प्रदूषण से मानसिक स्वास्थ्य को खतरा
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जानकारी एनजीटी में दी है प्रदूषण से मानसिक स्वास्थ्य को खतरा
प्रदूषण से मानसिक स्वास्थ्य को खतरा
एनजीटी ने प्रदूषण पर सीपीसीबी, दिल्ली सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने एनजीटी को दी जानकारी
हवा में प्रदूषण का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। अलग-अलग रिपोर्ट के हवाले से दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जानकारी एनजीटी में दी है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अलग-अलग अस्पतालों के मानसिक स्वास्थ्य विभाग में लोगों के बेहतर ट्रीटमेंट के लिए जरूरी प्रयास भी किए जा रहे हैं।
एनजीटी ने इससे पहले सीपीसीबी, दिल्ली सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। दिल्ली सरकार और सीपीसीबी को पूरे एनसीआर क्षेत्र जैसे नोएडा, गाजियाबाद आदि में लोगों की सेहत पर असर के अलावा पर्यावरणीय हजनि के रूप में जमा कराए गए बजट के खर्च पर जानकारी देने के लिए कहा गया था।
दिल्ली सरकार की तरफ से स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट दी है जिसमें कहा गया है कि तेजी से बढ़ रहा शहरीकरण और उद्योगों का विस्तार प्रदूषण को बढ़ा रहा है। इसकी वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। अलग-अलग रिपोर्ट के मुताबिक लोगों में तनाव, अवसाद के अलावा साइकोटिक सिंड्रोम देखने को मिल रहे हैं। याददाश्त कम होने जैसे तथ्य भी इन रिपोर्ट में सामने आए हैं। बच्चों तक में इसका बुरा असर देखने को मिल रहा है। हालांकि इसके लिए दूसरे कारण जैसे आर्थिक तंगी, मौसम में बदलाव भी सहयोगी हैं।
एनजीटी ने अपने आदेश में अब सीपीपीवी से चार सप्ताह में जबाव मांगा है। उनसे पूछा गया है कि प्रदूषण के बड़े कारण सड़कों के खराब होने की वजह को खत्म करने के लिए कितना बजट पर्यावरणीय हर्जाने से खर्च किया गया? गाजियाबाद में ही इस बजट के नगर निगम द्वारा सड़क निर्माण पर खर्च होने की बात सामने आई है। करीब 383.89 करोड़ रुपये में से 288.49 करोड़ रुपये अब भी सीपीसीबी के पास बचे हुए हैं।
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