेश यादव के अनुसार, भाजपा को अपने सलाहकारों और रणनीति में बदलाव करना चाहिए ताकि वे सकारात्मक संदेश दें और समाज में समरसता बनाए रखने में सहायक बन सकें।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाल ही में विवादास्पद नारों के जरिए राजनीतिक माहौल गरमा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जनसभा में "बंटेंगे तो कटेंगे" नारा दिया, जिसके बाद से सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों के बीच तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। योगी के बयान को आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन भी मिला है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा था, "एक हैं तो सेफ हैं," जो इस नारे का समर्थन प्रतीत होता है।
मुख्यमंत्री योगी के इस बयान पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अखिलेश ने इसे भाजपा की "नकारात्मक-राजनीति" का प्रतीक बताते हुए कहा कि इससे साफ है कि भाजपा निराश और असफल है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि इस तरह के "नकारात्मक-नारे" भाजपा की नाकामी को उजागर करते हैं और उनके समर्थकों को निराश कर रहे हैं। अखिलेश ने अपनी प्रतिक्रिया में यह भी कहा कि “भयभीत ही भय बेचता है,” और यह नारा समाज में भय फैलाने की कोशिश है।
समाजवादी पार्टी ने इस नारे के जवाब में "जुड़ेंगे तो जीतेंगे" नारा दिया, जिसे राजधानी लखनऊ की सड़कों पर पोस्टरों के रूप में देखा जा सकता है। सपा का यह नारा भाजपा की "बांटने की राजनीति" के विरोध में एकजुटता और सामाजिक सौहार्द्र का संदेश देने का प्रयास है। सपा ने पोस्टर वार का सहारा लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के "बंटेंगे तो कटेंगे" नारे पर सीधा पलटवार किया है।
इस मुद्दे पर संघ का भी रुख स्पष्ट है। हाल ही में मथुरा में आयोजित आरएसएस की बैठक में, संघ के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबाले ने "हिंदू एकता" का समर्थन करते हुए कहा कि यदि हिंदू समाज जाति, भाषा या प्रांत के आधार पर बंटता है, तो इससे समाज में विभाजन होगा, जो सभी के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। होसबाले के बयान को योगी के "बंटेंगे तो कटेंगे" नारे का समर्थन माना जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में "धर्म, जाति, और विचारधारा के नाम पर बांटने वाली ताकतों से सतर्क रहने की जरूरत है।"
अखिलेश यादव के अनुसार, भाजपा को अपने सलाहकारों और रणनीति में बदलाव करना चाहिए ताकि वे सकारात्मक संदेश दें और समाज में समरसता बनाए रखने में सहायक बन सकें। उन्होंने सलाह दी कि भाजपा को अपने "नकारात्मक नारे" की जगह अच्छे विचारों का प्रचार करना चाहिए।
अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच इस वाकयुद्ध ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया रंग भर दिया है। वहीं, बीजेपी के समर्थकों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ का नारा समाज को एकजुट करने का आह्वान है, जबकि विपक्ष इसे "बांटने और काटने" की राजनीति के रूप में देख रहा है। इस मुद्दे को लेकर चल रही पोस्टर वार और बयानबाजी आने वाले चुनावों में दोनों दलों की रणनीतियों पर भी असर डाल सकती है।
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