रेल को पलटाने की साजिश जारी
प्रयागराज से हरियाणा के भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस को कानपुर के पास पलटाने का पूरा इंतजाम था। कल यानि 8 सितंबर को हुई घटना में यही मोड़ नजर आया। अभी तक की घटनाओं में घटना का मुख्य कारण रेल ट्रैक पर बिछाए जा रहे अराजक तत्वों के अवरोधक उपकरण है।
देश में कईं दिनों से रेल गाड़ी के पलटने की घटना सामने आ रही है। विपक्ष भी इन सभी बातों को लेकर सत्ता पक्ष को दोषी मान रहा है। पर इस घटना की सत्यता कुछ और ही है। क्योकि पिछले कुछ दिनों से जो बातें सामने निकल कर आ रही है। वह सभी को चौंका देने वाली है। प्रयागराज से हरियाणा के भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस को कानपुर के पास पलटाने का पूरा इंतजाम था। कल यानि 8 सितंबर को हुई घटना में यही मोड़ नजर आया। अभी तक की घटनाओं में घटना का मुख्य कारण रेल ट्रैक पर बिछाए जा रहे अराजक तत्वों के अवरोधक उपकरण है।
इस घटना में रेलवे ट्रैक पर 14 किलो 200 ग्राम गैस से भरा 30 किलोग्राम का सिलिंडर पाया गया। उसी के साथ पेट्रोल से भरी बोतलें.....यानी पेट्रोल बम। मिठाई के डिब्बे में भरा बारुद भी मिला। रात 8 बजकर 20 मिनट पर कानपुर के करीब बिल्हौरी स्टेशन के पास पटरी पर सिलेंडर रखा था...कालिंदी एक्सप्रेस के पायलट की नजर पटरियों के बीच इस सिलिंडर पर पड़ी...उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाया। ट्रेन की स्पीड कम होने लगी। लेकिन सिलिंडेर से टक्कर हो गई।
लोको पायलट अगर इमरजेंसी ब्रेक नहीं लगाता तो ट्रेन की स्पीड घटती नहीं, इस दौरान सिलिंडेर फट भी सकता था। अगर ऐसा हो जाता तो आज यहां नजारा कुछ और देखने को मिलता। आप तस्वीर में देख रहे होंगे सिलेंडर का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से दब गया था। अब गैस निकालकर प्रेशर कम किया गया। कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल करने की साजिश का ये सबसे अहम सबूत है। कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल के लिए सिर्फ सिलिंडर नहीं था। पेट्रोल बम था....बारुद से भरा मिठाई का डिब्बा था।
इन तस्वीरों को देखिए....पेट्रोल वाली हरे रंग की बोतल....एक झोला....माचिस....मिठाई का डिब्बा....सफेद पाउडर... ये सफेद पाउडर....बारुद है....विस्फोटक है.....इन सभी चीजों को पटरियों पर प्लांट किया गया। रात 8 बजकर 37 मिनट पर कालिंदी एक्सप्रेस से सिलेंडर पर टकराने की सूचना लोको पायलट ने दी। रात 9 बजकर 10 बजे पुलिस की टीम पहुंची... ट्रैक के बीच पेट्रोल से भरी कांच की बोतल थी..जिसमें बत्ती लगी थी....पास में सफेद रंग का बैग था......बारुद वाला।
इन सभी चीजों की एक साथ मौजूदगी क्या impact कर सकती है....उसे भी समझिए......
जब सिलेंडर के चारों तरफ आग फैल जाए। गर्मी बढ़ने लगे, गैस लीक हो, तो गैस का volume बढ़ने लगता है। सिलेंडर की दीवारों पर प्रेशर बढ़ जाता है। गैस सिलिंडेर को फाड़ कर बाहर निकलती है। जोरदार धमाका होता है।
लोकल एजेंसियों के अलावा IB, STF, ATS को जांच में लगा गई हैं। NIA और दूसरी खुफिया एजेंसियों को बड़ी साजिश की भनक लगी है। कानपुर में एक महीने के दौरान 2 बार ट्रेन डिरेल करने की कोशिश हो चुकी है। 25 अगस्त को बिजनौर...23 अगस्त को फर्रुखाबाद...20 अगस्त को अलीगढ़...16 अगस्त को कानपुर और अब एक बार फिर कानपुर में यह कोशिश की गई। जो कि माफी योग्य नहीं है।
ट्रेन को डिरेल करने की साजिश में सबसे ज्यादा टारगेट पर यूपी है। कालिंदी एक्सप्रेस यूपी से हरियाणा जा रही थी। हरियाणा में चुनाव है। कोई भी हादसा होता तो चुनावी मुद्दा बन जाता। यूपी STF हर एंगल से जांच कर रही है। सिलेंडर कहां से आया...पेट्रोल कहां से खरीदा गया...और मिठाई के डिब्बे में बारूद कहां से आया।
STF ने बारुद से भरे मिठाई के डिब्बे का सुराग हासिल किया है. कन्नौज के छिबरामई कस्बे में एक ही नाम से बनी तीन मिठाई की दुकानें हैं ये तीनों दुकानें सगे भाईयों की हैं. STF ने इन दुकानदारों से पूछताछ की है। सीसीटीवी चेक करने के लिए DVR को कब्जे में लिया है। इस साजिश में कौन ग्राउंड में एक्टिव था...मास्टरमाइंड कौन है...ऑर्डर कहां से आया...छोटी से लेकर हर बड़ी बात को फॉलो किया जा रहा है।
रेलवे के सामने सबसे बड़ा चैलेंज ऐसी साजिशों को नाकाम करना है. ये काम जरुरी भी और बेहद मुश्किल भी मालूम प्रतित पड़ता है। रेलवे रुट की सेफ्टी तब हो सकती है। जब पूरा route सीसीटीवी कैमरों की जद में हो। लेकिन ये मुमकिन नहीं है। कई डेवलप देशों में कवर्ड रेलवे route हैं। लेकिन भारत के लिए ये काम भी आसान नहीं।
क्योंकि, भारत में कुल रेलवे ट्रैक की लंबाई करीब 1 लाख 26 हजार किलोमीटर है। इसमें रनिंग ट्रैक 99 हजार 235 किलोमीटर है। 1 लाख 26 हजार किलोमीटर के एरिया को कवर्ड करना या सीसीटीवी लगाना मिशन इम्पॉसिबिल जैसा टास्क है। सिर्फ बिहार,यूपी और एमपी मिलाकर में करीब 35 हजार किलोमीटर का रेलवे ट्रैक है। जबकि पूरे जापान में सिर्फ 30 हजार किलोमीटर का रेलवे ट्रैक है।
हिंदुस्तान में रेलवे से साजिश... सरकार के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। पटरी पर पुलिस तैनात नहीं हो सकती है। ऐसे में पुलिस का पूरा फोकस...रेल पलटाने वाले नैक्सेस को तोड़ने का होगा। जितनी तेजी से कार्रवाई होगी। जितनी तेजी से अपराधी पकड़े जाएंगे। उतनी तेजी से ऐसी घटनाएं रुकेगी।
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