1975 में आपातकाल क्यों लगाया गया?
1975 में आपातकाल क्यों लगाया गया और देश को बंधक बना दिया गया था
25 जून 1975 को भारत में आपातकाल घोषित किया गया, जो भारतीय राजनीति के इतिहास का एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद कालखंड है। इस आपातकाल को समझने के लिए हमें इसके कारणों, घटनाओं और परिणामों का विश्लेषण करना होगा।
आपातकाल क्यों लगाया गया?
1975 में आपातकाल लागू करने के कई प्रमुख कारण थे:
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राजनीतिक अस्थिरता: उस समय देश में राजनीतिक अस्थिरता चरम पर थी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार को विपक्षी पार्टियों और आंदोलनों से कड़ी चुनौती मिल रही थी।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी के 1971 के आम चुनाव को भ्रष्ट आचरण के आधार पर अवैध घोषित कर दिया था, जिससे उनके पद पर बने रहने पर संकट खड़ा हो गया था।
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जयप्रकाश नारायण का आंदोलन: जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में देश में एक बड़े स्तर पर आंदोलन चल रहा था, जो भ्रष्टाचार और सरकारी नीतियों के खिलाफ था। इस आंदोलन ने सरकार पर भारी दबाव डाला।
आपातकाल की घोषणा
25 जून 1975 को राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के परामर्श पर आपातकाल की घोषणा की। इस आपातकाल के तहत नागरिक स्वतंत्रताओं को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगा दी गई, और राजनीतिक विपक्ष के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
आपातकाल के दौरान परिवर्तन
आपातकाल के दौरान भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन आए:
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संवैधानिक संशोधन: आपातकाल के दौरान 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) पारित किया गया, जिसने संविधान में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। इसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की शक्तियों को बढ़ाया गया और न्यायिक समीक्षा को सीमित किया गया।
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सेंसरशिप और प्रेस की स्वतंत्रता: प्रेस की स्वतंत्रता पर कठोर पाबंदियां लगाई गईं और मीडिया पर सेंसरशिप लागू की गई। इस दौरान कई अखबारों और पत्रिकाओं को बंद कर दिया गया।
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नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार: नागरिक स्वतंत्रताओं को निलंबित कर दिया गया और बिना मुकदमे के गिरफ्तारी का प्रावधान लागू किया गया। कई विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।
आपातकाल के बाद के राजनीतिक परिवर्तन
आपातकाल के समाप्त होने के बाद भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन आए:
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जनता पार्टी का उदय: 1977 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा और जनता पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की। इसने आपातकाल के खिलाफ एक स्पष्ट जनादेश प्रस्तुत किया।
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संवैधानिक सुधार: आपातकाल के दौरान किए गए कई संवैधानिक संशोधनों को बाद में जनता पार्टी की सरकार ने रद्द या संशोधित किया। इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं की पुनर्स्थापना और नागरिक स्वतंत्रताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
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राजनीतिक जागरूकता: आपातकाल के अनुभव ने भारतीय जनता और राजनीतिक दलों को लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रताओं के महत्व के प्रति अधिक जागरूक बनाया।
1975 का आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक कठिन दौर था, जिसने राजनीति और शासन व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला। इस दौरान हुए संवैधानिक संशोधन और राजनीतिक घटनाएं भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण सबक थीं। आपातकाल के बाद, भारतीय राजनीति में लोकतांत्रिक संस्थाओं और नागरिक स्वतंत्रताओं की सुरक्षा के प्रति एक नई जागरूकता और प्रतिबद्धता देखी गई।
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