भारतीय वायुसेना का 'ऑपरेशन मेघदूत: दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में एक अद्वितीय कहानी
भारतीय वायुसेना के साथियों का योगदान एक अद्वितीय और अविश्वसनीय कथा है, जो विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में नया मायना देता है।
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भारतीय वायुसेना का 'ऑपरेशन मेघदूत:
दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में एक अद्वितीय कहानी
लद्दाख के गहरे शीर्षों पर, भारतीय वायुसेना की अत्यधिक कठिन परिस्थितियों में भी अद्वितीय क्षमताओं की झलक
13 अप्रैल, 1984: उस दिन से भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने उत्तरी लद्दाख के ऊंचाई वाले स्थानों को सुरक्षित करने के लिए 'ऑपरेशन मेघदूत' के तहत एक महान प्रयास किया। यह ऑपरेशन सियाचिन ग्लेशियर की ओर बढ़ते हुए था।
भारतीय वायुसेना के साथियों ने उनकी जिम्मेदारी निभाते हुए, आवश्यक रसद और सैनिकों को उच्च ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्रों में पहुंचाया। चेतक, चीता, और अन्य हेलीकॉप्टरों ने लोगों और जरूरी सामग्रियों को ग्लेशियर की अत्यधिक ऊंचाई तक पहुंचाया।
1984 के बाद, भारतीय वायुसेना ने अपनी उपस्थिति को बढ़ाया, जिसमें हंटर, मिग, सुखोई, और अन्य लड़ाकू विमान शामिल हैं। वे बिना किसी रुकावट के लगभग हर दिन मानव सहनशक्ति, उड़ान, और तकनीकी दक्षता के रिकॉर्ड स्थापित कर रहे हैं।
इस समर्थन के बिना, भारतीय सेना की लड़ाई लद्दाख के अत्यधिक कठिन इलाकों में अधूरी हो सकती थी। भारतीय वायुसेना के साथियों का योगदान एक अद्वितीय और अविश्वसनीय कथा है, जो विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में नया मायना देता है।
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