सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्या असर पड़ेगा

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों वाली पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला देते हुए जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसला बरकरार रखा है।

Dec 20, 2023 - 16:49
Dec 21, 2023 - 22:31
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्या असर पड़ेगा

अनुच्छेद 370 को जानें समझें

SC के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ ने आम सहमति से फैसला देते हुए, जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसला कायम रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, अगले साल सितंबर माह तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए कदम उठाना चाहिए।

शीर्ष अदालत का बयान: शीर्ष अदालत ने अपने बयान में कहा कि, जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा जितनी जल्दी हो सके बहाल कर देना चाहिए। वहीं विपक्षी नेताओं का यह मानना है कि, यह फैसला राज्यों पर केंद्र के नियंत्रण को निश्चित ही बढ़ा देगा। इस मामले में शीर्ष अदालत के सामने सबसे महत्त्वपूर्ण सवाल था कि, क्या केंद्र सरकार किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान उसे 2 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर सकता है। जाहिर तौर पर भविष्य में इस सवाल के बहुत अहम परिणाम होने वाले हैं। अर्थात इसने केंद्र के हाथ में एक ऐसा हथियार दे दिया है कि, वो पहले राष्ट्रपति शासन लागू करे और फिर पूरे राज्य को उसके 1 हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दे।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना:

फैसले पर कई कानूनी विशेषज्ञ का मानना है कि, यह फैसला संघीय ढांचे को ढीला करता है। भारत में संघीय ढांचे का मुद्दा बहुत विवादित रहा है। कई राज्यों ने केंद्र पर उनकी शक्तियों को हनने करने का आरोप भी लगाया हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का दावा है कि, केंद्र सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं के लिए सुनिश्चित फंड और GST में 1.15 लाख करोड़ की हिस्सेदारी को रोक रखा है। इसके अलावा, एक देश-एक चुनाव के विचार ने इस डर को बढ़ा दिया है, कि देश की राजनीति और ज्यादा एक ही जगह केंद्रित हो जाएगी।

उच्चतम न्यायालय के सामने प्रमुख प्रश्न:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-3 में नए राज्यों के गठन की प्रक्रिया स्पष्ट तौर पर उल्लेखित है। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि, संसद दो या दो से अधिक राज्यों को मिलाकर या राज्य को विभाजित कर नए राज्य बना सकता है। इसके लिए राष्ट्रपति की सिफारिशों के आधार पर संसद में बिल/विधेयक पेश किया जा सकता है। इसके पश्चात इसे राज्य की विधानसभा में पेश करना अनिवार्य होता है। साल 2019 में जब जम्मू और कश्मीर राष्ट्रपति शासन के तहत संचालित था, तो राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू एवं कश्मीर और लदाख) में बांटने का एक विधेयक संसद में पास किया गया। इसके तहत ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लद्दाख में बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए। 

कोर्ट ने क्या कहा?

जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के गठन के बारे में अदालत ने अपने विचार नहीं दिए। कोर्ट ने कहा कि चूंकि सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि, जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, इसलिए उन्हें यह तय करने की जरूरत नहीं है कि क्या किसी राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में तोड़ा जा सकता है। हालांकि अदालत ने लद्दाख के गठन को जाय़ज ठहराया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से यह कहा कि, केंद्र सरकार के पास अनुच्छेद-3 के अंर्तगत ये अधिकार है कि, वो किसी राज्य में से 1 केंद्र शासित प्रदेश को बना दे। यहां तक कि राष्ट्रपति शासन के होने के बावजूद भी।

विपक्ष का क्या कहना है?

कांग्रेस पार्टी ने कहा कि, वो इस बात से निराश हुई है कि अदालत ने इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं दिया। कि क्या एक पूरे राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदला जा सकता है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि, संविधान के तहत सरकार के पास ये करने का कोई अधिकार नहीं है। इस फैसले पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस फैसले का असर ये होगा कि चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद या मुंबई मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाने में केंद्र सरकार के सामने कोई रोक-टोक नहीं होगी।

क्या था अनुच्छेद 370?

अनुच्छेद-370 भारतीय संविधान का एक प्रावधान था। यह विधेयक जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे का स्थान देता था। यह भारतीय संविधान की उपयोगिता को राज्य में सीमित कर देता था। कोई अन्य अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर पर लागू नहीं होता था। यहां का अपना एक अलग संविधान था। हालांकि राष्ट्रपति के पास जरूरत पड़ने पर किसी भी बदलाव की ताकत इसमें औपचारिक रूप से निहित थी।

इसे कैसे हटाया गया

5 अगस्त 2019 अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक आदेश जारी किया। जिसके माध्यम से संविधान में संशोधन हुआ। इसमें साफ तौर पर कहा गया कि, राज्य की संविधान सभा के संदर्भ का अर्थ राज्य की विधानसभा होगा। सुरक्षा के मद्देनजर 9 अगस्त को संसद ने राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने वाला एक कानून पारित किया। इसमें कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में नहीं होगी।

अभिषेक चौहान

संवाददाता, भारतीय न्यूज़

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।